34 C
Lucknow
Online Latest News Hindi News , Bollywood News

नैनीझील के संरक्षण पर आयोजित कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए: राज्पाल डा कृष्ण कांत पाल

उत्तराखंड

देहरादून: राज्यपाल डाॅ. कृष्ण कांत पाल ने कहा कि नैनी झील के संरक्षण में नैनीताल शहर के नागरिकों की सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका है। नैनी झील के संरक्षण के  लिए अब एक्शन मोड़ में आना होगा। वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों के सुझावों पर शीघ्र क्रियान्वयन करना होगा। नैनीताल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सुनिश्चित करते हुए पानी के दुरूपयोग पर पूरी तरह से रोक लगानी होगी। राज्यपाल, सोमवार को राजभवन सभागार मे ंयूएनडीपी द्वारा ‘‘नैनी झील के संरक्षण के लिए वैज्ञानिक व तकनीकी उपाय’’ विषय पर आयोजित कार्यशाला के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे।

राज्यपाल ने कहा कि नैनीताल झील के संरक्षण के लिए समय-समय पर अनेक सेमीनार किए गए हैं जिनमें विशेषज्ञों ने अपने सुझाव दिए हैं। विभिन्न संस्थाओं व समितियों द्वारा भी व्यापक अध्ययन कर रिपोर्ट तैयार की गई हैं। अब समय आ गया है कि नैनीताल झील को बचाने के लिए इन सुझावों का ठोस क्रियान्वयन  सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने इसके लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की गई है। माननीय उच्च न्यायालय ने भी दिशा निर्देश दिए हैं। इसलिए स्थानीय प्रशासन को गम्भीरता के साथ इस पर काम करना होगा।

राज्यपाल ने कहा कि सर्वाधिक महत्वपूर्ण जिम्मेवारी नैनाताल के नागरिकों को उठानी होगी। नैनीताल शहर  पीने के पानी की आपूर्ति के लिए नैनी झील पर निर्भर है। प्रति वर्ष  यहां की आबादी से कई गुना अधिक पर्यटक आते हैं। इनके लिए भी पानी की व्यवस्था करनी होती है। हमें समुचित  जल प्रबंधन व सस्टेनेबल टूरिज्म की अवधारणा को अपनाना होगा। पीने के पानी के दुरूपयोग को रोका जाए। रेन वाटर हार्वेस्टिंग को प्रोत्साहित करने के साथ ही यह भी सुनिश्चित किया जाए कि इससे प्राप्त पानी सीवरेज में न जाए। नैनीताल के लिए पानी के वैकल्पिक स्त्रोत को विकसित करना होगा। साथ ही यह भी देखा जाए कि क्या नैनीताल आने वाले पर्यटकों के एक भाग को निकटवर्ती दूसरे पर्यटन स्थल जाने के लिए पे्ररित किया जा सकता है।

राज्यपाल ने ढांसा, बड़कल व सुरजकुंड आदि झीलों का उदाहरण देते हुए कहा कि ये सभी कभी दिल्ली के पास स्थित महत्वपूर्ण झीलें थीं, परंतु अब ये सभी सूख चुकी हैं। ये हम सभी की जिम्मेवारी है कि नैनी झील की हालत इन झीलों जैसी न हो। इसके लिए दृढ़ इच्छा शक्ति से काम करना होगा। सामान्य बुद्धिमत्ता का प्रयोग करते हुए सामान्य नागरिक भी नैनी झील के संरक्षण में अपनी भूमिका निभा सकता है।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेद्र सिंह रावत ने कहा कि पूरे प्रदेश में जलस्त्रोतों व नदियों के पानी में कमी आई है। हम सभी इसके लिए चिंतित हैं। नैनी झील के लिए रणनीति बनाते हुए समयबद्ध तरीके से कार्ययोजना बनानी होगी। शहर के पीने के पानी के लिए विकल्प विकसित करने होंगे। स्थानीय सहभागिता सुनिश्चित करनी होगी। राज्य सरकार ने नैनी झील के साथ ही पूरे प्रदेश में जल संरक्षण के लिए दृढ़ संकल्प के साथ काम शुरू किया है। 25 मई को जल संचय-जीवन संचय अभियान संचालित किया गया था। बिंदाल व रिस्पना के पुनर्जीवीकरण के लिए अभियान प्रारम्भ किया गया है। वहां एक दिन निश्चित करके व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण व सफाई का काम एक ही दिन में किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि यूएनडीपी की कार्यशाला में जो भी सुझाव आएंगें, उन्हें राज्य सरकार कार्यरूप में परिणत करेगी।

इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, प्रमुख सचिव श्री आनंदबर्धन, यूएनडीपी के एडिशनल कंट्री डायरेक्टर  डाॅ. राकेश कुमार, सचिव श्री रविनाथ रमन, प्रोफेसर एसपी सिंह, विभिन्न संस्थाओं से प्रतिभाग करने आए वैज्ञानिक व विशेषज्ञ उपस्थित थे।

इसके बाद कार्यशाला में तीन सत्र और आयोजित किए गए। दूसरे सत्र में ‘‘झील के जलस्तर में गिरावट के कारण, शोध आवश्यकताएं व सम्भावित समाधान‘‘, तीसरे सत्र में ‘‘नैनीताल का बदलता भूदृश्यः पारिस्थितिक दृष्टिकोण व मानवीय दबाव‘‘ जबकि चैथे सत्र में ‘‘संगठनों की भूमिका, क्रियान्वयन रणनीति व कार्य बिंदु’’ विषय पर व्यापक विचार विमर्श किया गया।

 

Related posts

Leave a Comment

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More