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केन्‍द्रीय इस्‍पात और खान मंत्री ने लघु और दूसरे दर्जे के इस्‍पात उत्‍पादकों को सहायता का आश्‍वासन दिया

देश-विदेश

नई दिल्ली: इस्‍पात मंत्रालय जल्‍द ही समस्‍त छोटे और दूसरे दर्जे के इस्‍पात उत्‍पादकों से मुलाकात करेगा, ताकि उनकी चिंताओं को जाना जा सके और उन्‍हें दूर किया जा सके। यह बात केन्‍द्रीय इस्‍पात और खान मंत्री श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने चंडीगढ़ में 22 जुलाई, 2015 को स्‍टील मार्ट-2015 का उदघाटन करते हुए कही। श्री तोमर ने कहा ”इस्‍पात उद्योग का भविष्‍य उज्‍जवल है, क्‍योंकि श्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्‍व में ‘ मेक इन इंडिया’ अभियान में उसे एक महत्‍वपूर्ण भूमिका निभानी है। मुझे खुशी है कि इस्‍पात क्षेत्र सकल घरेलू उत्‍पाद – जीडीपी में दो प्रतिशत से ज्‍यादा का योगदान देता है और 600,000 नौकरियों का भी सृजन करता है। इसलिए रोजगार की दृष्टिकोण से भी यह क्षेत्र महत्‍वपूर्ण है।”
यह बेहद खुशी और गर्व का विषय है कि भारत ने इस्‍पात के उत्‍पादन में विश्‍व में तीसरा स्‍थान प्राप्‍त किया है। हम 2020 तक दूसरे बड़े उत्‍पादक बनने की दिशा में अग्रसर हो रहे हैं। इस संदर्भ में निजी क्षेत्र का योगदान भी महत्‍वपूर्ण है और सरकार निजी क्षेत्र को हर संभव सहायता उपलब्‍ध कराने के लिए प्रतिबद्ध है। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों के लिए, मार्च, 2016 तक एसएआईएल की क्षमता 23 मिलियन टन (एमटी) प्रति वर्ष हो जाएगी, आरआईएनएल की क्षमता भी बढ़कर 6.3 मिलियन टन सालाना हो चुकी है, जिसे आने वाले वर्षों में और बढ़ाया जाएगा। श्री तोमर ने बताया कि एसएआईएल की क्षमता 2025 तक बढ़कर 50 एमटी हो जाएगी।
इसके अलावा, भारत सरकार चार राज्‍यों में ग्रीन फील्‍ड परियोजनाओं के माध्‍यम से भी क्षमता बढ़ाने की दिशा में कार्य कर रही है। इस संदर्भ में पहले ही छत्‍तीसगढ़ और झारखंड के साथ सहमति पत्रों पर हस्‍ताक्षर किये जा चुके हैं। इस योजना के अंतर्गत शुरूआत में विशेष उद्देश्‍य माध्‍यम (एसपीवी) मार्ग का इस्‍तेमाल करते हुए तीन मिलियन टन सालाना क्षमता वाले इस्‍पात संयंत्र की स्‍थापना की जाएगी, जिसे बाद में बढ़ाकर चारों राज्‍यों में प्रत्‍येक में छह एमटी कर दिया जाएगा। उन्‍होंने बताया कि इस प्रकार इस माध्‍यम के जरिए 24 एमटी की क्षमता जोड़ी जाएगी।
भारत में इस्‍पात की प्रति व्‍यक्ति खपत 59 किलोग्राम है, जबकि विश्‍व औसत प्रति व्‍यक्ति 216 किलोग्राम है। यह एक अवसर है और हमें विपणन तथा इस्‍पात की उपयोगिता के बारे में जागरूकता उत्‍पन्‍न करने पर ध्‍यान देने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने बताया कि इससे ना सिर्फ उपभोक्‍ताओं के लिए गुणवत्‍ता और सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि उद्योग को भी मदद मिलेगी।
उन्‍होंने कहा, ” इस्‍पात का बाजार बेहद गतिशील है। एक तरफ अतिशय आयात इस्‍पात उद्योग के लिए समस्‍या है, जो टैरिफ और नॉन टैरिफ सीमाएं चाहता है, दूसरी ओर उपभोक्‍ता है, जो स्‍टील के उत्‍पादों की कम दामों पर उपलब्‍धता चाहता है। सरकार इन चिंताओं को मिटाने की दिशा में कार्य कर रही है। हमें विश्‍व में प्रतिस्‍पर्धी बने रहने के लिए उत्‍पादकता में सुधार लाने और ऊर्जा की खपत में कमी लाने की भी जरूरत है। खनन क्षेत्र एक कठिन दौर से गुजर रहा है। एनडीए सरकार के गठन के समय, खनन क्षेत्र के सामने कई चुनौतियां थीं। एमएमडीआर अधिनियम में संशोधन के जरिए हमने पारदर्शिता, अन्‍वेषण और स्‍थानीय एवं क्षेत्रीय लोगों का कल्‍याण जैसे कई मामलों को हल करने का प्रयास किया है। नीलामी शुरू होने के बाद, आने वाले समय में इस उद्योग के लिए कच्‍चा माल प्रचुर मात्रा में उपलब्‍ध होगा।” इस्‍पात एवं खान मंत्री ने यह भी इच्‍छा व्‍यक्‍त की कि भविष्‍य की योजना तैयार करते समय दीर्घकालिक दृष्टि होनी चाहिए।
स्‍टील मार्ट-2015 का आयोजन 22-23 जुलाई, 2015 को चंडीगढ़ में किया गया। यह भारतीय इस्‍पात उद्योग के संबंध में सीआईआई द्वारा आयोजित चौथा अंतर्राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन एवं प्रदर्शनी है। इस वर्ष का विषय ”गोइंग ग्‍लोबल एंड सस्‍टेनेबल” और उपविषय ”ड्राइविंग मेक इन इंडिया” है।
अपनी चंड़ीगढ़ यात्रा के दौरान श्री नरेन्‍द्र तोमर ने हरियाणा के राज्‍यपाल प्रो. कप्‍तान सिंह सोलंकी और हरियाणा के मुख्‍यमंत्री श्री मनोहर लाल खट्टर से भी मुलाकात की।

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