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उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत

उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुएः सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत
उत्तराखंड

देहरादून: उच्च शिक्षण संस्थानों में क्वालिटी एजुकेशन सुनिश्चित की जाए। सरकारी महाविद्यालयों व विश्वविद्यालयों के छात्रों के कैरियर ट्रैकिंग की व्यवस्था बनाई जाए। शनिवार को सचिवालय में उच्च शिक्षा विभाग की समीक्षा करते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उक्त निर्देश देते हुए कहा कि ऐकडमिक कैलंडर का कड़ाई से पालन किया जाय। उच्च शिक्षा चयन बोर्ड का गठन किया जाए। राज्य निजी विश्वविद्यालय नियामक प्राधिकरण स्थापित किया जाएगा। उच्च शिक्षण संस्थानो में ड्रेस कोड को लागू किया जाय। 26 निर्माणाधीन काॅलेज पूर्ण करने के लिए 22 करोड़ रूपये दिये जायेंगे।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों में शिक्षा का वातावरण बनाने में कुलपतियों व प्राचार्यों की सर्वाधिक जिम्मेवारी होती है। क्वालिटी एजुकेशन के लिए वातावरण विकसित किया जाय। काॅलेज और विश्वविद्यालय सिर्फ सर्टिफिकेट और डिग्री बाँटने के लिए नहीं है। शिक्षा प्राप्त करने वाले के जीवन में तथा समाज में क्या सुधार हुआ, ये भी देखना होगा। छात्रों के कैरियर ट्रेकिंग की व्यवस्था बनाई जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने निर्देश दिए कि शिक्षण संस्थानों में ऐकडेमिक कैलंडर का कड़ाई से पालन किया जाय। 25 जून को शैक्षिक कैलंेडर घोषित किया जाए। 45 दिन में परीक्षाएँ पूरी कराई जाए। सभी महाविद्यालयों में ई-लाईब्रेरी(आॅन-लाइन लाइबरेरी) की व्यवस्था की जाय। जहाँ कनेक्टीविटी नहीं है, वहाँ एजुसैट जैसी वैकल्पिक व्यवस्था का उपयोग किया जाए। उच्च शिक्षण संस्थानो में ड्रेस कोड को लागू किया जाय। अध्यापकों की कमी को दूर करने के लिए उच्च शिक्षा चयन बोर्ड का गठन किया जाएगा। राज्य के विश्वविद्यालयों में कुलसचिव व उपकुलसचिव के पदों का पृथक संवर्ग गठित किया जाए।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थाओं के विद्यार्थियों द्वारा कम्यूनिटी सर्विस के माध्यम से शत प्रतिशत साक्षरता के लक्ष्य को पाने का प्रयास किया जाय। सामुदायिक सेवा को अनिवार्य किया जाय। कम्यूनिटी सर्विस के माध्यम से युवा शक्ति को गाँवों की प्रति व्यक्ति आय बढ़ाने की दिशा में प्रोत्साहित किया जाय। इस दिशा में ग्रामीणों को रोजगार परक प्रशिक्षण दिया जा सकता है , उनके जीवन सुधार के लिए शोध किए जा सकते हैं। शिक्षा का समाज को लाभ मिलना चाहिए। विश्वविद्यालय स्वामूल्यांकन करें कि उनका ‘‘सोशियो इकोनाॅमिक इम्पैक्ट’’ क्या है।
मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक काॅरपस फंड गठित कर प्रत्येक वर्ष 100 विद्यार्थियों को रिसर्च स्काॅलरशिप प्रदान की जाएगी। काॅलेजों में शुल्क जमा करने के लिए पीओएस काउंटर स्थापित कर कैशलैस अर्थव्यवस्था को लागू किया जाएगा। विद्याा वीरता अभियान के अंतर्गत पीवीसी, विक्टोरिया क्रास प्राप्त सैनिकों के छायाचित्रों को ‘‘वाॅल आॅफ हीरोंज’’ के रूप में उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थापित किया जाएगा।
बैठक में जानकारी दी गई कि उच्च शिक्षा में सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) में उŸाराखण्ड देश में दूसरे स्थान पर है। यहां कुल नामांकन अनुपात 33.1 प्रतिशत, छात्राओं का नामांकन अनुपात 34 प्रतिशत व छात्रों का नामांकन अनुपात 32.3 प्रतिशत है। राज्य में 29 स्नातकोŸार महाविद्यालय व 71 स्नातक स्तर के महाविद्यालय हैं। यहां एक केंद्रीय विश्वविद्यालय व राज्य के उच्च शिक्षा विभाग के अंतर्गत 5 विश्वविद्यालय, 3 डीम्ड विश्वविद्यालय व 12 निजी विश्वविद्यालय हैं। राज्य में 4 राष्ट्रीय महत्व के केंद्रीय संस्थान हैं। उच्च शिक्षा पर वर्ष 2016-17 में कुल व्यय 366.99 करोड़ रहा जबकि वर्ष 2017-18 के लिए कुल प्रस्तावित व्यय 410.75 करोड़ रूपए है। उŸाराखण्ड में नैक द्वारा एक्रेडिटेड 25 महाविद्यालयों में से 19 सरकारी और 6 अनुदानित महाविद्यालय हैं।
बैठक में उच्च शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री धनसिंह रावत, अपर मुख्य सचिव डा. रणवीर सिंह, अपर सचिव डा.राघव लांघर, विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपति व अन्य विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।

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