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चारधाम महामार्ग परियोजना के तहत उत्‍तराखंड में सिल्‍कयारा बेंद बारकोट टनल को मत्रिमंडल की मंजूरी

देश-विदेश

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने उत्तराखंड में 4.531 किलोमीटर लंबी दो लेन वाली दो तरफा सिल्कयारा बेंद बारकोट टनल के निर्माण को मंजूरी दे दी है। इस टनल से निकलने काएक सुरक्षित मार्ग भी होगा। इसमें उत्तराखंड में चैनेज के बीच धारसू-यमनोत्री सेक्शन पर 25.400 किलोमीटर और 51.000 किलोमीटर का दो प्रवेश मार्ग होगा। ये परियोजना उत्तराखंड राज्य में राजमार्ग संख्या  134 (पुराने राजमार्ग संख्या 94) के बीच में पड़ेगी। इसका काम इंजीनियरिंग, अधिप्राप्ति और निर्माण मोड के तहत किया जाएगा। इसका वित्त पोषण सड़क परिवहन और राष्ट्रीय राजमार्ग मंत्रालय द्वारा एनएच(ओ) स्कीम के तहत किया गया है। यह महत्वाकांक्षी चार धाम परियोजना का हिस्सा है।

परियोजना निर्माण की अवधि 4 वर्ष है। इसके निर्माण पर 1119.69 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत आएगी। परियोजना का कुल खर्च 1383.78 करोड़ रूपये होगा। इसमें भूमि अधिग्रहण और पुनर्वास,निर्माण पूर्व की अन्य गतिविधियां तथा 4 वर्षों तक टनल की मरम्मत और परिचालन के खर्च भी शामिल होंगे।

टनल के निर्माण से चारधाम यात्रा के एक धाम यमुनोत्री तक जाने के लिए हर तरह के मौसम में संपर्क मार्ग उपलब्ध होगा। इससे क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास के साथ ही व्यापार और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा। इससे धारसू से यमुनोत्री के बीच सड़क मार्ग की दूरी करीब 20 किलोमीटर कम हो जाएगी और यात्रा समय भी करीब एक घंटा कम हो जाएगा। प्रस्तावित टनल के निर्माण के दौरान बड़ी संख्या में उन पेड़ों को हटाने से बचाया जा सकेगा, जिन्हें 25.600 किलोमीटर लंबे सड़क मार्ग के उन्नयन के दौरान मूल नक्शे के तहत काटा जाना था।

यह परियोजना राष्ट्रीय राजमार्ग और अवसंरचना विकास लिमिटेड(एनएचआईडीसीएल)के जरिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित की जाएगी। एनएचआईडीसीएल सरकार की पूर्ण स्‍वामित्‍व वाली कंपनी है, जिसकी स्थापना 2014 में राज्यों से लगी अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर सड़कों के विकास के लिए की गई थी।

परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड में 4.531 किलोमीटर लंबी दो लेन वाली दो तरफा टनल का निर्माण करना है, इसके साथ ही इसमें 328 मीटर लंबे संपर्क सड़क तथा धारसू-यमनोत्री के बीच निकलने केसुरक्षित मार्ग का निर्माण भी शामिल है।

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