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केंद्रीय गृह मंत्री ने आईडब्ल्यूडीआरआई 2018 का उद्घाटन किया

देश-विदेश

नई दिल्लीः केंद्रीय गृह मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना (आईडब्ल्यूडीआरआई) विषय पर आयोजित एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का उद्घाटन किया। इस दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन संयुक्त राष्ट्र आपदा जोखिम न्यूनीकरण (यूएनआईएसडीआर) के सहयोग से राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) ने किया है।

आपदा प्रतिरोधी अवसरंचना के महत्व को रेखांकित करते हुए श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह आर्थिक विकास के लिए अवसरों का सृजन करता है तथा यह सतत विकास में प्रमुख भूमिका निभाता है। ‘जिस तरीके से आज हम अपने अवसंरचना का निर्माण करते हैं, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए या तो जोखिम का निर्माण करेगा या प्रतिरोधी क्षमता को मजबूती प्रदान करेगा। हमें दूरदृष्टि अपनाने की जरूरत है ताकि हम यह सुनिश्चित कर सके कि हमारी नई अवसंरचनाएं वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के खतरों का समाना कर सकें।’

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आधारभूत संरचना प्रणालियां वैश्विक तौर पर एक दूसरे से जुड़ी हैं। दुनिया के एक हिस्से में आई आपदा दुनिया के दूसरे हिस्से को तबाह कर सकती है। ऐसे में यह आवश्यकत है कि सभी हितधारक चुनौतियों का सामना करने के लिए साथ काम करें और प्रतिरोधी अवसंरचना निर्माण के लिए समाधान प्रस्तुत करें।

वैश्विक सहयोग को मजबूत करने तथा प्रतिरोधी अवसंरचना निर्माण के प्रति भारत की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए श्री राजनाथ सिंह ने प्रधानमंत्री के 10 सूत्री एजेंडा का उदाहरण दिया। इस एजेंडे का उल्लेख नवम्बर, 2016 में नई दिल्ली में आयोजित एशियाइ मंत्री स्तरीय सम्मेलन के दौरान किया गया था। इस सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने सेन्डाई फ्रेमवर्क को लागू करने के लिए तत्काल आवश्यकता पर बल दिया था। प्रधानमंत्री ने कहा था कि अवसंरचना में निवेश की आवश्यकता है ताकि यह वर्तमान के साथ-साथ भविष्य के खतरों का भी सामना कर सके।

श्री राजनाथ सिंह ने प्राचीन भारतीय सभ्यता में मजबूत संरचनाओं का उदाहरण देते हुए कहा कि अवसंरचना, सदियों से मावन सभ्यता को आकार देती रही है। हमारे पूर्वजों ने अवसंरचना विकास में अत्यधिक दूरदृष्टि का परिचय दिया है। उन्होंने ऐसी संरचनाओं का निर्माण किया जिन्होंने पीढ़ियों तक हमारी सेवा की।

केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि आने वाले दशकों में सतत विकास के लिए अवसंरचना प्रमुख भूमिका निभाएगा। संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों में भी इसे मान्यता दी गई है। आने वाले 20 वर्षों में हम जितने संरचनाओं का निर्माण करेंगे वे पिछले 2000 वर्षों के दौरान हुए निर्माणों से अधिक होंगी। वैश्विक स्तर पर अवसंरचना निर्माण के लिए 2040 तक 100 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी। 2030 तक केवल एशिया में ही 26 ट्रिलियन डॉलर की आवश्यकता होगी।

 श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि जलवायु परिवर्तन भी आपदा प्रतिरोधी अवसंचना निर्माण में एक चुनौती है। कोई भी देश अकेला ही आपदा प्रतिरोधी अवसंचना का निर्माण नहीं कर सकता।

प्रधानमंत्री के अतिरिक्त प्रधान सचिव डॉ. पी. के. मिश्रा ने इस अवसर पर कहा कि आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए सेन्डाई फ्रेमवर्क में अवसंरचना को होने वाली क्षति को कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके साथ ही हमें अन्य लक्ष्यों को भी ध्यान में रखना चाहिए। यदि आपदाएं हमारी संरचनाओं को क्षति पहुंचाती हैं तो हम मृतकों और प्रभावित लोगों की संख्या में कमी नहीं कर सकते और न ही प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली क्षति को ही कम किया जा सकता है।

एनडीएमए के सदस्य श्री आर. के. जैन ने अवसंरचना में जोखिम को कम करने के लिए सम्मिलित प्रयास की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला परस्पर सहयोग के लिए विचारों के आदान-प्रदान हेतु एक अवसर भी प्रदान करता है।

संयुक्त राष्ट्र महा सचिव के विशेष प्रतिनिधि (आपदा जोखिम न्यूनीकरण) डॉ. राबर्ट ग्लाशर ने कहा कि पूरे विश्व में शहरीकरण की गति एक ऐसा अवसर प्रदान करती है जिसके अंतर्गत नए जोखिमों के निर्माण से बचा जा सकता है और भविष्य में होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है। भारत में विश्व बैंक के निदेशक श्री जुनैद कमल अहमद ने कहा कि आधुनिक विश्व में वित्तीय जोखिम प्रतिरोधी क्षमता निर्माण के लिए वित्तीय बाजारों को मजबूत बनाए जाने की आवश्यकता है।

गृह सचिव श्री राजीव गाबा भी उद्घाटन सत्र में उपस्थित थे।

इस कार्यशाला में 23 देशों के विशेषज्ञ तथा विकास बैंक, संयुक्त राष्ट्र, निजी क्षेत्र, शिक्षा जगत आदि के प्रतिनिधि तथा अन्य हितधारक भी भाग ले रहे हैं।

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