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राष्‍ट्रपति ने प्रोफेसर पी सी महालनोबिस के 125वें जन्‍मोत्‍सव में हिस्‍सा लिया

राष्‍ट्रपति ने प्रोफेसर पी सी महालनोबिस के 125वें जन्‍मोत्‍सव में हिस्‍सा लिया
देश-विदेश

राष्‍ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी आज कोलकता में प्रोफेसर पी सी महालनोबिस के 125वें जन्‍मोत्‍सव में शामिल हुए। राष्‍ट्रपति ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि उन्‍हें देश में आर्थिक नियोजन के निर्माता और व्‍यावहारिक सांख्यिकी के अगुआ प्रोफेसर पी सी महालनोबिस के 125वें जन्‍मोत्‍सव में शामिल होने की खुशी है। प्रोफेसर महालनोबिस असाधारण आयामों वाले स्‍वप्‍नदृष्‍टा थे।

राष्‍ट्रपति ने प्रोफेसर प्रशांत चंद्र महालनोबिस को अपनी सम्‍मानपूर्वक श्रद्धांजलि दी और कहा कि हमें उनके सुझावों और विचारों का अनुसरण करना चाहिए। राष्‍ट्रपति ने कहा कि महालनोबिस ने इस बात पर बल दिया था कि हमें अपने मस्तिष्‍क को धर्मांधता और कट्टरता से मुक्‍त रखना चाहिए। उन्‍होंने परिस्थितियों को ध्‍यान में रखकर भारत की आर्थिक नी‍तियों में अपनाये गये लचीलेपन को भी उल्‍लेखित किया। इसके अतिरिक्‍त उन्‍होंने कहा कि जब साधारण ब्रह्म समाज के कई वरिष्‍ठ सदस्‍य ब्रह्म समाज में रविन्‍द्र नाथ टैगोर की सदस्‍यता के खिलाफ थे उस समय प्रशांत चंद्र ने रविन्‍द्र नाथ टैगोर की ब्रह्म समाज में सदस्‍यता के लिए तर्क संगत लड़ाई शुरू कर उनका समर्थन किया। उन्‍होंने लेखन में अकाट्य तर्कों की पराकाष्‍ठा पुस्तिका लिखकर उसे ब्रह्म समाज के सदस्‍यों में वितरित किया। इसके पश्‍चात शीघ्र ही रविन्‍द्र नाथ टैगोर को साधारण ब्रह्म समाज का सदस्‍य स्‍वीकार कर लिया गया।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि प्रोफेसर महालनोबिस द्वारा शुरू किया गया भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान उच्‍च गुणवत्‍तापूर्ण शिक्षा प्रदान करता है। उन्‍होंने भारतीय सांख्यिकी संस्‍थान के कार्यक्रम में शामिल होने और प्रखर शिक्षकों, शोधकर्त्‍ताओं और विद्धार्थियों के समक्ष संबोधन के लिए खुशी जताई।

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