34 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

परंपरागत जल स्रोतों को संवारने की जरूरत: उमा भारती बुंदेलखंड में किया जल संरक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

कृषि संबंधितदेश-विदेश

नई दिल्लीः केन्‍द्रीय जल संसाधन, नदी विकास तथा गंगा संरक्षण मंत्री सुश्री उमा भारती ने आज कहा कि जल संरक्षण के लिए परंपरागत जल स्रोतों के सार संभाल एवं जीर्णोद्धार समय की जरूरत है। सुश्री भारती ने आज सागर (मध्‍य प्रदेश) के बांदरी में बुंदेलखंड, सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए व्‍यापक जल संरक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए यह विचार व्‍यक्‍त किए।

समारोह को संबोधित करते हुए जल संसाधन मंत्री ने कहा कि प्राकृतिक एवं परंपरागत जल स्रोतों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जाना जरूरी है। ये छोटे छोटे जल स्‍त्रोत पेयजल एवं सिंचाई की बडी जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। उन्‍होंने कहा कि विभिन्‍न अध्‍ययनों से यह पता चला है कि जल की बडी परियोजनाओं की तुलना में अपेक्षाकृत छोटी परियोजनाओं से ज्‍यादा लाभ होता है।

उन्‍होंने बताया कि उनके मंत्रालय ने बुंदेलखंड क्षेत्र में भू-जल के कृत्रिम रिचार्ज के लिए मास्‍टर प्‍लान बनाया है। उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 1100 परकोलेशन (रिसाव) टैंकों, 14000 छोटे चैक डैम/नाला पुश्‍तों तथा17000 रिचार्ज शॉफ्ट्स की पहचान की गई है। मध्‍यप्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में लगभग 2000 परकोलेशन टैंको, 55000 छोटे चैक डैम/नाला पुश्‍तों तथा 17000 रिचार्ज शॉफ्ट्स की पहचान की गई है। उन्‍होंने कहा कि भू-जल खोज के हिस्‍से के रूप में उत्‍तरप्रदेश क्षेत्र के बुंदेलखंड के पांच जिलों-बांदा, हमीरपुर, जालौन, चित्रकूट और माहोबा में 234कुएं बनाये जाने का प्रस्‍ताव है। मध्‍य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के छह जिलों में भूजल खोज के लिए 259 कुओं के निर्माण का प्रस्‍ताव है।

सुश्री भारती ने कहा कि उनके मंत्रालय ने राष्‍ट्रीय भू-जल प्रबंधन सुधार योजना (एनजीएमआईएस) के अंतर्गत कई नई पहल की है। इसका उद्देश्‍य दबाव वाले ब्‍लॉकों में भू-जल की स्थिति में कारगर सुधार करना, गुण और मात्रा दोनों की दृष्टि से संसाधन को सुनिश्चित करना, भू-जल प्रबंधन और संस्‍थागत मजबूती में भागीदारीमूलक दृष्टिकोण अपनाना है। उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में 11 हजार 851 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र कवर करने वाले छह जिलों को इस पहल के अंतर्गत रखा गया है और मध्‍य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र के 8319 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के पांच जिलों को रखा गया है।

सुश्री भारती ने कहा कि मंत्रालय द्वारा सिंचाई अंतर पाटने की योजना (आईएसबीआईजी) तैयार की जा रही है। इसका उद्देश्‍य सीएडीडब्‍ल्‍यूएम कार्य पूरा करना और साथ-साथ सृजित सिंचाई क्षमता (आईपीसी) तथा उपयोग की गई सिंचाई क्षमता (आईपीयू) के बीच खाई को पाटने के लिए नहर नेटवर्क में कमियों को सुधारना, सिंचाई में जल उपयोग क्षमता बढ़ाना और प्रत्‍येक खेत को जल सप्‍लाई सुनिश्चित करना तथा जल उपयोगकर्ता संघों (डब्‍ल्‍यूयूए) को सिंचाई प्रणाली का नियंत्रण और प्रबंधन हस्‍तां‍तरित करना है। उत्‍तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में बेतवा तथा गुरसराय नहर, राजघाट नहर, केन नहर प्रणाली, गुंटा नाला डैम तथा उपरी राजघाट नहर के 17,1030 हेक्‍टेयर को पाटने की योजना का प्रस्‍ताव है। इस योजना से बुंदेलखंड क्षेत्र के झांसी, जालौन, हमीरपुर, ललितपुर, बांदा जिलों को लाभ मिलेगा। मध्‍य प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र की राजघाट नहर परियोजना को 68007 हेक्‍टेयर को पाटने की योजना का प्रस्‍ताव है। इस योजना से टिकमगढ़ और दतिया जिलों को लाभ मिलेगा।

जल संसाधन मंत्री ने कहा कि महाराष्‍ट्र के मराठवाड़ा क्षेत्र में आईपीसी तथा आईपीयू के बीच 53365 हेक्‍टेयर को पाटने के लक्ष्‍य के साथ सात योजनाओं का प्रस्‍ताव है। इस योजना से औरंगाबाद, लातूर, नांदेड़, परभनी, शोलापुर तथा उस्मानाबाद जिलों को लाभ मिलेगा और इस पर 250 करोड़ रुपये खर्च होंगे। मराठवाड़ा के 3727 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को राष्‍ट्रीय भूजल प्रबंधन सुधार योजना के अंतर्गत लाने का प्रस्‍ताव है। इस पर 380 करोड़ रुपये का अनुमानित खर्चा आएगा। मराठवाड़ा क्षेत्र के 9101 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की एक्विफर मैपिंग पूरी हो गई है। 7775 वर्ग किलोमीटर का प्रबंधन प्‍लान महाराष्‍ट्र सरकार को सौंपा गया है।

सुश्री भारती ने कहा कि ओडिशा के कालाहांडी, बोलंगी, कोरापुट (केबीके) क्षेत्र में पीआईसी तथा आईपीयू के बीच अंतर पाटने के लिए 0.68 लाख हेक्‍टेयर क्षेत्र कवर करने की 9 परियोजनाओं का प्रस्‍ताव है। इससे केबीके क्षेत्र के मलकानगीरी, बोलंगी, नुआपाड़ा, रायगड़, कालाहांडी तथा बारगढ़ जिलों को लाभ मिलेगा। क्षेत्र में 305 कुएं बनाये जाएंगे। पीएमकेएसवाई के अंतर्गत केन्‍द्रीय सहायता उपलब्‍ध कराने के लिए केबीके क्षेत्र के 89 जल निकायों को 32करोड़ रुपये की अनुमानित लागत और 5739 हेक्‍टेयर की संभावित क्षमता को पुनर्जीवित करने के लक्ष्‍य के साथ शामिल किया गया है। ये जल निकाय ओडिशा में 760 जल निकायों के क्‍लस्‍टर का हिस्‍सा हैं। इनके लिए 107करोड़ रुपये की केन्‍द्रीय सहायता जारी की गई है। 99 जारी बड़ी मझौली सिंचाई परियोजना को एआईबी के अंतर्गत चरणबद्ध तरीके से मार्च, 2019 तक पूरा किया जाएगा। चार परियोजनाओ-लोअर इन्‍द्र (केबीके), अपर इन्‍द्रावती (केबीके), आरईटी सिंचाई तथा तेलनगिरी से केबीके क्षेत्र को लाभ मिलेगा। इन योजनाओं की अधिकतम सिंचाई क्षमता1.44 लाख हेक्‍टेयर है। 2016-17 के दौरान एआईबीपी तथा सीएडी योजनाओं के अंतर्गत इन योजनाओं के लिए233 करोड़ रुपये की राशि जारी की गई।

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More