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प्रधानमंत्री ने ‘दीनदयाल हस्‍तकला संकुल’ राष्‍ट्र को समर्पित किया

प्रधानमंत्री ने ‘दीनदयाल हस्‍तकला संकुल’ राष्‍ट्र को समर्पित किया
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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज वाराणसी में ‘दीनदयाल हस्‍तकला संकुल’ राष्‍ट्र को समर्पित किया, जो हस्‍तशिल्‍प का एक व्‍यापार सुविधा केन्‍द्र है। प्रधानमंत्री ने इस केंद्र की आधारशिला नवम्‍बर, 2014 में रखी थी। आज प्रधानमंत्री ने इस केंद्र का दौरा किया और इसे राष्‍ट्र को समर्पित करने के लिए मंच पर पहुंचने से पहले उन्‍हें वहां विकसित सुविधाओं के बारे में विस्‍तृत जानकारी दी गई।

उन्‍होंने व्‍यापार सुविधा केंद्र को लंबे समय तक वाराणसी की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक बताया। उन्‍होंने कहा कि इस केंद्र से कारीगरों और बुनकरों को पूरी दुनिया के समक्ष अपने कौशल को पेश करने में मदद मिलेगी और इससे उनका भविष्‍य उज्‍ज्‍वल होगा। उन्‍होंने लोगों से कहा कि वे सभी पर्यटकों को इस केंद्र में आने के लिए प्रोत्‍साहित करें। उन्‍होंने कहा कि इससे हस्‍तशिल्‍प की मांग और बढ़ेगी तथा इसके साथ ही वाराणसी में पर्यटन की संभावनाएं भी बढ़ जाएंगी, जिससे इस शहर की अर्थव्‍यवस्‍था को निश्चित रूप से नई गति मिलेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि सभी समस्‍याओं का हल विकास ही है। उन्‍होंने कहा कि सरकार ने गरीबों और आने वाली पीढि़यों के जीवन में सकारात्‍मक बदलाव लाने पर अपना ध्‍यान केन्द्रित कर रखा है। इस संदर्भ में उन्‍होंने उत्‍कर्ष बैंक के प्रयासों की सराहना की।

इस अवसर पर केन्‍द्रीय कपड़ा मंत्री श्रीमती स्‍मृति जुबिन इरानी ने कहा कि कपड़ा मंत्रालय सौभाग्‍यशाली है कि नवरात्र के शुभ अवसर पर प्रधानमंत्री द्वारा 300 करोड़ रुपये की लागत वाला दीनदयाल हस्‍तकला संकुल राष्‍ट्र को समर्पित किया गया है। मंत्री महोदया ने स्‍मरण करते हुए कहा कि इस संकुल की आधारशिला प्रधानमंत्री द्वारा 7 नवम्‍बर, 2014 को रखी गई थी और प्रथम चरण का उद्घाटन प्रधानमंत्री द्वारा 22 दिसंबर, 2016 को किया गया था। उन्‍होंने कहा कि राष्‍ट्र को यह संकुल आज समर्पित किया जाना प्रधानमंत्री के नेतृत्‍व को दर्शाता है। उन्‍होंने कहा कि इससे बुनकरों एवं कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी और उनके उत्‍पादों को विश्‍वभर में बेहतर ढंग से प्रदर्शित करने में मदद मिलेगी।

कपड़ा मंत्री ने कहा कि सरकार चाहती है कि बुनकरों एवं कारीगरों के परिवारों का प्रत्‍येक सदस्‍य अच्‍छी शिक्षा हासिल करने के अपने सपने को साकार कर सके। उन्‍होंने बताया कि इसके लिए कपड़ा मंत्रालय ने इंदिरा गांधी राष्‍ट्रीय मुक्‍त विश्‍वविद्यालय (इग्‍नू) और राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) के साथ सहमति पत्रों (एमओयू) पर हस्‍ताक्षर किेये हैं, जिनके तहत बुनकरों और कारीगरों के बच्‍चे स्‍कूली शिक्षा के साथ-साथ विश्‍वविद्यालय की शिक्षा भी प्राप्‍त कर सकेंगे और 75 प्रतिशत फीस भारत सरकार वहन करेगी।

‘मुद्रा’ योजना की सफलता का उल्‍लेख करते हुए मंत्री महोदया ने कहा कि योजना के तहत लाभार्थियों को 50,000 रुपये से लेकर 10 लाख रुपये तक के जमानत मुक्‍त ऋण दिये जाते हैं। उन्‍होंने कहा कि मुद्रा योजना से 33,000 से भी अधिक बुनकर लाभान्वित हुए हैं, जिन्‍हें 170 करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा के ऋण प्राप्‍त हुए हैं। उन्‍होंने कहा कि मुद्रा ऋण प्राप्‍त करने वाले बुनकर सिर्फ दो माह के भीतर अपनी आमदनी में 50 प्रतिशत से भी ज्‍यादा की वृद्धि करने में सफल रहे हैं। मंत्री महोदया ने कहा कि सरकार देश भर में कारीगरों से संपर्क साधेगी, ताकि मुद्रा योजना के लाभ के साथ-साथ अन्‍य सुविधाएं भी उन तक पहुंच सकें।

उत्‍तर प्रदेश के राज्‍यपाल श्री राम नाईक, उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री श्री योगी आदित्‍यनाथ और कपड़ा राज्‍य मंत्री श्री अजय टम्‍टा भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

दीनदयाल हस्‍तकला संकुल का संक्षिप्‍त विवरण

   वित्‍त मंत्री ने 2014-15 के बजट में वाराणसी के हथकरघों, हस्‍तशिल्‍प और रेशम उत्‍पादों को विकसित करने तथा बढ़ावा देने और वाराणसी के बुनकरों, कारीगरों और उद्यमियों को आवश्‍यक सहायता मुहैया कराने के लिए एक व्‍यापार सुविधा केंद्र तथ शिल्‍प संग्रहालय की स्‍थापना करने की घोषणा की थी, ताकि घरेलू एवं विदेशी बाजारों में उनकी विपणन गतिविधियों को सुदृढ़ किया जा सके एवं वाराणसी में हथकरघों की समृद्ध परम्‍परा को आगे बढ़ाया जा सके।

     व्‍यापार सुविधा केंद्र वाराणसी के बुनकरों/कारीगरों को वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था से एकीकृत करने की दिशा में एक अहम कदम है। व्‍यापार प्रक्रियाओं, औपचारिकताओं और कानूनी एवं नियामकीय आवश्‍यकताओं के अनुपालन के लिए आवश्‍यक सहायता मुहैया कराने हेतु व्‍यापार सुविधा एवं परामर्श सुविधाएं मुहैया कराना आवश्‍यक है।

    उपरोक्‍त संकुल से बुनकरों/कारीगरों/निर्यातकों को घरेलू एवं अंतर्राष्‍ट्रीय दोनों ही बाजारों में हथकरघा/हस्‍तशिल्‍प को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी। संकुल स्थित शिल्‍प संग्रहालय से वाराणसी के पारम्‍परिक हथकरघा/हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों का संरक्षण संभव होगा और इसके साथ ही वाराणसी के हथकरघा एवं हस्‍तशिल्‍प उत्‍पादों को प्रदर्शित करना भी संभव होगा, जो नई पीढ़ी, विद्वानों, डिजाइनरों और पर्यटकों के लिए प्रेरणा होगी।

    यह परियोजना 7.93 एकड़ क्षेत्र में फैली हुई है और इसका निर्मित क्षेत्र 43,450 वर्गमीटर है। इस परिसर पर लगभग 300 करोड़ रुपये की लागत आई है।

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