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स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय ने मातृत्‍व मृत्‍यु निगरानी एवं मोचन (एमडीएसआर) को मजबूत बनाने और मातृत्‍व में व्‍यावधान पड़ने के कारणों की समीक्षा (एमएनएम) के लिए राष्‍ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया

देश-विदेशसेहत

नयी दिल्ली: स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय ने मातृत्‍व मृत्‍यु निगरानी एवं मोचन (एमडीएसआर) को मजबूत बनाने और मातृत्‍व में व्‍यावधान पड़ने के कारणों की समीक्षा (एमएनएम) के लिए दो दिवसीय राष्‍ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

नए एमडीएसआर दिशा-निर्देश पुराने दिशा-निर्देशों पर आधारित हैं। इनमें गोपनीय समीक्षा, प्रवासी मातृत्‍व मृत्‍यु समीक्षा, मातृत्‍व मृत्‍यु के कारणों से संबंधित आईसीडी-10 वर्गीकरण का इस्‍तेमाल, बैठकों का सटीक बयौरा, प्रत्‍युत्तर और समीक्षा का समावेश तथा ‘न नाम- न आरोप’ नीति को शुरू करने जैसे मुख्‍य बिंदु शामिल हैं। इसके अलावा मातृत्‍व मृत्‍यु के ‘अन्‍य’ कारणों को समझने और उनके अनुरूप कार्य योजना बनाने के कदमों को भी सम्मिलित किया गया है।

एमडीएसआर और एमएनएम से मातृत्‍व मृत्‍यु की जानकारी प्राप्‍त करने में मदद मिलती है और उसके आधार पर भविष्‍य में ऐसी मृत्‍यु को रोकने के लिए दिशा-निर्देश तैयार करने में सुविधा होती है।

कार्यशाला के दौरान निम्‍नलिखित आधार पर कार्य योजना तैयार की गई :-

  • विशेषज्ञ प्रशिक्षकों को तैयार करने के लिए चार चिकित्‍सा संस्‍थानों को क्षेत्रीय प्रशिक्षण केन्‍द्रों के रूप में चिन्हित किया गया है। इनमें ओबीजीवाईएन चेन्‍नै, केजीएमयू लखनऊ और गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, असम शामिल हैं।
  • अतिरिक्‍त प्रशिक्षण केन्‍द्रों को चिन्हित करने की प्रक्रिया इस समय जारी है।
  • प्रशिक्षण प्रारूप का विकास
  • विभिन्‍न गतिविधियों के कार्यान्‍वयन डब्‍ल्‍यूएचओ, यूनिसेफ इत्‍यादि जैसे विकास प्रतिभागियों की सहायता
  • नागरिक पंजीकरण एवं महत्‍वपूर्ण सांख्यिकी (सीआरवीएस) और एमडीएसआर को जोड़ने की संभावनाओं की खोज
  • एमडीएसआर के लिए राष्‍ट्रीय स्‍तरीय सॉफ्टवेयर विकास की संभावनाओं की खोज

कार्यशाला में अंतर्राष्‍ट्रीय, राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय भागीदारों ने हिस्‍सा लिया तथा देश में एमडीएसआर तथा एमएनएम को क्रियान्वित करने और मजबूत बनाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। कार्यशाला में स्‍वास्‍थ्‍य एवं परिवार कल्‍याण मंत्रालय, एनएचएसआरसी, 33 राज्‍यों और 45 मेडिकल कॉलेजों के प्रतिनिधियों सहित विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन, यूनिसेफ और सिविल सोसायटी संगठनों के लोग भी सम्मिलित हुए।

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