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योगी सरकार की सख्ती के कारण 6.3 लाख परीक्षार्थियों ने छोड़ी बोर्ड परीक्षा

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में यूपी बोर्ड परीक्षा को नकल विहीन कराने के लिए योगी सरकार कड़े कदम उठा रही है, जिसके तहत प्रदेश के सभी विद्यालयों में सीसीटीवी लगाने का फरमान जारी किया गया था और विद्यालयों को इसका अनुपालन करने का सख्त निर्देश जारी किया था. परीक्षा में सुचिता बरकार रखने के लिए प्रदेश सरकार बड़े पैमाने पर प्रयास कर रही है. सीसीटीवी लगाने के साथ-साथ विद्यालयों के कक्ष में फर्नीचर व्यवस्था को भी सुदृढ़ गया जिससे कि परिक्षार्थियों को परीक्षा के दौरान किसी भी परेशानी का सामना ना करना पड़े. वहीँ सख्ती का ऐसा असर हुआ है कि 6.3 लाख परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी है.

नक़ल न होने से घबराए परीक्षार्थी

योगी सरकार का नकल पर नकेल कसने का असर ये हुआ है कि अबतक 6 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने हाईस्कूल और इंटर की परीक्षाएं छोड़ दी हैं. यूपी बोर्ड के एग्जाम का चौथा दिन है और परीक्षा CCTV कैमरों की निगरानी में हो रही है. यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इण्टर की परीक्षा में योगी सरकार की सख्ती का ब्यापक असर देखने को मिला है. यूपी बोर्ड परीक्षा में परीक्षा छोड़ने का रिकार्ड बन चुका है. 6 लाख से ज्यादा परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ दी है. तीसरे दिन तक 633217 परीक्षार्थी मैदान से बाहर हो चुके हैं.

सख्ती के चलते परीक्षार्थी छोड़ रहे परीक्षा

यूपी बोर्ड की परीक्षा में अब तक परीक्षा छोडने वाले परीक्षार्थियों की संख्या छह लाख के पार हो चुकी है. यह संख्या अपने आप में एक रिकार्ड है लेकिन सवाल है ये कि आखिर परीक्षार्थी इतनी बड़ी संख्या में परीक्षाएं क्यों छोड़ रहे हैं. नक़ल होने के कारण साल भर ठीक से न पढ़ने वाले बोर्ड परीक्षा में नक़ल के भरोसे रहते थे और अब जबकि सरकार ने नक़ल रोकने के लिए कड़े कदम उठाये हैं, ऐसे में उनका घबराना लाजिमी है. वहीँ केंद्र व्यवस्थापकों से लेकर जिले के डीएम, एसपी और शिक्षा विभाग नक़ल रोकने की मुहीम में जुटा हुआ है.

बड़ी संख्या में मुन्ना भाई गिरफ्तार

यूपी के विभिन्न जिलों से बड़ी संख्या में मुन्नाभाई गिरफ्तार किये जा रहे हैं. दूसरे के बदले परीक्षा देने वाले ऐसे लोगों को पुलिस जेल भेज रही है. इस प्रकार की सख्ती पिछले कुछ सालों में यूपी बोर्ड परीक्षा में देखने को नहीं मिलती थी जिसका फायदा नक़ल माफिया और नकल के भरोसे बैठे छात्र दोनों को होता था.

सीसीटीवी कैमरे निभा रहे बड़ा रोल

यूपी बोर्ड की परीक्षा नकलविहीन, पारदर्शी और निष्पक्ष रुप से कराये जाने को लेकर बोर्ड के अधिकारी तमाम दावे कर रहे हैं और शुरुआत में इनके दावों में दम भी दिखाई दे रहा है. बोर्ड की परीक्षा में नकल रोकने के लिए भी विशेष इंतजाम किए गए हैं. इसके लिए यूपी सरकार ने परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए हैं साथ ही संबंधित जिले के अधिकारी और स्कूल के प्रिंसिपल को भी दिशा-निर्देश भी जारी किए गए हैं.

डिप्टी सीएम स्कूलों का कर रहे दौरा

जिलाधिकारी द्वारा केन्द्र व्यवस्थापकों को निर्देशित किया गया है कि केंद्र पर जनरेटर, इनवर्टर आदि की व्यवस्था रखें ताकि सीसीटीवी बंद ना हो सके. परीक्षा केंद्रों पर लाइट, पानी, शौचालय की व्यवस्था को दुरस्त रखने को कहा गया है. केन्द्र व्यवस्थापकों को सख्त निर्देश दिए हैं कि परीक्षा केंद्रों पर निरीक्षण के दौरान परीक्षार्थियों को भयभीत नहीं करना है. इसके अलावा परीक्षा केंद्र के व्यवस्थापक पूरी कोशिश करें कि नकल सामग्री केंद्र के अंदर न जाए.

बोर्ड परीक्षा में परीक्षार्थियों की संख्या में इजाफा

इस बार की परीक्षा में कुल 67 लाख से ज्यादा छात्र हिस्सा ले रहे हैं. इस बार परीक्षार्थियों की संख्या पिछले साल की तुलना में ज्यादा बताई जा रही है. इस बार 10वीं की परीक्षा में 37,12,508 छात्र जबकि 12वीं की परीक्षा में 30,17,032 छात्र 8549 परीक्षा केन्द्रों पर परीक्षा दे रहे हैं. हाईस्कूल की परीक्षा जहां 6 फरवरी से शुरू होकर 22 फरवरी तक चलेंगीं. वहीं इण्टर की परीक्षायें 6 फरवरी से 12 मार्च तक चलेंगीं.  गौरतलब है कि पिछले साल 10वीं बोर्ड की परीक्षा में कुल 34,01,511 छात्रों ने जबकि 12वीं की परीक्षा में कुल 26,54,492 छात्रों ने हिस्सा लिया था.

नक़ल माफियों को रोकने में जुटी सरकार

यूपी में परीक्षा के दौरान नक़ल एक बड़ा व्यापार बन चुका है. हर स्तर पर नक़ल माफियाओं का गिरोह सक्रिय रहता है और छात्रों को पास कराने का जिम्मा लेने के एवज में एक मोटी रकम वसूली जाती रही है. ऐसा माना जाता है कि  ये 10 हज़ार करोड़ रुपए का काला कारोबार है जो पिछली सरकारों की लापरवाहियों के कारण फल-फूल रहा है. देश के विभिन्न राज्यों से बच्चे परीक्षा देने के लिए आते हैं और इसीलिए फ़ार्म भराने से लेकर अच्छे नंबरों से पास कराने तक का यहाँ ठेका होता है. दूसरी जगह से आने वाले परीक्षार्थियों के ठहरने के इंतजाम से लेकर उनको परीक्षा केंद्र पर नक़ल की सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा नक़ल माफियाओं का होता है. यूपी में बोर्ड परीक्षा पिछले सपा और बसपा शासनकाल में नक़ल महोत्सव बनकर रह गई है.

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