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सभी आयोजनों में हर स्तर पर पारदर्शिता व मित्तव्ययिता बरती जाए- जयवीर सिंह

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री श्री जयवीर सिंह ने कहा है कि संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित किये जाने वाले सभी कार्यक्रमों में पारदर्शिता एवं मित्तव्ययिता का कड़ाई से अनुपालन किये जाने के लिए सामान्य दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं। उन्होंने कहा है कि संस्कृति विभाग के अंतर्गत कार्यरत निदेशालयों, संस्थाओं तथा अकादमियों द्वारा मूर्त एवं अमूर्त कलाओं के मंचन/प्रदर्शन तथा प्रदर्शनियों, संगोष्ठियों, शैक्षिक भ्रमणों एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इन सभी आयोजनों के लिए एक भौतिक सत्यापन समिति बनाये जाने के निर्देश दिये गये हैं। इसके पश्चात ही कार्यक्रमों के व्यय का भुगतान बिलम्बतम एक माह के अंतर्गत सुनिश्चित किया जाए।
पर्यटन मंत्री ने यह जानकारी आज यहां देते हुए बताया कि संस्कृति विभाग के आयोजन के लिए एक विस्तृत सामान्य नियामक निर्धारण किया गया है। इस संबंध मंे प्रमुख सचिव (संस्कृति) की ओर से कल 09 मई, 2023 को आवश्यक शासनादेश जारी करा दिया गया है। उन्होंने बताया कि संस्कृति विभाग के सभी संस्थाओं द्वारा कार्यक्रमों के दौरान कराये गये कार्यों के लिए टेण्डर एवं कोटेशन जेम पोर्टल आदि के माध्यम से दरें निर्धारित की जाए।
शासनादेश में यह भी निर्देश दिये गये हैं कि कार्यक्रमों में होने वाली वीडियोग्राफी एवं फोटोग्राफी पर होने वाले खर्च को यथा संभव कम किया जाए। यह प्रयास किया जाए कि विभागीय फोटोग्राफर से ही फोटोग्राफी कराई जाए। विभागीय फोटोग्राफी न कराये जाने की स्थिति में वीडियोग्राफी पर 5000 तथा फोटोग्राफी पर 5000 से अधिक धनराशि व्यय न की जाए। कार्यक्रम के दौरान आतिथ्य सत्कार एवं सूक्ष्म जलपान पर शासन की मित्तव्ययिता नीति के अनुसार कम से कम खर्च किया जाए। प्रेक्षा गृह मंे बोतल बंद पानी के स्थान पर सहज उपलब्ध सस्ते विकल्पों पर विचार किया जाए।
निर्देशों में यह भी कहा गया है कि आयोजित कार्यक्रमों का विधिवत अभिलेखीकरण किया जाए तथा फोटोग्राफी के साथ समाचार पत्रों की कटिंग तथा आयोजक/प्रयोजक से प्रमाण पत्र प्राप्त कर एक संक्षिप्त रिपोर्ट के साथ एक सप्ताह में संस्कृति निदेशालय के समक्ष प्रस्तुत किया जाए। कार्यक्रमों का प्रचार-प्रसार सोशल मीडिया जैसे फेसबुक, यूटयूब, ट्वीटर, कू तथा इन्स्टाग्राम आदि के माध्यम से किया जाए। सभी संस्थाओं द्वारा उ0प्र0 के प्रत्येक जनपद एवं ग्रामीण क्षेत्रों तक कार्यक्रमों की पहुंच बनाई जाए ताकि लोक कलाओं को संरक्षित रखते हुए आयोजनों को रोजगार परक बनाने में मदद मिल सके। पर्यटन मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को सख्त निर्देश दिये हैं कि जारी शासनादेश का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाए।

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