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‘वार्षिक प्रतिवेदन’ 2016-17, ‘कृषक आय संवर्द्धन हेतु प्रभावी तकनीकी’ तथा ‘पशुपालन एवं प्राथमिक पशुचिकित्सा हेतु प्रशिक्षण’ पुस्तिका का विमोचन

‘वार्षिक प्रतिवेदन’ 2016-17, ‘कृषक आय संवर्द्धन हेतु प्रभावी तकनीकी’ तथा ‘पशुपालन एवं प्राथमिक पशुचिकित्सा हेतु प्रशिक्षण’ पुस्तिका का विमोचन
उत्तर प्रदेशकृषि संबंधित

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा है कि वर्तमान राज्य सरकार किसानों के कल्याण और उनकी आर्थिक समृद्धि के लिए कृतसंकल्पित है। राज्य सरकार ने किसानों के 36 हजार करोड़ रुपए के फसली ऋण को माफ कर सराहनीय कार्य किया है। किसानों को पहली बार खाद, बीज, कृषि रसायन आदि समय से पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हुए हैं। प्रधानमंत्री जी की मंशा के अनुरूप खेतों के मृदा परीक्षण पर विशेष बल देते हुए राज्य सरकार फसलों की पैदावार को बढ़ाने का कार्य कर रही है, जिससे वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना करने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को बढ़ती हुई जनसंख्या और जलवायु के प्रभाव के मद्देनजर कृषि उत्पादन की रणनीति बनानी होगी। राज्य में कृषि को बढ़ावा देने के लिए 20 नए कृषि विज्ञान केन्द्र खोले जाएंगे।

मुख्यमंत्री आज भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कानपुर द्वारा आयोजित उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड के कृषि विज्ञान केन्द्रों की 24वीं वार्षिक क्षेत्रीय 3-दिवसीय कार्यशाला के उद्घाटन अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने ग्राम ज्ञानीपुर (गोरखपुर) के श्री इन्द्र प्रकाश सिंह, ग्राम मेहदीगंज (वाराणसी) के श्री कमलाशंकर, ग्राम मल्लूडी (कुशीनगर) के श्री अमेरिकल खरवार तथा कानपुर देहात के श्री चरण सिंह यादव को वैज्ञानिक तरीके से खेती तथा अधिक पैदावार करने के लिए पुरस्कृत किया। साथ ही, ‘वार्षिक प्रतिवेदन’ 2016-17, ‘कृषक आय संवर्द्धन हेतु प्रभावी तकनीकी’ तथा ‘पशुपालन एवं प्राथमिक पशुचिकित्सा हेतु प्रशिक्षण’ पुस्तिका का विमोचन भी किया।

अपने सम्बोधन में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस संस्थान को देश व प्रदेश में दलहन उत्पादन की कमी को हल करने के लिए ‘राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन’ के अन्तर्गत नोडल केन्द्र के रूप में नामित किया गया है। प्रदेश के 68 कृषि विज्ञान केन्द्रों में दलहन, उर्द, मंूग, चना, मटर, मसूर आदि पर लगभग 3400 प्रदर्शन कराए गए हैं।

योगी जी ने कहा कि ग्रामीण युवकों को खेती की तरफ आकर्षित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली द्वारा महत्वाकांक्षी परियोजना चलायी गई है, जिससे युवकों में कृषि उद्यमिता का विकास हो सके। उन्होंने संस्थान से अपेक्षा की कि वह जलवायु परिवर्तन, सूखा, बाढ़ तथा जल प्रबन्धन के साथ बागवानी, दलहनी व तिलहनी खेती, पशुपालन की रणनीति बनाए और युवकों को खेती से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों की आमदनी को दोगुना करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों को बेहतर तकनीक किसानों को उपलब्ध करानी होगी। साथ ही, कृषि अधिकारी खेती-किसानी से जुड़े कार्यक्रमों की जमीनी स्तर पर माॅनीटरिंग करें। किसानों को उन्नतशील बीज हर हाल में मुहैया कराया जाए। उत्तर प्रदेश की स्थितियों और जलवायु परिवर्तन को देखते हुए किसानों को प्रशिक्षण, उन्नतशील किस्मों की जानकारी तथा नई तकनीक के बारे में बताना होगा। उन्हें खेती के प्रति प्रोत्साहन तथा पशुओं के प्रबन्धन की वैज्ञानिक पद्धति की जानकारी भी उपलब्ध कराई जाए। कृषि भूमि की गुणवत्ता प्रबन्धन के लिए भी किसानों को नई जानकारियां दी जाएं। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों को ऐसी तकनीक मुहैया करानी होगी, जिससे कम लागत, कम पानी और कम बारिश में भी भरपूर फसल पैदा की जा सके। जलवायु परिवर्तन पर चिन्ता जताते हुए उन्होंने ज्यादा से ज्यादा पौधरोपण के लिए लोगों को जागरूक कर वृक्षारोपण अभियान को सफल बनाने की अपील की।

मुख्यमंत्री ने मृदा परीक्षण कार्यक्रम पर विशेष जोर देते हुए कहा कि किसानों को इसका लाभ उठाना चाहिए। सरकार किसानों को खुशहाल बनाना चाहती है। उन्होंने कहा कि गन्ने का उत्पादन और उत्पादकता बढ़ाई जाए, जिससे किसानों को लाभ मिल सके। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रमों और परीक्षणों द्वारा खेती की उत्पादकता बढ़ेगी, कर्मियों को प्रशिक्षण मिलेगा और कृषि प्रौद्योगिकी के विकास को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि मृदा परीक्षण से जमीन के स्वास्थ्य की जांच ठीक उसी प्रकार से होती है, जैसे मनुष्य के शरीर की जांच होती है।

योगी जी ने कार्यक्रम के प्रारम्भ में कृषि वैज्ञानिकों द्वारा लगायी गई प्रदर्शनी का अवलोकन किया तथा संस्थान के सभागार का लोकार्पण भी किया। उन्होंने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।

प्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि किसानों को कृषि उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना होगा। उनकी फसलों की उपज के साथ-साथ इसका उचित मूल्य दिलाना होगा, तभी उनकी आय बढ़ेगी और आने वाले समय में उसे दोगुना किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि किसान कृषि उत्पादन लगातार बढ़ा रहे हैं तथा उनकी लागत को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस साल 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद का लक्ष्य रखा गया है। फसली ऋण किसानों को दिया जा रहा है। सरकार ने किसानों को 22 हजार करोड़ रुपए गन्ना मूल्य का भुगतान करा दिया है।

इस मौके पर उप कृषि महा निदेशक श्री ए0के0 सिंह ने संस्थान की ओर से शाॅल ओढ़ाकर मुख्यमंत्री जी को सम्मानित किया। कार्यक्रम में खादी ग्रामोद्योग मंत्री श्री सत्यदेव पचैरी, कृषि राज्य मंत्री श्री रणवेन्द्र प्रताप सिंह (धुन्नी सिंह), कानपुर के महापौर श्री जगतवीर सिंह द्रोण, सांसद, विधायक एवं अन्य जनप्रतिनिधिगण, विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, कृषि वैज्ञानिक, कृषक बन्धु सहित शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

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