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भारतीय नागरिक होने का अर्थ संकीर्ण मानसिकताओं से ऊपर उठकर एक वृहद एकताबद्ध पहचान बनाने का प्रयास करना है और इसलिए यह आध्यातत्मिक है: उपराष्ट्रपपति एम वेंकैया नायडू

देश-विदेश

नई दिल्लीः उपराष्‍ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने इस बात पर बल देते हुए कहा कि भारतीय नागरिक होने का अर्थ आध्‍यात्मिक होना है, क्‍योंकि यह संकीर्ण और विभेदकारी मानसिकताओं से ऊपर उठकर एक वृहद पहचान बनाने हेतु प्रयास करने के लिए प्रेरित करता है। महाराष्‍ट्र में आज दूसरे वैश्वि‍क साईं मंदिर शिखर सम्‍मेलन में मुख्‍य अतिथि के तौर पर श्री नायडू ने अपने संबोधन में आध्‍यात्मिक खोज और राष्‍ट्रवाद की समानताओं को रेखांकित किया।

      श्री नायडू ने कहा कि शिरडी साईं बाबा ने हिन्‍दूवाद और सूफीवाद के तत्‍वों को मिलाकर एक सर्वशक्तिमान ईश्‍वर– ‘सबका मालिक एक’ (एक ईश्‍वर सभी पर शासन करता है) का संदेश प्रचारित किया। बाबा के संदेश का अर्थ मानवता की एकता के सिद्धांतों में ही विश्‍व के सभी धर्मों के मुख्‍य तत्‍व समाहित हैं। आध्‍यात्मिकता का अर्थ ‘उच्‍च सत्‍य’ को जानने का प्रयास करना है और स्‍वयं के साथ शांति स्‍थापित करना है। श्री नायडू ने कहा कि राष्‍ट्रवाद, चेतना के उच्‍च स्‍तर को प्रोत्‍साहित करता है।

      श्री नायडू ने कहा कि शिरडी साईं बाबा ने व्‍यक्तियों की मन की चिंताओं को दूर करने का रास्‍ता दिखाया है। भारत सामाजिक, राजनैतिक और आर्थिक मामलों में चुनौतियों का सामना कर रहा है। इन पर विजय पाने का सबसे अच्‍छा तरीका है कि सभी भारतीय राष्‍ट्रवाद की भावना से प्रेरित होकर एकता की भावना के साथ प्रयास करें। नए भारत के निर्माण के लिए एक प्रकार की आध्‍यात्मिक उच्‍चता की आवश्‍यकता है।

      श्री नायडू ने कहा है कि भारतीय सभ्‍यता में ‘सर्वजन सुखिनो भवंतु’ तथा ‘वसुधैव कुटुम्‍बकम’  का सिद्धांत बहुत पहले से रहा है। सभी भारतीय इन सिद्धांतों से प्रेरणा पाते हैं।

उपराष्‍ट्रपति महोदय ने साईं बाबा के भक्‍तों से उनके शांति, एकता और मानवता के संदेश को आगे बढ़ाने से सम्‍बन्धित शपथ लेने की अपील की।

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