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उ0प्र0 अनुसूचित जाति और जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री बृजलाल ने इन्द्रिरा भवन में की प्रेसवार्ता

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उ0प्र0 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के समक्ष अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के वर्ग के लोगों के द्वारा तथा उनका प्रतिनिधित्व करने वाले लोगों द्वारा यह तथ्य सज्ञान में लाया जा रहा है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय द्वारा संवैधानिक उपबंधों एवं न्यायिक निर्णयों को नजरअंदाज करते हुए आरक्षण के नियमों का अनुपालन नहीं किया जा रहा है। यह जानकारी उत्तर प्रदेश अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष श्री बृजलाल ने आज इन्द्रिरा भवन 10 वाॅं तल स्थित अपने कार्यालय कक्ष में प्रेसवार्ता के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि उ0प्र0 अनुसूचित  जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग एक सांविधिक संस्था है जिसका गठन उ0प्र0 अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग अधिनियम, 1995 के माध्यम से किया गया है। आयोग का प्रमुख कार्य है कि वह अनुसूचित जातियों और जनजातियों के अधिकारों और रक्षोपायों से वंचित किये जाने के सम्बन्ध मंे विशिष्ट शिकायतों की जांच करना।यह उल्लेखनीय है कि सन् 1877 में सर सैयद अहमद द्वारा मोहम्मडन एंग्लो ओरियन्टल कालेज शैक्षणिक संस्था के रूप में प्रारम्भ किया गया। इसके पश्चात् विश्वविद्यालय, जो अलीगढ़ में स्थित हों, को प्रारम्भ करने के लिए एक फाउन्डेशन कमेटी गठित की गयी और उसने विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए आवश्यक धन इकट््ठा करना प्रारम्भ किया। जिसमें प्रमुख रूप से महाराजा विजयनगरम, ठा0 गुरू प्रसाद सिंह, कुॅवर जगजीत सिंह (बिजनौर), राजा हरि किशन सिंह, महाराजा दरभंगा, राय शंकर दास मुजफ्फरनगर, महाराजा पटियाला (जिन्होंने 58 हजार रूपये उस समय दान किया था), महाराजा महेन्द्र प्रताप सिंह आदि ने भूमि व पैसे दान दिये।

गौरतलब बात यह है कि इस कमेटी को अनुदान मुस्लिम और गैर मुस्लिम लोगों द्वारा दिया गया जिसके पश्चात् अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय 1920 अधिनियम के माध्यम से स्थापित किया गया।भारतीय संविधान के निर्माता डा0 भीमराव अम्बेडकर ने भी संविधान सभा में यह घोषित किया कि ए0एम0यू0, बी0एच0यू0 की तरह संविधान की 7वीं अनुसूची में संघीय सूची में रखा गया है जिसका तात्पर्य यह है कि उस पर संघीय कानून लागू होगा।तत्कालीन शिक्षा मंत्री मौलाना आजाद का भी यही मत था कि ए0एम0यू0 अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। उनके इसी मत का समर्थन डा0 जाकिर हुसैन ने भी किया था। तत्कालीन शिक्षा मंत्री मो0 करीम छागला ने 1965 में संसद में दिये गये भाषण में यह कहा कि ए0एम0यू0 कोई अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। ए0एम0यू0 की स्थापना न तो मुस्लिम समुदाय द्वारा की गयी और न ही इसका संचालन मुस्लिम समुदाय द्वारा किया जाता है। इसके बाद तत्कालीन शिक्षा मंत्री श्री नुरूल हसन ने यह कहा कि ए0एम0यू0 को अल्पसंख्यक संस्थान घोषित करने की मांग न तो देश के हित में है और न ही मुसलमानों के हित में ही है। सन् 1990 में ए0एम0यू0 द्वारा मुसलमानों को विष्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में 50 प्रतिशत आरक्षण दिये जाने की व्यवस्था की गयी थी। दिनांकः 20.08.1989 को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के कोर्ट ने विद्यार्थियों के प्रवेश में 50 प्रतिशत आरक्षण मुसलमान विद्यार्थियों के लिए करने का एक प्रस्ताव पारित करके राष्ट्रपति महोदय के पास स्वीकृति हेतु भेज दिया। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास में (1920 से लेकर 1989 तक) यह प्रथम अवसर था, जब ए0एम0यू0 में मुस्लिम आरक्षण का प्रस्ताव तैयार किया गया था। भारत के राष्ट्रपति का ए0एम0यू0 प्रशासन को उत्तर: भारत के राष्ट्रपति महोदय, अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के विजिटर भी हैं।

उन्होंने इस प्रस्ताव के ऊपर अपने उत्तर में विश्वविद्यालय को लिखा कि विश्वविद्यालय में मुस्लिम आरक्षण असंवैधानिक है। बाद में ए0एम0यू0 के उक्त संशोधन को मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में याचिका दायर कर चुनौती दी गयी। इस संशोधन को मा0 उच्च न्यायालय, इलाहाबाद ने असंवैधानिक करार दिया और यह स्पष्ट किया कि ए0एम0यू0 अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है। यहां यह बताते चलें कि मा0 सर्वोच्च न्यायालय ने अजीज बासा बनाम भारत संघ के मामले में 1967 में ही सर्वसम्मति से यह स्पष्ट कर दिया था कि ए0एम0यू0 की स्थापना न तो मुस्लिम समुदाय द्वारा की गयी थी और न ही यह विश्वविद्यालय कभी मुसलमानों द्वारा संचालित किया गया।  अतः ए0एम0यू0 की प्रास्थिति के सम्बन्ध में स्वतंत्रता के पूर्व एवं स्वतंत्रता के पश्चात् विभिन्न नेताओं के द्वारा एवं मा0 उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के निर्णयों के आलोक में यह पूर्णतः स्थापित है कि ए0एम0यू0 एक अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय नहीं है जैसा कि आयोग के समक्ष अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के द्वारा यह तथ्य संज्ञान में लाया गया है कि ए0एम0यू0 में ऐसे वर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ प्रदान नहीं किया गया है।

आयोग अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति को अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में आरक्षण न दिये जाने के सम्बन्ध में अपनी गम्भीर अप्रसन्नता व्यक्त करता है और यह मानता है कि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय आरक्षण के सम्बन्ध में अपने संवैधानिक दायित्व का निर्वहन करने में असफल रहा है।आयोग ने कुल सचिव अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय, अलीगढ़ को आज दिनांकः 04.07.2018 को पत्र जारी किया है कि वह आयोग को अवगत करायें कि अभी तक संस्थान द्वारा अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजातियों के लोगों को संविधान प्रदत्त आरक्षण का लाभ क्यों नहीं दिया गया और ऐसा किंन परिस्थितियों में किया गया क्योंकि मा0 उच्चतम न्यायालय द्वारा भी अभी तक ऐसा कोई निर्णय नहीं दिया गया है जिसमें अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों को ए0एम0यू0 में आरक्षण देने से मना किया गया हो। इस सम्बन्ध में ए0एम0यू0. प्रशासन से दिनांकः 08.08.2018 तक आख्या मांगी गयी है।

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