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जीएसटी के तहत राष्ट्रीय एंटी-प्रॉफिटिंग प्राधिकरण की स्थापना को मंजूरी

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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को वस्तु और सेवा कर (जीएसटी) की दरों में कमी का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचाए जाने को सुनिश्चित करने के लिए ‘राष्ट्रीय मुनाफाखोरी प्राधिकरण’ के गठन को मंजूरी दी। यह प्राधिकरण जीएसटी प्रणाली के तहत काम करेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने उक्त आशय संबंधित निर्णय लिया। बुधवार को सरकार ने जीएसटी परिषद के सुझावों के अनुरुप दरों में कटौती को मंजूरी दे दी थी। इसके बाद उपभोक्ताओं तक इसका लाभ पहुंचे इसे सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय मुनाफाखोरी प्राधिकरण के रूप में एक शीर्ष निकाय का गठन किया गया है। सचिव के स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी के नेतृत्व में गठित होने वाले इस प्राधिकरण में चार तकनीकी सदस्य होंगे, जो केन्द्र और राज्यों से चुने जाएंगे। मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि सरकार का यह फैसला उपभोक्ताओं को यह आश्वस्त करने के लिए है कि उनके हितों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। सरकार यह भी सुनिश्चित करेगी की वस्तु और सेवाकर की कम हुई दरों को प्रभावी ढंग से लागू किया जाए ताकि इसका लाभ उपभोक्ताओं को मिल सके। 14 नवंबर 2017 की अर्द्ध रात्रि से लागू जीएसटी की दरों में 178 वस्‍तुओं के अंतर्गत आने वाली वस्‍तुओं पर जीएसटी की दर को 28 प्रतिशत से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया है।

अब केवल ऐसी 50 वस्‍तुएं ही रह गईं है जिन पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगेगा। इसी तरह अनेक वस्‍तुओं में भी जीएसटी की दरों में 18 से 12 प्रतिशत की कटौती की गई है और कुछ वस्‍तुओं को जीएसटी से पूर्ण रूप से छूट दे दी गई है। जीएसटी कानून में उल्लेखित मुनाफारोधी उपाय यह सुनिश्चित करने के लिए संस्‍थागत ढांचे की व्‍यवस्‍था करती है कि वस्‍तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर इनपुट टैक्‍स क्रेडिट और जीएसटी की घटी हुई दरों का पूर्ण लाभ उपभोक्‍ताओं तक पहुंचे। इस संस्‍थागत ढांचे में एनएए, एक स्‍थायी समिति, प्रत्‍येक राज्‍य में छानबीन समितियां और केन्‍द्रीय उत्‍पाद एवं सीमा शुल्‍क बोर्ड (सीबीईसी) में सेफ गार्ड्स महानिदेशालय शामिल हैं।

ऐसे प्रभावित उपभोक्‍ता जो ऐसा महसूस करते हैं कि वस्‍तुएं या सेवाएं खरीदने पर उन्‍हें जीएसटी की कीमतों में कटौती का लाभ नहीं मिल रहा है तो वे अपने संबंधित राज्‍य में छानबीन समिति के समक्ष राहत के लिए आवेदन कर सकते हैं। यद्यपि अखिल भारतीय स्‍तर पर बृहत जन-उपभोग की वस्‍तु से संबंधित मुनाफाखोरी की स्थिति में आवेदन सीधे स्‍थायी समिति को दिया जा सकता है। प्रथम दृष्‍टया विचार बनाने के पश्‍चात इसमें मुनाफाखोरी का एक घटक है, तो स्‍थायी समिति मामले की विस्‍तृत जांच के लिए सैफ गार्ड्स महानिदेशालय (सीबीईसी) को भेज सकती है, जो कि अपनी जांच रिपोर्ट एनएए को भेजेगी। यदि एनएए यह पुष्टि करती है कि मुनाफाखोरी विरोधी उपायों को लागू करने की आवश्‍यकता है तो इसे आपूर्तिकर्ता/संबंधित व्‍यवसाय को उसकी कीमत घटाने या वस्‍तुओं या सेवाओं पर लिए ये गैर कानूनी लाभ को ब्‍याज सहित उपभेाक्‍ता को लौटाने का आदेश देने का अधिकार प्राप्‍त है।

यदि गैर-कानूनी लाभ को उपभोक्‍ता तक नहीं पहुंचाया जा सकता तो इसे उपभोक्‍ता कल्‍याण निधि में जमा करने का आदेश दिया जा सकता है। बहुत गभीर स्थिति में, एनएए चूककर्ता व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठान पर जुर्माना लगा सकती है और जीएसटी के अंतर्गत उसका पंजीकरण भी रद्द कर सकती है।एनएए का गठन उपभोक्‍ताओं का विश्‍वास बढ़ाएगा क्‍योंकि विशेष रूप से जीएसटी की दरों में हाल ही में की गई कटौती और सामान्‍य रूप से जीएसटी के लाभ उन तक पहुंचेंगे।

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