22 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

यू. पी. चुनाव 2017 मे हार का आत्म-मंथन

यू. पी. चुनाव 2017 मे हार का आत्म-मंथन
उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में कांग्रेस पार्टी को अभी तक के इतिहास में, यह एक सर्वाधिक शर्मनाक हार मिली है ! आशा है कि आप सभी, बड़े नेताओं के साथ मिलकर इस चुनाव परिणाम की समीक्षा की तैयारी कर रहे होंगे।यह कथन कदापि अतिश्योक्ति नही कि वर्तमान कांग्रेस पार्टी, प्रजातांत्रिक प्रणाली से हटकर, एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में परिवर्तित हो चुकी है । जिसमे ब्लाक व जिला स्तर से लेकर प्रान्तीय एवं राष्ट्रीय स्तर तक के सभी, छोटे से लेकर बड़े पदाधिकारियों तक का चयन एक Board Of Director जैसी कमेटी द्वारा किया जाता है ।राष्ट्रीय स्तर के 2-4 पदाधिकारियों को, यदि अपवाद स्वरूप हटा दिया जाय तो राष्ट्रीय, प्रान्तीय, जिला तथा ब्लाक स्तर का, शायद ही कोई पदाधिकारी हो, जिसका कोई संतोषजनक जनाधार हो । इसके बावजूद आज भी कांग्रेस विचारधारा के समर्थकों एवं साधारण कांग्रेस कार्यकर्ताओं की आज भी कमी नहीं है, परन्तु इनमे बहुसंख्यक पढें -लिखे तथा समझदार लोगो भी हैं, जिन्हें जिधर चाहें घुमाया नहीं जा सकता ।यहाँ पार्टी की हार के कुछ प्रमुख कारण:-
1) “27 साल यू. पी. बेहाल, कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ, समर्थन मूल्य का करो हिसाब ” तथा “शिक्षा, सुरक्षा, स्वाभिमान ” जैसी रैलियों ने, समाज के प्रत्येक तबके में कांग्रेस की तरफ रुझान काफी बढ़ा दिया था । परन्तु, अफसोस, कांग्रेस- सपा गँठबंधन होते ही, लोगों में यह धारणा घर कर गयी कि कांग्रेस पार्टी अब सपा के कुशासन की भी समर्थक हो गयी । सपा सरकार के कुशासन, ध्वस्त न्याय-व्यवस्था, रिश्वत का बोलबाला, एक जाति तथा एक परिवार आधारित शासन-सत्ता, पूर्ण असुरक्षा का राज पुनः काबिज करने के लिए कॉग्रेस उतारू है। अन्याय पूर्ण शासन की पुनरावृत्ति के डर से, कांग्रेस व सपा समर्थक बहुसंख्यक जनता ने भाजपा को अपना भारी समर्थन दे दिया ।
2) वास्तव में आम जनता मा. राहुल गांधी जी आपकी संदेश यात्राओ से निकले जनसंदेश तथा उनकी आवश्यकता से प्रभावित होकर, सपा सरकार को उखाड़कर कांग्रेस को अवसर देना चाहती थी। परन्तु कांग्रेस का अचानक, अप्रत्याशित गँठबंधन के फैसले का ,शीला जी का मुख्यमंत्री से दावा वापस लेना किसी को भी पसन्द नही आया। जिस पार्टी ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का सारा वोट बैंक तोड़ दिया। कांग्रेस को हाशिये पर कर दिया उसी से गठबंधन कार्यकर्ताओ नेताओ किसी को समझ नही आया आक्रोश में आकर सभी ने मिलकर भा ज पा को समर्थन देकर कांग्रेस नेताओ को सबक सिखाने और जबरदस्त झटका देने का मन बना लिया।इसे समझने में कांग्रेस नेतृत्व और पीके जी धोखा खा गए।
3) कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय जनाधार वाली पार्टी द्वारा पूरे उत्तर प्रदेश में चुनाव न लड़े। इससे कांग्रेस अपना मौजूदा जनाधार भी खो सकती है ,जो 2019 के संसदीय चुनाव के लिए घातक भी हो सकता है। ।
4) अगस्त से दिसंबर2016 तक, कांग्रेस पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं में प्रान्तीय अध्यक्ष श्री राज बब्बर, श्री पी. एल. पुनिया तथा श्री गुलाम नवी आजाद जैसे नेतागण लगातार मीडिया में आखिरी पलो तक घोषित करते रहे कि “कांग्रेस पार्टी का किसी भी पार्टी से कोई चुनावी गँठबन्धन नहीं होगा”। जबकि अंततः गँठबन्धन हुआ।कांग्रेस की इस ग़ैरजम्मेदारी पूर्ण फैसले से, आम कांग्रेस कार्यकर्ता, समर्थक तथा जनता में, कांग्रेस पार्टी झूठी व धोखेबाज पार्टी मानी गयी।जनता ने अपनी विश्वसनीयता के दायरे से बाहर कर दिया ।
5) इस प्रकार कांग्रेस ने आम जनता का विश्वास खो दिया ।इसी लिए सबने मिलकर एकतरफा भा .ज. पा. का साथ दिया और कांग्रेस को बाहर का रास्ता दिखाया।
6)कांग्रेस पार्टी ने अपने ही योग्य, विश्वसनीय, कर्मठ तथा समर्पित 20-25 कार्यकर्ताओं व सदस्यों को, 5-6 माह तक चुनावी टिकट का लालीपोप दिखाकर क्षेत्र में दौड़ाया, उनका श्रम-समय, जन-धन खर्च कराकर, अंत में गँठबन्धन के नाम पर, उनके साथ विश्वासघात किया गया।इस कारण भी बहुत से लोग किंकर्तव्यविमूढ़ होकर चुनाव अभियान में उदासीन रहे, जिसका सीधा लाभ भा ज पा को हुआ ।
7)कांग्रेस पार्टी और इसके नेतागण आजतक पं० जवाहरलाल नेहरू, श्रीमती इंदिरा गांधी तथा श्री राजीव गांधी महान पुरुषों द्वारा किये गये कार्यों का बखान करते नहीं थकते।परन्तु आज कांग्रेसी यह भूल जाते हैं कि आज का बहुसंख्यक मतदाता 40 वर्ष की उम्र के दायरे में है और वह उपरोक्त महापुरुषों के कार्य तथा बलिदान का ,न तो साक्षी रहा है और न ही प्रत्यक्ष अनुभव ही किया है।जनता अपनी वर्तमान समस्याओं का समाधान चाहती है। दूसरी तरफ कोई कांग्रेसी नेता तथा वक्ता यह बताने को तैयार नहीं कि कांग्रेस पार्टी ने वर्तमान में जनता के लिए क्या किया है अथवा क्या करने जा रही है ? जनता की परेशानियों और समस्याओं का उसके पास क्या हल है और जनता क्या करे ? केवल महान नेताओ के द्वारा किये गये कार्यों के नाम पर कांग्रेस पार्टी जनता का विश्वास नहीं जीत सकती है ? जनता कांग्रेस को अपना अमूल्य वोट क्यों दे ? आज के परिपेक्ष्य में जनता को इसका स्पष्ट एवं विश्वसनीय उत्तर चाहिए।
8)टिकट बँटवारे के समय कांग्रेस पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने, व्यवहारिक ज्ञान के अभाव में, मनमाने ढंग से, अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके ऐसे व्यक्ति तक को टिकट दे दिया जिसका न कांग्रेस से कोई मतलब था और नही कोई खास कार्यकर्ता सपा का था। बल्कि ब्लाक स्तर से जिला स्तर तक की कांग्रेस पार्टी ने न तो उसका नाम प्रस्तावित किया था और न ही उसके नाम से परिचित था। केंद्रीय चुनाव समिति ने कांग्रेस पार्टी के अनुभवी ब्लाक अध्यक्षों, जिला अध्यक्षों तथा क्षेत्रीय कांग्रेस कार्यकर्ताओं से समर्थित कांग्रेस प्रत्याशियों की संस्तुत सूची को कूड़े के ढेर में फेंक कर, सदैव कांग्रेस विचारधारा का विरोध करने वाले को कांग्रेस का अधिकृत प्रत्याशी बनाया । केंद्रीय चुनाव समिति को ऐसे उम्मीदवार की जानकारी कहाँ से प्राप्त हो गई ? ऐसे में चर्चा गरम है कि कहीं स्थानीय कांग्रेस से अनजान व्यक्ति को 25 – 50 लाख ₹ लेकर तो टिकट नही दिया गया, और किसने दिलाया ? यदि ऐसा नहीं है तो ऐसे उम्मीदवार की विशेष योग्यता तथा उसकी संस्तुति का स्रोत सार्वजनिक बताया जाय ? (जैसे 173 लखनऊ पूर्व विधानसभा क्षेत्र )
उपरोक्त तथ्यों के परिप्रेक्ष्य में मेरा स्पष्ट मत है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हार के लिए बहुत हद तक स्वयं कांग्रेस पार्टी, उसके उच्च स्तरीय नेतागण तथा कांग्रेस पार्टी की तत्समय प्रभावी नीतियाँ ही जिम्मेदार हैं।कांग्रेस का यह उद्घोष कि “27 साल यू. पी. बेहाल”का माला जपने वालों को “यू. पी. को यह साथ पसंद है” कैसे हो गया ? लगता है सत्ता पाने की मोह में कांग्रेस पार्टी ने स पा सरकार के कुशासन को अंगीकार किया।

Related posts

3 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More