38 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा बैंकॉक में 7वें एशियाई मंत्री स्तरीय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन के रात्रिभोज में दिए गए भाषण का मूल पाठ

देश-विदेशव्यापार

नई दिल्ली: पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस एवं कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्री श्री धर्मेन्द्र प्रधान द्वारा बैंकॉक में 7वें एशियाई मंत्री स्तरीय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन के स्‍वागत रात्रिभोज में दिए गए भाषण का मूल पाठ निम्‍लिखित है।

‘’मुझे इस बात की प्रसन्नता है कि इस कार्यक्रम में ऊर्जा क्षेत्र के महत्वपूर्ण देशों के मंत्रिगण उपस्थित हैं। एशिया में कुछ देश ऊर्जा के सबसे बड़े उत्पादक हैं साथ ही साथ कुछ देश सबसे बड़े उपभोक्‍ता भी हैं। मुझे इस बात की खुशी है कि आईईएफ नियमित रूप से एशियाई मंत्रि-स्तरीय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन का आयोजन करता है। मैं 2015 में दोहा में आयोजित एशियाई मंत्रि-स्तरीय ऊर्जा गोलमेज सम्मेलन की पिछली बैठक में शामिल हुआ था। मुझे प्रसन्‍नता है कि इस महत्‍वपूर्ण चर्चा के लिये कई देशों के मेरे विभिन्‍न विशिष्‍ट मित्र भी आज यहां उपस्थित हैं। ऐसी बैठकों में ऊर्जा के संदर्भ में क्षेत्रीय आवश्यकताओं के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को रेखांकित किया जाता है।

आईईएफ ऊर्जा के क्षेत्र में सबसे अधिक प्रतिनिधियों वाला अंतर्राष्ट्रीय संगठन है। तेल और गैस की कुल वैश्विक आपूर्ति का 90 प्रतिशत इसके सदस्य देशों द्वारा की जाती हैं। इसके 72 सदस्य छह महाद्वीपों में फैले हुए हैं। इसलिए आईईएफ वैश्विक ऊर्जा के मुद्दों पर चर्चा के लिए उत्पादकों और उपभोक्ताओं को सबसे बेहतरीन वैश्विक मंच प्रदान करता है। यह एक मात्र ऐसा संगठन है, जिसमें कोई भी देश बिना किसी अवरोध के शामिल हो सकता है। मैंने आईईएफ को ओपेक, आईईए और अंतर्राष्ट्रीय गैस यूनियन (आईजीयू) जैसे अन्य संगठनों के साथ निकट से कार्य करते देखा है। जी-20 के सदस्य देशों में से 18 आईईएफ के सदस्य हैं। इसलिए आईईएफ जी-20 देशों के साथ अपने संबंधों में अधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

वैश्विक ऊर्जा बाजार में परिवर्तन के बारे में इस कार्यक्रम का विषय उचित और वर्तमान समय के अनुरूप है। मैंने 40 महीने पहले पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री का कार्यभार संभाला है। जब मैं इस अवधि के बारे में बताता हूं तो मुझे महसूस होता है कि हम बदलाव की कगार पर हैं। पिछले कुछ वर्षों में हमने तेल की कीमतों में कमी, मिश्रित ऊर्जा में गैस की बढ़ती भूमिका, गैस की प्रचुर आपूर्ति, तेल और गैस बाजार में नई कंपनियों का प्रवेश, एलएजी बाजार का खुलना और नवीकरणीय तथा ईवी की बढ़ोत्तरी देखी है।

बाजार अर्थव्यवस्था के अनुरूप विश्व भर के तेल और गैस के उत्पादक आज बड़ी संख्या में मुक्त बाजार आधारित कीमत को बढ़ावा दे रहे हैं। इससे तेल और गैस के क्षेत्र में परिवर्तन आया है। ओपेक की भूमिका धीरे-धीरे मूल्य निर्धारण से बदलकर मूल्य स्थिरीकरण की हो गई है। विश्व महत्वपूर्ण परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, ऐसे में आपसी हित के लिए हमें जिम्मेदार मूल्य निर्धारण व बुनियादी ढांचे के निर्माण पर ध्यान देना चाहिए तथा तेल पर एशियाई प्रीमियम, गंतव्य अनुच्छेद व गैस मूल्य को तेल मूल्य के साथ जोड़ने जैसे अवरोधों को दूर किया जाना चाहिए।

मित्रों, वैश्विक ऊर्जा बाजार में बदलाव पर चर्चा करते समय मैं यहां एकत्रित विद्वानों से अपने साझा उद्देश्यों के लिए प्रौद्योगिकी क्षेत्र में नवाचार तथा सहयोग पर भी विचार करने का आग्रह करता हूं। पिछले कुछ वर्षों में चौथी औद्योगिक क्रांति के बारे में काफी चर्चा की गई है। हम सबने पढ़ा और सुना है कि चौथी औद्योगिक क्रांति को भौतिक, डिजिटल और जैविक क्षेत्रों में विचारों, स्मार्ट सोच और प्रौद्योगिकियों के संयोजन से प्रेरित किया जाएगा और हम आज यह जानते हैं कि यह हमारे जीवन को मौलिक रूप से बदल देंगे। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स, इंटरनेट की बातें, मशीन लर्निंग, 3 डी प्रिंटिंग, नैनो सेंसर, एनर्जी स्टोरेज, बगैर चालक की कारें जैसी बहुत सारी तकनीकें हैं जिससे अंततः हमारी दुनिया का स्‍वरूप बदल जायेगा।

ध्यान देने योग्य बात है कि 17 वीं सदी तक दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होने के बावजूद भारत मुख्यतः उपनिवेशवाद और उसके परिणामों के कारण पहली तीन औद्योगिक क्रांतियों में शामिल नहीं हुआ था। यहां तक ​​कि जब हम चौथी औद्योगिक क्रांति के बारे में बात करते हैं, तो यह याद रखना उचित है कि आज तक, दुनिया की लगभग 17 प्रतिशत आबादी या 1.3 बिलियन लोगों की पहुंच बिजली तक नहीं है, जो बड़े पैमाने पर दूसरी औद्योगिक क्रांति की महत्वपूर्ण ताकत थी। इसी प्रकार आज भी विश्व स्तर पर लगभग 50 प्रतिशत लोग इंटरनेट से वंचित हैं जो तीसरी औद्योगिक क्रांति के प्रमुख कारणों में से एक है। भारत औद्योगिक क्रांति की चौथी लहर में दुनिया की अगुआई करने का आकांक्षा रखता है। एशिया की अन्य विकासशील देशों की तरह भारत की आबादी के बड़े हिस्से को भी दूसरी और तीसरी औद्योगिक क्रांति का पूरा लाभ उठाना होगा। ऐसे में मेरा मानना है कि इस संवाद की निर्णायक भूमिका है। मुझे विश्वास है कि यह मंच ऊर्जा स्रोत, ऊर्जा क्षमता, ऊर्जा स्थिरता और ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा देने के हमारे प्रयासों को दिशा देने का एक अवसर भी प्रदान करेगा। ऐसे ही विचार प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा भी व्यक्त किए गए है।

भारत 10-12 अप्रैल, 2018 को नई दिल्ली में अगले आईईएफ मंत्री स्‍तरीय बैठक की मेजबानी करेगा। सदस्य देशों से जानकारी प्राप्त करने के बाद, हम इस कार्यक्रम को समृद्ध और आकर्षक बनाने की प्रक्रिया में हैं। मैं शीघ्र ही आपको औपचारिक निमंत्रण भेजूंगा। इस अवसर पर मैं आपको नई दिल्ली में होने वाली मंत्रिस्तरीय बैठक के लिये आमंत्रित करता हूं। मैं जल्द ही दिल्ली में आप सभी का स्‍वागत करने के लिए उत्सुक हूं।”

Related posts

8 comments

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More