नई दिल्ली: केन्द्रीय वस्त्र मंत्री श्रीमती स्मृति जुबिन इरानी ने निर्यातकों से आग्रह किया है कि वे कारीगरों के कल्याण का ध्यान रखें जो इस क्षेत्र की रीढ़ हैं। श्रीमती इरानी ने कहा कि डिजाइन और उत्पाद का विकास विक्रय मूल्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और बदले में कारीगरों और उत्पादकों को अपने उत्पाद से लाभ मिलता है। दुनिया के सबसे बड़े हथकरघा और उत्पाद मेले आईएचजीएफ दिल्ली शरदकालीन मेले 2017 का उद्घाटन करने के बाद उन्होंने यह उद्गार व्यक्त किए। यह मेला ग्रेटर नोएडा में इंडिया एक्सपो सेंटर एंड मार्ट में 12 से 16 अक्टूबर, 2017 तक आयोजित किया जाएगा।
अपने उद्घाटन भाषण में वस्त्र मंत्री ने हस्तशिल्प के निर्यात को बढ़ावा देने में हस्तशिल्प निर्यात संवर्धन परिषद की भूमिका की सराहना की। उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प के निर्यात में वर्ष दर वर्ष वृद्धि हुई है और यह 2016-17 में 13.15 प्रतिशत बढ़कर 24.392 करोड़ रुपये पर पहुंच गया। उन्होंने कारीगरों के बच्चों की शिक्षा के लिए कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) कार्यक्रम के अंतर्गत ईपीसीएच द्वारा शुरू की गई योजनाओं की सराहना की। यह योजना ओपन स्कूलों के जरिये कारीगरों के बच्चों को शिक्षा में पूरी सहायता प्रदान करती है। 75 प्रतिशत खर्च ईपीसीएच द्वारा तथा 25 प्रतिशत निर्यातक सदस्य द्वारा उठाया जाएगा। श्रीमती इरानी ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री का स्वप्न है कि देश में कोई भी बच्चा निरक्षर न रहे।
वस्त्र मंत्री ने ईपीसीएच द्वारा डिजाइन पंजीकरण योजना शुरू करने की सराहना की जिससे सदस्य निर्यातक बिना किसी परेशानी के डिजाइन का पंजीकरण करा सकेंगे। उन्होंने कहा कि ईपीसीएच डिजाइन सेवाएं निश्चित रूप से बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र की मदद करेंगी और हस्तशिल्प का निर्यात बढ़ेगा जिससे कारीगरों के लिए रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। वस्त्र मंत्री ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री की पूर्वोत्तर को बढ़ावा देने की परिकल्पना को ईपीसीएच ने प्रभावी तरीके से लागू किया है। ईपीसीएच के पास पूर्वोत्तर क्षेत्र के हस्तशिल्प और हथकरघा विकास के लिए एक समन्वित कार्यक्रम है जिसके अंतर्गत डिजाइन, मार्केटिंग और कौशल विकास प्रदान किया जाएगा।
श्रीमती इरानी ने कहा कि हस्तशिल्प क्षेत्र में पहली बार निर्यातकों और आयातकों दोनों के संयुक्त उद्यम के लिए विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और अवसरों को बढ़ाने की पहल की जा रही है। इस पहल से विदेशी खरीददारों को तकनीकी जानकारी, निवेश, मार्केटिंग नेटवर्क को लाने का अवसर मिलेगा ताकि वे विश्व बाजार में भारतीय हस्तशिल्प को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त उद्यम स्थापित कर सकेंगे।
इस अवसर पर ईपीसीएच के अध्यक्ष श्री ओ. पी. प्रहलादका ने प्रौद्योगिकी उन्नयन के बारे में अगले पांच वर्ष के लिए ईपीसीएच के विजन की चर्चा की। उन्होंने कहा कि ईपीसीएच ने हाल ही में डिजाइन और उत्पाद विकास प्रौद्योगिकी मिशन शुरू किया है। श्री प्रहलादका ने जीएसटी को सरलता से लागू करने के लिए वस्त्र मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय से प्राप्त सहायता की सराहना की।
उद्घाटन समारोह में बड़ी संख्या में विदेशी खरीददार शामिल हुए। ईपीसीएच के कार्यकारी निदेशक श्री राकेश कुमार के अनुसार आईएचजीएफ दिल्ली मेले में घर, लाइफस्टाइल, फैशन, वस्त्र और फर्नीचर जैसे सामान को दिखाने वाले करीब 2980 प्रदर्शक भाग ले रहे हैं। 110 देशों के 6000 से अधिक खरीददार मेले में आयेंगे। श्री कुमार ने बताया कि इस मेले के प्रमुख आकर्षण में डिजाइनर फोरम और दोबारा उपयोग में आने वाले उत्पाद शामिल हैं।