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लोकसभा में गूंजा अरुणाचल पर चीन के बयान का मुद्दा, प्रेमचंदन ने सरकार को घेरा

देश-विदेश

नई दिल्ली: चीनी सड़क निर्माण दल के भारतीय सीमा में घुसने की घटना और बीजिंग के अरुणाचल प्रदेश को मान्यता नहीं देने के बयान का मामला गुरुवार को लोकसभा में गूंजा। रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य एन. के. प्रेमचंदन ने सरकार से इस घटना पर बयान देने की मांग की।

प्रेमचंद्रन ने कहा, “चीन ने भारतीय सीमा में प्रवेश किया, वहां सड़क बनाने के प्रयास हो रहे थे और एक किलोमीटर के दायरे में सड़क निर्माण भी किया गया। तब उन्हें लोगों और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल ने रोका।”

प्रेमचंद्रन ने कहा, “वे लोग सियांग नदी बेसिन तक आ गए। इसलिए मेरा पक्ष यह है कि ऊपरी सियांग बेसिन के उपर अतिक्रमण किया जा रहा है।”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा चीन के प्रवक्ता खुलेआम बोलते हैं कि बीजिंग ने अरुणाचल प्रदेश को कभी मान्यता नहीं दी है। यह चीन की तरफ से उकसाने वाला बयान है।”

उन्होंने कहा, “मैं यह जानना चाहूंगा कि चीनी अतिक्रमण पर भारत सरकार की क्या प्रतिक्रिया है।”

चीन का सड़क निर्माण दल दिसंबर माह के अंत में अरुणाचल प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्र में प्रवेश कर गया था और बाद में भारतीय सेना ने दल को वापस भेजा था।

चीन के सड़क निर्माण दल को पिछले वर्ष 26 दिसंबर को भारत-तिब्बत सीमा पुलिस पोस्ट के समीप दो किलोमीटर के आस-पास एक ट्रेक का निर्माण करते पाया गया था।

भारतीय सेना की ओर से चीनी दल को रोके जाने तक चीनी दल ने 600 मीटर लंबे और 12 फीट चौड़े ट्रेक का निर्माण कर लिया था।

जिस जगह पर चीनी कामगारों ने प्रवेश किया था वह भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवेश करने के स्थान से करीब है।

भारतीय सेना ने चीनी मजदूरों को पीछे कर उनकी सामग्रियों को जब्त कर लिया था। दोनों तरफ के सैनिकों के बीच हालांकि यहां झड़प नहीं हुई लेकिन भारतीय सेना ने यहां घेराबंदी (बेरिकेड) कर दी है और उसके बाद से यहां निगरानी रखी जा रही है।

घटना के बारे में पूछे जाने पर चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा, “जहां तक भारत के साथ सीमा विवाद का सवाल है, चीन स्पष्ट और अटल है।”

गेंग ने कहा, “हमने तथाकथित अरुणाचल प्रदेश के अस्तित्व को कभी नहीं स्वीकारा है।”

–आईएएनएस (खास खबर)

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