21 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अंतर्राष्‍ट्रीय सेमिनार का नई दिल्‍ली में उद्घाटन

देश-विदेशप्रौद्योगिकी

नई दिल्लीः भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम पर अंतर्राष्‍ट्रीय सेमिनार : ‘उद्योग के लिए चलन और अवसर’ का आज यहां उद्धाटन किया गया। सेमिनार का आयोजन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), एंटरिक्‍स कार्पोरेशन लिमिटेड (इसरो की व्‍यावसायिक शाखा) ने भारतीय वाणिज्‍य और उद्योग मंडल संघ के सहयोग से किया है।

     दो दिवसीय सम्‍मेलन का उद्देश्‍य सर्वश्रेष्‍ठ कार्य प्रणालियों पर विचार-विमर्श करना, भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के कार्य को आगे बढ़ाने में सहयोग करने की प्रक्रिया पर चल रहे विचार-विमर्श को जारी रखना और सरल कार्य को आगे बढ़ाना है, ताकि भारत का अंतरिक्ष क्षेत्र विस्‍तृत भागीदारी और सहयोग के साथ घरेलू और वैश्विक अवसरों का विस्‍तार कर सके। इस सेमिनार का उद्देश्‍य हाल ही में भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र की उपलब्धियों और प्रमुख कार्यों तथा भविष्‍य के कार्यक्रमों और योजनाओं को उजागर करना है। सेमिनार के दौरान उद्योग, नीति निर्माता, विचारक और शिक्षा विद सरकार की नीतियों को अमल में लाने और प्रोत्‍साहित करने के बारे में चर्चा करेंगे, ताकि घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय बाजार दोनों में भारतीय उद्योग द्वारा व्‍यावसायिक अंतरिक्ष खंड के फायदे लिये जा सकें।

     अपने उद्धाटन भाषण में अंतरिक्ष विभाग में सचिव, अंतरिक्ष आयोग के अध्‍यक्ष और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्‍यक्ष श्री ए.एस. किरण कुमार ने कहा कि नई खोजें अंतरिक्ष उद्योग को आकार प्रदान कर रही हैं और अंतरिक्ष के फायदों की पहुंच आम आदमी तक होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि समय बीतने के साथ नई तकनीक काफी आगे पहुंच चुकी है। उन्‍होंने कहा कि देश का विकास और प्रगति अंतरिक्ष के विकास के क्षेत्र में तरक्‍की पर निर्भर है।

     श्री कुमार ने जोर देकर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी के विजन और उद्देश्‍यों को मेक इन इंडिया और स्‍टार्ट अप तथा स्‍टैंड अप इंडिया पहलों में हुई प्रगति से हासिल किया जा सकता है। उन्‍होंने कहा कि उद्योग और अंतरिक्ष क्षेत्र के साझेदार देश को आगे ले जाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते हैं। श्री कुमार ने कहा कि उद्योग, शिक्षा से जुड़े क्षेत्र के बीच विचार-विमर्श और सहयोग इस क्षेत्र में ज्ञान के विकास के स्‍तंभ हैं। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में अतिरिक्‍त प्रयास बहुआयामी हैं और सार्वजनिक निजी भागीदारी भविष्‍य के विकास की संभावनाओं में नये आयाम जोड़ रही है। उन्‍होंने निजी क्षेत्र से आग्रह किया कि वह अंतरिक्ष अन्‍वेषण, उपग्रह प्रणाली के संयोजन और एकीकरण में संयुक्‍त उद्यम सहयोग, क्‍लस्‍टर विकास, ज्ञान और सूचना के प्रसार, प्रक्षेपण बुनियादी ढांचा सह-विकास, इसरो के पीएसएलवी प्रक्षेपण वाहन का समेकन और जीएसएलवी क्रायोजेनिक टेक्‍नोलॉजी का हस्‍तांतरण, संचार और नेविगेशन उपग्रह के सृजनात्‍मक अवसर में सहयोग करें। उन्‍होंने कहा कि ऐसे सेमिनार विभिन्‍न साझेदारों जैसे सरकार, उद्योग, शिक्षाविदों, वैज्ञानिक समुदायों के बीच अंतरिक्ष सहयोग के विभिन्‍न बहु आयामी पहलुओं पर विचार करने के लिए आवश्‍यक मंच प्रदान करते हैं। उन्‍होंने कहा कि अंतरिक्ष के कोई राष्‍ट्रीय अथव भौगोलिक सीमा नहीं है और सहयोग अपरिमित है। श्रीकुमार ने कहा कि अंतरिक्ष और उपग्रह प्रौद्योगिकी का देश में विकास, चाहे वह पीएसएलवी हो या जीएसएलवी, देश के बुनियादी ढांचा विकास के लिए आदर्श आधार प्रदान कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि ऐसे विकास संचार और नेविगेशन, पृथ्‍वी के पर्यवेक्षण, शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य, कृषि, ऊर्जा संसाधन, अन्‍वेषण, खनिज और मौसम संबंधी विश्‍लेषण में मदद कर सकते हैं।

   श्री ए.एस. किरण कुमार ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में विकास की गति से सह-विकास और सहयोग के लिए खगोल विद्या संबंधी मांग का दायरा बढ़ा है। उन्‍होंने कहा कि इस समय इसरो के पास 42 परिचालित उपग्रह हैं और भारत के चन्‍द्रयान और मंगलयान को सफलतापूर्वक छोड़े जाने से चन्‍द्रमा और मंगल में  नये मानदण्‍ड स्‍थापित किये हैं। उन्‍होंने कहा कि आने वाले वर्षों में आम आदमी के अधिकतम लाभ के लिए अंतरिक्ष तक पहुंच की लागत कम होगी और भौगोलिक दृष्टि से इस युवा देश की प्रतिभा के आधार का इस्‍तेमाल होगा। उन्‍होंने कहा कि हमारा प्रयास होना चाहिए कि देश के नागरिकों के जीवन स्‍तर की गुणवत्‍ता में सुधार लाएं। भारत ने अन्‍य देशों की अंतरिक्ष एजेंसियों की तुलना में कम लागत के साथ पूरे विश्‍व को अंतरिक्ष प्रक्षेपण में अपनी क्षमताओं से अवगत करा दिया है।

     जापान एरोस्‍पेस एक्‍सप्‍लोरेशन एजेंसी (जेएएक्‍सए) के अध्‍यक्ष श्री नाओकी ओकुमुरा ने कहा कि अंतरिक्ष विज्ञान की खोज, दोनों देशों के अंतरिक्ष उद्योग के बीच सहयोग के संबंध में भारत और जापान का सहयोग बहु-आयामी है। उन्‍होंने जोर देकर कहा कि अंतरिक्ष के समग्र विकास के लिए एक दूसरे की क्षमताओं का लाभ उठाया जाना चाहिए।

     जेएससी ग्‍लावकोसमोस, रूस के उपमहानिदेशक श्री विताली सफोनोव ने कहा कि अंतरिक्ष उद्योग में सहयोग का दायरा आशाजनक है। उन्‍होंने कहा कि भारत और रूस के राजनीतिक, सांस्‍कृतिक और कूटनीतिक स्‍तर में उत्‍कृष्‍ट द्विपक्षीय संबंध हैं और अंतरिक्ष सहयोग दोनों देशों के बीच संबंधों में सुधार को परिभाषित करने की दिशा में एक अन्‍य कदम है।

     इस अवसर पर फिक्‍की के अंतरिक्ष प्रभाग के अध्‍यक्ष कर्नल एच.एस. शंकर ने कहा कि प्रौद्योगिकी की पारिस्थितिकी प्रणाली और उपग्रह विकास को टाटा, एल और टी, गोदरेज, इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (ईसीआईएल) नवरत्‍न रक्षा पीएसयू भारत इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स लिमिटेड (बीईएल) जैसे बड़े उद्योगों द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है।

     फिक्‍की के अंतरिक्ष प्रभाग में सलाहकार लेफ्टिनेंट कर्नल रतन श्रीवास्‍तव ने कहा कि सेमिनार में भाग ले रही विदेशी एजेंसियां और उद्योग अंतरिक्ष क्षेत्र को मजबूत बनाने और सह-विकास में योगदान दे सकते हैं। फिक्‍की के महासचिव डॉ. संजय बारू ने कहा कि विकास का दृष्टिकोण सार्वजनिक और निजी क्षेत्र, विदेशों की रणनीतिक एजेंसियों, अंतरिक्ष एजेंसियों, रक्षा मंत्रालय, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा विभाग के बीच समन्‍वय और सहयोग का होना चाहिए।

     दो दिवसीय सेमिनार में अंतरिक्ष उद्योग इको-सिस्‍टम : उद्योग की भूमिका और अवसर, भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में सार्वजनिक-निजी भागीदारी का फायदा उठाने, क्षमता निर्माण और प्रतिभा प्रबंध तथा भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में उद्योग की भूमिका के बारे में विचार-विमर्श पर सत्र शामिल हैं। प्रमुख वक्‍ताओं में इसरो उपग्रह केन्‍द्र (बंगलुरु) के निदेशक डॉ. एम. अन्‍नादुरई, इसरो के वैज्ञानिक सचिव डॉ. टी.जी. दिवाकर, विक्रमसाराभाई अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक श्री के. सीवान, लिक्विट प्रोपल्‍सन सिस्‍टम्‍स सेंटर के निदेशक श्री एस. सोमनाथ, सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के निदेशक श्री पी. कून्‍हीकृष्‍णन,अंतरिक्ष एप्लिकेशन्‍स केंद्र के निदेशक श्रीतपन मिश्रा, नीति आयोग के सदस्‍य डॉ. वी.के. सारस्‍वत, राष्‍ट्रीय रिमोट सेंसिंग केंद्र के निदेशक डॉ. वाई.वी.एन. कृष्‍णमूर्ति और यूनिवर्सिटी ऑफ ह्यूस्‍टन के प्रो.डॉ. कुमार कृष्‍णन शामिल हैं।

     सम्‍मेलन भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र के प्रमुख क्षेत्रों के बारे में नवीनतम जानकारी हासिल करने, अंतरिक्ष क्षेत्र के वर्तमान और भविष्‍य के स्‍वरूप तक पहुंच प्रदान करने, अंतरिक्ष क्षेत्र में नवीनतम विकास, टेक्‍नोलॉजी और नये परिवर्तनों के बारे में सबसे पहले सूचना प्रदान करने, साझेदारी निर्मित करने और निवेश के अवसरों की पहचान करने और नीति निर्माताओं, अंतरिक्ष वैज्ञानिकों, टेक्‍नोक्रेट और उद्योग से जुड़े प्रमुख व्‍यक्तियों को विचार-विमर्श करने का एक मंच प्रदान करने में मदद करेगा। बी2बी और बी2जी बैठकें साझेदारों को एक दूसरे को पहचानने और व्‍यावसायिक अवसरों के बारे में विचार-विमर्श करने का अवसर प्रदान करेगी।

     सम्‍मेलन का समापन सत्र कल होगा। समापन सत्र में विदेश सचिव डॉ. एस. जयशंकर और नीति आयोग के सीईओ श्री अमिताभ कांत मौजूद रहेंगे।

Related posts

10 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More