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‘डिजिटल समावेशन वित्‍तीय समावेशन की बुनियाद है’: श्री रविशंकर प्रसाद

‘डिजिटल समावेशन वित्‍तीय समावेशन की बुनियाद है’: श्री रविशंकर प्रसाद
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नई दिल्ली: संयुक्‍त राष्‍ट्र द्वारा ‘वित्‍तीय समावेशन’ पर आयोजित सम्‍मेलन में केन्‍द्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स एवं सूचना प्रौद्योगिकी तथा विधि एवं न्‍याय मंत्री श्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा, ‘डिजिटल समावेशन वित्‍तीय समावेशन की बुनियाद है। जहां तक डिजिटल प्‍लेटफॉर्म का सवाल है, प्रतिबद्धता के लिए हमारा कुछ विशिष्‍ट मूलभूत दृष्टिकोण है। सबसे पहले, हम विश्‍व में डिजिटल क्रांति के क्षेत्र में अग्रणी बनना चाहते हैं। हमारी इस पहल की दूसरी महत्‍वपूर्ण विशेषता यह है कि हम केवल भारत का डिजिटीकरण ही नहीं करना चाहते, बल्कि हम एक ऐसी प्रौद्योगिकी तैयार करना चाहते हैं, जो बदलावकारी हो, जो भारत के साथ-साथ भारतवासियों को भी सशक्‍त बनाए।’

श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, ‘यह युग सूचना का युग है और सूचना ही शक्ति है। यह युग प्रौद्योगिकी का युग है और प्रौद्योगिकी ही शक्ति है तथा इस प्रौद्योगिकी को भारत को आवश्‍यक तौर पर सशक्‍त बनाना चाहिए।’ हम एक डिजिटल व्‍यवस्‍था भी तैयार करना चाहते हैं, जो डिजिटल समावेशन का मार्ग प्रशस्‍त करे। डिजिटल इंडिया, गरीबों और वंचितों के प्रति ज्‍यादा महत्‍वपूर्ण है। हम डिजिटल इंडिया, मेक इन इंडिया, स्‍टार्ट अप इंडिया, स्‍मार्ट सिटीस, स्किल इंडिया जैसे अनेक परिवर्तनकारी कदम उठा रहे हैं। ये सभी प्रौद्योगिकी आधारित कार्यक्रम हैं, डिजिटल समावेशन इनके बीच समान कड़ी होना चाहिए।’

श्री रविशंकर प्रसाद ने अपनी बात समाप्‍त करते हुए कहा, ‘डिजिटल समावेशन की बात करते समय तीन और बातों को ध्‍यान में रखना आवश्‍यक है। पहला, प्रौद्योगिकी आवश्‍यक रूप से किफायती होनी चाहिए, दूसरा, प्रौद्योगिकी समावेशन का मार्ग प्रशस्‍त करने वाली होनी चाहिए और तीसरा, प्रौद्योगिकी विकासात्‍मक होनी चाहिए।’

दुनिया भर में वित्‍तीय समावेशन के विशालतम कार्यक्रमों में से एक प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तीन वर्ष पूरे होने के बाद आज वित्‍तीय समावेशनों, पहुंच और प्रौद्योगिकियों में नवाचारों की पहल करने संबंधी भारत की मिसाल अन्‍य देशों के लिए महत्‍वपूर्ण सबक उपलब्‍ध करा सकती है।

दिन भर के इस सम्‍मेलन में भौतिक पहुंच और वित्‍तीय समावेशन के बुनियादी ढांचे, अधिकतम वित्‍तीय पहुंच और महिलाओं तथा समाज के हाशिये पर मौजूद लोगों के समूहों के लिए साक्षरता तथा भविष्‍य की राह तय करने के लिए प्रौद्योगिकी और नवाचार के इस्‍तेमाल पर ध्‍यान केन्द्रित किया गया।

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