नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने नागपुर के काम्पटी में ड्रेगन पैलेस मंदिर परिसर में विपस्सना ध्यान केन्द्र का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विपस्सना भगवान बुद्ध द्वारा दी गई वो तकनीक है जो हमें अपनी अंतरमन से जोड़ती है। यह हमारे मस्तिष्क और शरीर की शुद्धि का प्रभावी उपाय है और इसके जरिये आधुनिक युग में बढ़ते तनाव का सामना करने की शक्ति मिलती है। राष्ट्रपति ने कहा कि यदि विपस्सना का अभ्यास सही रूप से किया जाए तो इससे वही लाभ मिल सकते हैं जो हम कुछ दवाओं से प्राप्त करते हैं। इस तरह विपस्सना के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि योगा के समान विपस्सना भी किसी धर्म से सम्बद्ध नहीं है। यह मानवता के कल्याण की तकनीक है।
राष्ट्रपति ने कहा कि बौद्ध दर्शन के विचारों का प्रतिबिंब हमारे संविधान में दिखाई देता है। विशेषतौर पर समानता, सद्भाव और सामाजिक न्याय के सिद्धांतों के परिपेक्ष्य में हम अपने संविधान को पाते हैं। संविधान निर्माता डॉक्टर बी आर आम्बेडकर ने कहा था कि पुरात्न भारत में लोकतांद्धिक पद्धति दिखाई देती है। लोकतांत्रिक पद्धति की जड़ें भारत में पुरात्न समय से है। इस संदर्भ में उन्होंने बौद्ध संघों में लोकतांत्रिक परम्परा के चलन का उदाहरण भी दिया।
राष्ट्रपति ने कहा कि भगवान बुद्ध के दर्शन में सामाजिक परिवर्तन केन्द्र बिन्दु है। इस भावना ने बाद की शताब्दियों में सामाजिक परिवर्तन के कई आंदोलनों को प्रेरणा दी। इस तरह के कुछ आंदोलन महाराष्ट्र में भी हुए, जो 19वीं और 20वीं शताब्दी में देश के अन्य भागों में भी सामाजिक परिवर्तन के आंदोलनों की प्रेरक शक्ति बने। आज की असुरक्षा के माहौल में महात्मा बुद्ध द्वारा अहिंसा, प्रेम और सद्भाव का संदेश प्रासंगिक है। इससे पहले राष्ट्रपति श्री कोविंद ने दीक्षा भूमि का दौरा भी किया और बाबा साहब आम्बेडकर को श्रद्धांजलि अर्पित की।