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इस गांव में रात गुजारी तो जिंदगी भर रखेंगे याद

इस गांव में रात गुजारी तो जिंदगी भर रखेंगे याद
मनोरंजन

किब्बर गांव को दुनिया का सबसे ऊंचा गांव माना जाता है। समुद्र तल से 4850 मीटर की ऊंचाई पर बसा यह गांव हिमाचल प्रदेश के स्पीति घाटी में है। प्रदेश की राजधानी शिमला से तकरीबन 430 किलोमीटर दूर किब्बर गांव में कई बौद्ध मठ हैं। किब्बर में बनी मॉनेस्ट्री सबसे ऊंचाई पर बनी है।

किब्बर पहुंचने के लिये कुंजम दर्रे से होकर स्पीति घाटी पहुंचना होता है। इसके बाद का 12 किलोमीटर का रास्ता बेहद कठिन है। लोसर गांव में पहुंचते ही ताजगी का अहसास होता है। स्पीति नदी के दाईं ओर स्थित लोसर, स्पीति घाटी का पहला गांव है। स्पीति उपमंडल के मुख्यालय काजा से किब्बर महज 20 किलोमीटर दूर है। यहां रास्ते में जगह-जगह आपको बर्फ जमी मिलेगी।

दिल्ली से तकरीबन 730 किलोमीटर दूर किब्बर जाने के लिए काजा पहुंचना होगा। यहां बस स्टैंड के पास कई होटल हैं। यहां आप होटल में ठहर सकते हैं। यहां से किब्बर जाने के लिए आपको 1000 रुपये में टैक्सी या कैब मिल जाएगी। टैक्सी शेयर करने की भी सुविधा मिलेगी। यहां अधिकतर टाटा सूमो गाड़ी ही कैब में चलती हैं। काजा से एक घंटे में किब्बर पहुंचा जा सकता है।

किब्बर घाटी में कहीं सपाट बर्फीला रेगिस्तान है तो कहीं हिम शिखरों में चमचमाती झीलें। यहां आकर सैलानी यहां की प्राकृतिक छटा, अनूठी संस्कृति, निराली परंपराओं और बौद्ध मठों के बीच खुद को एक नई दुनिया में पाते हैं। एक बार अगर आप किब्बर की ट्रिप करेंगे तो जिंदगीभर यहां की ताजगी नहीं भूल सकेंगे। काजा के किब्बर को जाने वाले इस रास्ते में कई बौद्ध मठ भी पड़ते हैं।

किब्बर की घाटियों में कभी फिसलती धूप देखते ही बनती है तो कभी खेतों में झूमती फसलें मन मोह लेती हैं। कभी यह घाटी बर्फ के दोशाले में दुबक जाती है तो कभी बादलों के टुकड़े यहां के खेतों और घरों में बगलगीर होते दिखते हैं।

किब्बर में बारिश हुए महीनों बीत जाते हैं। यहां के बाशिंदे सिर्फ बर्फ देखते हैं। यहां बर्फ इतनी गिरती है कि कई-कई फुट मोटी तहें जम जाती हैं। बर्फबारी होने पर किब्बर दुनिया से कट सा जाता है। यहां जाने का रास्ता बेहद खूबसूरत है। सड़क को ढके हुए पहाड़ों के बीच से गुजरना कभी न भूलने वाला पल होता है।

यहां का लोकनृत्य अनूठा है। यहां की महिलाएं और पुरुष दोनों ही चुस्त पायजामा पहनते हैं। यहां के लोग एक खास जूता पहनते हैं जिसे ल्हम कहा जाता है। इस जूते का तला चमड़े का होता है, जबकि ऊपरी भाग गर्म कपड़े का बना होता है।

किब्बर गांव में 100 से अधिक घर हैं। खास बात यह है कि सभी घर पत्थर और ईंट के बने हुए हैं। घरों की एकरूपता इन्हें दूर से देखने पर और आकर्षक बनाती है। सभी घर सफेद रंग के हैं। यहां पाए जाने वाले जानवरों में ब्लू शीप, आईबेक्स, रेड फॉक्स, हिमालयी भेड़िया और स्नो लेपर्ड हैं।

किब्बर गांव में रात में रुकने का अलग अनुभव है। यहां रात में तारे इतने नजदीक दिखते हैं कि लगता है कि कुछ ही ऊंचाई पर स्थित इन तारों को हाथ बढ़ाकर छू सकते हैं। यहां रुकने के लिए 3 से 4 गेस्ट हाउस हैं। इसके अलावा कुछ रुपए देकर आप यहां की लोकल फैमिली के साथ उनके घर में भी ठहर सकते हैं।

यहां खड़े होकर दूर-दूर तक बिखरी मटियाली चट्टानों, रेतीले टीलों और इन टीलों पर बनी प्राकृतिक कलाकृतियां आपको झूमने पर मजबूर कर देंगी। इन आकृतियों को देखकर कहीं से नहीं लगता कि इन्हें प्रकृति ने यह खूबसूरती दी है।

GYANHIGYAN

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