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आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग तथा वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक समन्वयन कार्यशाला के अवसर पर सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी

आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग तथा वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक समन्वयन कार्यशाला के अवसर पर सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी
उत्तराखंड

देहरादून: सचिवालय में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के विशेष सहयोग से आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग तथा वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में एक समन्वयन कार्यशाला (Coordination Conference) का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उदघाटन राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के सलाहकार मे. जनरल वी. के. दत्ता (से. नि), सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी एवं इंसीडेन्ट रिस्पाॅस सिस्टम विशेषज्ञ बी. बी. गणनायक द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
कार्यशाला को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के सलाहकार मे. जनरल वी. के. दत्ता (से.नि.) ने कहा कि उत्तराखण्ड पर्वतीय राज्य है, जिस कारण यह प्राकृतिक आपदाओं के दृष्टिगत संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि वनाग्नि की दृष्टि से भी उत्तराखण्ड अत्याधिक संवेदनशील हैं और विगत वर्ष हुयी वनाग्नि से सम्बन्धित घटनाओं से वन सम्पदा के साथ ही भारी मात्रा में वन्य जीवों पर असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की माॅक अभ्यास करना काफी सफल रहता है। उल्लेखनीय है कि वनाग्नि प्रबन्धन के विशेष परिप्रेक्ष्य में इस प्रकार का माॅक अभ्यास आयोजित करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है।
सचिव आपदा प्रबन्धन अमित नेगी ने कहा कि वर्तमान में गीष्म ऋतु अपने चरम में है ऐसे में वनाग्नि सम्बन्धित घटनाओं को न्यून किये जाने के साथ ही पूर्व-तैयारियों का उच्च स्तर सुनिश्चित किये जाने हेतु राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के विशेष सहयोग से आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग तथा वन विभाग के संयुक्त तत्वावधान में यह समन्वयन कार्यशाला(Coordination Conference) का आयोजन किया गया है। उल्लेखनीय है कि इस सम्बन्ध में दिनंाक 06 अप्रैल, 2017 को जनपद स्तर के सभी अधिकारियों के साथ वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से Orientation Conference का आयोजन किया जा चुका है।
आज की इस समन्वयन कार्यशाला में जनपदीय अधिकारियों के साथ वनाग्नि के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा कर प्रायः उभर कर आने वाली समस्याओं एवं शंकाओं का निदान किया गया। साथ ही माॅक अभ्यास में वन विभाग द्वारा भौगोलिक सूचना प्रणाली (जी.आई.एस.) के सहयोग से मानचित्रित संसाधनों के उपयोग पर भी विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला में समस्त जनपदों मे आपातकालीन परिचालन केन्द्रों को सक्रिय किये जाने, रिसोर्स मोबिलाईजेशन आदि की व्यवस्था के संबंध में विस्तृत चर्चा की गयी।
श्री नेगी ने बताया कि माॅक अभ्यास से पूर्व 19 अप्रैल 2017 को टेबल टाॅप (Table Top Exercise) अभ्यास किया जायेगा व इसमें वीडियों काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से समस्त जनपदों के साथ पुनः विचार-विमर्श किया जायेगा, जिसमें सभी जनपदों के जिलाधिकारियों के साथ ही वन विभाग के सम्बन्धित अधिकारी भी उपस्थित रहेंगे।
20 अप्रैल, 2017 को वनाग्नि सम्बन्धित माॅक अभ्यास किया जायेगा, जो कि पूर्णतः इंसीडेन्ट रिस्पाॅस सिस्टम पर आधारित होगा। इस माॅक अभ्यास में राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ ही समस्त जनपदीय अधिकारी भी प्रतिभाग करेंगे। साथ ही 20 अप्रैल, 2017 को माॅक अभ्यास के बाद अपरान्ह् 3.00 बजे से वीडियो काॅन्फ्रेन्सिंग के माध्यम से समस्त जनपदों के साथ डी-ब्रीफिंग(De-briefing) का भी आयोजन किया जायेगा।
कार्यशाला में राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण, भारत सरकार के सलाहकार मे. जनरल वी. के. दत्ता (से. नि), इंसीडेन्ट रिस्पाॅस सिस्टम विशेषज्ञ श्री बी. बी. गणनायक के साथ ही आपदा प्रबन्धन, वन विभाग, पुलिस, अग्निशमन, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, सैन्य बल, एन.डी.आर.एफ., एस.डी.आर.एफ., भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल, सूचना विभाग तथा अन्य सम्बन्धित अधिकारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया।

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