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अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों के 3.54 करोड़ विद्यार्थियों को डिजिटल भुगतान के अंतर्गत 14 छात्रवृत्ति योजनाओं का लाभ

देश-विदेश

नई दिल्ली: अनुसूचित जातियों और अन्य पिछड़े वर्गों (अपिव)/विमुक्त, घुमंतु और अर्द्ध-घुमंतु जातियों के विद्यार्थियों के लिए 14 स्कालरशिप योजनाएं डिजिटल भुगतान के अंतर्गत संचालित की जा रही हैं, जिनका लाभ 3.54 करोड़ विद्यार्थियों को मिल रहा है। छात्रवृत्ति की समस्त राशि विद्यार्थियों के बैंक खातों में अंतरित की जा रही है और अजा विद्यार्थियों के 60 प्रतिशत बैंक खाते आधार से जुड़े हुए हैं। उन्होंने बताया कि छात्रवृत्तियों, विद्यार्थियों के लिए छात्रावासों, प्रशिक्षण सुविधाओं, परिसरों,संस्थानों के निर्माण/उन्नयन के लिए पूंजी प्रदान करने आदि उपायों के जरिए अनुसूचित जातियों से सम्बद्ध विद्यार्थियों का शैक्षिक सशक्तिकरण किया जा रहा है। यह जानकारी केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री श्री थावर चंद गहलोत ने “प्रमुख सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों” के बारे में कल आयोजित संवाददाता सम्मेलन में दी।

सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अलग अलग तरह की सात छात्रवृत्तियां कार्यान्वित करता है, जिनमें मैट्रिक-परवर्ती और मैट्रिक-पूर्ववर्ती छात्रवृत्तियां, टॉप क्लास स्कालरशिप, राष्ट्रीय विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति, अनुसूचित जातियों के लिए यूजीसी द्वारा संचालित राष्ट्रीय फेलोशिप, अस्वच्छ व्यवसायों में लगे व्यक्तियों के बच्चों के लिए प्री-मैट्रिक स्कालरशिप, अनुसूचित जातियों और अपिव के लिए निशुल्क कोचिंग (70 : 30 अनुपात में) और योग्यता उन्नयन छात्रवृत्तियां शामिल हैं। भारत सरकार का यह विश्वास है कि सब के लिए शिक्षा सशक्तिकरण की कुंजी है। सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय अपने बजट का करीब 54 प्रतिशत अनुसूचित जातियों के लिए छात्रवृत्तियों पर खर्च करता है।

सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की प्रत्‍येक शाखा को वित्‍त मंत्रालय द्वारा एक उद्यमी के रूप में कम से कम एक अनुसूचित जाति/ अनुसूचित जनजाति के युवक की सहायता करने की जिम्‍मेदारी सौंपी गई है जिससे कि उनके बीच अधिक रोजगार का सृजन किया जा सके।

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