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उत्तर प्रदेश एवं झारखण्ड राज्य आपस में मिलकर देंगे खादी को बढ़ावा: सत्यदेव पचैरी

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री श्री सत्यदेव पचैरी ने कहा कि खादी को बढ़ावा देने के लिए उत्तर प्रदेश एवं झारखण्ड राज्य आपस में मिलकर काम करेंगे। दोनो प्रदेश में स्थापित खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों के उत्कृष्ट उत्पाद एवं तकनीकी साझा की जायेगी, ताकि अधिक से अधिक लोगों को स्वरोजगार से जोड़ा जा सके। उन्होंने कहा कि बोर्ड मुख्यालय पर निर्मित नवीन भवन में खादी एवं ग्रामोद्योग इम्पोरियम का शुभारभ आगामी 2 अक्टूबर को किया जायेगा।

श्री पचैरी ने यह विचार आज यहां उ0प्र0 खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड कार्यालय में उत्तर प्रदेश एवं झारखण्ड में खादी के उत्थान के संबंध में आयोजित उच्च स्तरीय बैठक में व्यक्त किये। इस बैठक में झारखण्ड राज्य खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के अध्यक्ष श्री संजय सेठ ने भी भाग लिया। श्री सत्यदेव पचैरी ने कहा कि प्रदेश में स्थापित अधिकांश खादी संस्थाओं द्वारा मोटे सूत का उत्पादन किया जा रहा है, जिससे खेश, दरी, चादर, गमछा, लुंगी तथा अन्य वस्त्र तैयार किये जाते हैं। प्रदेश में महीन सूत का उत्पादन बहुत ही कम है। झारखण्ड में स्थापित खादी संस्थाओं द्वारा महीन सूत का उत्पादन करते हुए उच्च गुणवत्तायुक्त मसलिन वस्त्र तैयार किये जाते हैं, जिसकी वर्तमान बाजार में अत्यधिक मांग है। उन्होंने  प्रदेश में महीन सूत के उत्पादन पर विशेष बल दिया।

खादी मंत्री ने कहा कि बोर्ड मुख्यालय पर निर्मित नवीन भवन के भूतल एवं प्रथम तल पर खादी एवं ग्रामोद्योग इम्पोरियम संचालित किया जायेगा, इसमें प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग इकाइयों के उत्कृष्ट उत्पादों के साथ अन्य प्रदेशों के उत्कृष्ट उत्पादों के विपणन एवं प्रदर्शन की सुविधा मिलेगी तथा एक शोरूम झारखण्ड राज्य के उत्कृष्ट खादी एवं ग्रामोद्योगी उत्पादों की बिक्री के लिए भी दिया जायेगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही माटी कला बोर्ड का गठन होने जा रहा है। प्रदेश में 1.5 प्रतिशत लोग प्रजापति समाज के हैं, उनको आत्मनिर्भर बनाने व कुल्लह्ड़ मिट्टी के बर्तनों की पुरानी पद्धति को वापस लाया जा सकेगा।

श्री संजय सेठ ने झारखण्ड राज्य खादी तथा ग्रामोद्योग बोर्ड के बारे में बताते हुए कहा कि झारखण्ड के छोटे से जिले में कोकून से धागा बनाया जाता है। जिसे लूप में भेजकर वस्त्रों का निर्माण किया जाता है। रेमन्डस जैसी उच्च स्तरीय कम्पनी द्वारा टसर के धागे से बने वस्त्र बड़ी मात्रा में खरीदे जाते हैं। इससे खादी की मांग बढ़ी है और स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है। उन्होंने कहा कि उच्च गुणवत्तायुक्त मसलिन उत्पादन हेतु उत्तर प्रदेश की संस्थाओं में कार्यरत कामगारों को प्रशिक्षण दिलाने में झारखण्ड बोर्ड द्वारा पूर्ण सहयोग प्रदान किया जायेगा। उन्होंने प्रदेश के खादी एवं ग्रामोद्योग मंत्री से झारखण्ड राज्य का भ्रमण करने का आग्रह भी किया।

प्रमुख सचिव, खादी एवं ग्रामोद्योग श्री नवनीत सहगल द्वारा जानकारी दी गयी कि प्रदेश में खादी एवं ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने एवं अधिक से अधिक स्वरोजगार सृजन के उद्देश्य से खादी एवं ग्रामोद्योग विकास एवं सतत् स्वरोजगार प्रोत्साहन नीति लागू की गयी है। उन्होंने यह भी बताया कि प्रदेश में स्थापित खादी एवं ग्रामोद्योगी इकाईयों को विपणन सुविधा उपलब्ध कराने एवं जन सामान्य में खादी एवं ग्रामोद्योग उत्पादों को लोकप्रिय तथा सर्वसुलभ बनाने के उद्देश्य से आन लाइन मार्केटिंग कम्पनी ‘‘अमेजन’’ के साथ सहमति पत्र निष्पादित किया गया है। वर्तमान समय में प्रदेश 40 खादी एवं ग्रामोद्योगी इकाईयों के उत्पादों का चयन करते हुए फोटोशूट आदि की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है तथा 10 इकाईयों के उत्पादन आन लाइन बिक्री हेतु अमेजन के प्लेटफार्म पर उपलब्ध हैं।

श्री अविनाश कृष्ण सिंह, मुख्य कार्यपालक अधिकारी ने बताया कि विगत वर्षों में संचालित बिक्री पर छूट आधारित रिबेट योजना के स्थान पर उत्पादन पर छूट आधारित पं0 दीनदयाल उपाध्याय खादी विपणन विकास सहायता योजना लागू की गयी है। इस योजना में प्रदेश के खादी उत्पादकों को उत्पादन लागत पर वर्ष पर्यन्त 15 प्रतिशत की दर से छूट उपलब्ध करायी जायेगी, जिसमे 05 प्रतिशत अंश संस्थाओं में कार्यरत कामगारों को सीधे उनके खाते में बोनस रूप में दिया जायेगा तथा अवशेष 10 प्रतिशत संस्थाओं को अवस्थापना सुविधा विकास एवं विपणन संवर्द्धन हेतु दिया जायेगा। इस योजना में विगत दो वर्षों में 240 कामगारों को आधुनिक तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान किया गया है और इस वर्ष भी 120 खादी कामगारों को प्रशिक्षित किया जाना प्रस्तावित है। खादी में अधिक से अधिक स्वरोजगार सृजन के उद्देश्य से सोलर चर्खा प्रशिक्षण एवं वितरण योजना प्रस्तावित की गयी है, जिसके प्रथम चरण में प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र के 400 चयनित लाभार्थियों को सोलर चर्खा संचालन प्रशिक्षण प्रदान करते हुए खादी संस्थाओं के माध्यम से स्वरोजगार उपलब्ध कराये जाने का लक्ष्य रखा गया है।

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