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दून बुद्धिस्ट सोसायटी द्वारा आयोजित भीम महोत्सव का शुभारम्भ अवसर पर मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत

उत्तराखंड

देहरादून: मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि महापुरूष सबके होते है। उन्हें एक जाति व वर्ग से नही जोड़ा जाना चाहिए। परेड ग्राउण्ड, देहरादून में दून बुद्धिस्ट सोसायटी द्वारा आयोजित भीम महोत्सव का शुभारम्भ करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि डाॅ.भीमराव अम्बेडकर देश के संविधान निर्माता ही नही आजादी के बाद विदेश नीति में भी उनका योगदान रहा।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि यदि आजादी के बाद सांस्कृतिक आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय संबंध बनाये जाने के प्रयास होते तो कई समस्याओं का समाधान हो जाता। उन्होंने कहा कि नेपाल हिन्दु राष्ट्र है। तिब्बत, चीन व जापान में बौद्ध धर्म के अनुयायी है। बौद्ध धर्म की जड़ भारत में ही है। बौद्ध धर्म भारत में ही प्रफुल्लित हुआ। इसमें भारत की मिट्टी की सुगंध है। डाॅ.भीमराव अम्बेडकर ने जिस काल व परिस्थितियों मंे जन्म लिया, उस समय छुआ-छूत चरम सीमा पर था। उस समय डाॅ.अम्बेडकर के समक्ष मुस्लिम, ईसाई आदि धर्म अपनाने का भी दबाव रहा किन्तु उन्होंने देश व समाज हित में बौद्ध धर्म अपनाना तथा बुद्ध की शिक्षाओं को ग्रहण कर बुद्धं शरणं गच्छामि का अनुसरण किया। इस धर्म की अच्छाइयों को समझकर छुआ-छूत को मिटाने तथा मनुष्यों में भेद भाव न करने की भी शिक्षा उन्होंने दी। मनुष्य-मनुष्य में भेद करना कष्टकारी होता है। यह एक संवेदनशील व्यक्ति ही समझ सकता है। एक ही मिट्टी व संस्कृति मंे जन्में व्यक्तियों में भेद-भाव करना अमानवीय है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज बुद्ध की शिक्षाओं को समझने की जरूरत है। हम तभी सुखी व समृद्ध रह सकते है जब हम एक कमाये सबको खिलाये की सोच रखे तभी समाज आगे बढेगा। मुख्यमंत्री ने भीम महोत्सव के आयोजन के लिये दून बुद्धिस्ट सोसायटी को परेड ग्राउण्ड स्थित आयोजन स्थल को निःशुल्क उपलब्ध कराने की भी सहमति दी।

विधायक श्री देशराज कर्णवाल ने कहा कि बुद्ध शांति के प्रतीक है। डाॅ.भीमराव अम्बेडकर महिला शिक्षा के हिमायती रहे। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी भी महिला शिक्षा के प्रति विशेष ध्यान दे रहे है। उन्होंने समाज के सभी वर्गों के विकास के लिये मुख्यमंत्री के प्रयासों की भी सराहना की।

बौद्ध गुरू शाक्या ट्रिजिन रत्ना रिमपोछे ने कहा कि भारत बुद्ध की भूमि है। मैत्री और करूणा उनका सिद्धान्त है। उनके सिद्धान्त हमें प्रेम और मोहब्बत के साथ रहने की शिक्षा देते है। आज जरूरत है मैत्री और करूणा के संदेश को विश्वभर में फैलाने की। उन्होंने डाॅ.अम्बेडकर को प्रतिष्ठित व्यक्तित्व तथा संविधान निर्माता बताया। इस अवसर पर दून बुद्धिस्ट सोसायटी के अध्यक्ष श्री राजेश सिंह, पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी श्री चन्द्र सिंह, श्री संतलाल आदि उपस्थित थे।

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