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आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोग के कारण को जानने के साथ-साथ इसके निवारण का उपाय करना आवश्यक: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने कहा कि आरोग्यता के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए रोग के कारण को जानने के साथ-साथ इसके निवारण का उपाय करना आवश्यक है। रोग के उपचार की व्यवस्था करने के बावजूद रोग के कारणों की रोकथाम न किया जाना समाज की सबसे बड़ी बीमारी हो जाती है।
मुख्यमंत्री जी आज यहां किंग जाॅर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर में ‘माँ शारदालय’ मन्दिर के लोकार्पण के पश्चात अटल बिहारी वाजपेयी साइंटिफिक कनवेन्शन सेण्टर में आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित कर रहे थे। ज्ञातव्य है कि प्रत्येक वर्ष बसन्त पंचमी पर संस्थान के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती पूजा के अवसर पर देवी सरस्वती की प्रतिमा स्थापित की जाती रही है। पूजा के पश्चात यह प्रतिमा गोमती नदी में विसर्जित की जाती है। नदी में प्रतिमा के विसर्जन से होने वाले प्रदूषण की रोकथाम के उद्देश्य से चिकित्सा विश्वविद्यालय परिसर में संस्थान के एलुमनाई सेल के सौजन्य से यह मन्दिर बनाया गया है। इसमें माँ शारदा एवं भगवान धन्वंतरि की मूर्तियां स्थापित की गयीं हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि विद्या और मेधा की अधिष्ठात्री देवी माँ शारदा तथा आरोग्यता के देव भगवान धन्वंतरि की प्रतिमाओं की एक साथ स्थापना का एक ही लक्ष्य है कि हम अपनी मेधा को लोककल्याणकारी बनाते हुए समाज को आरोग्यता के लक्ष्य की पूर्ति हेतु अग्रसर कर सकें। यह मन्दिर आस्था का प्रतीक होने के साथ-साथ नदी एवं जल संस्कृति के प्रति जागरूक होने का उदाहरण भी है। विसर्जन के समय मूर्ति से निकलने वाले पदार्थ नदी के जल को दूषित न कर सके इसलिए यह नदी के प्रदूषण को कम करने का संस्थान का एक अभिनव प्रयास है। उन्होंने कहा कि मन्दिर में स्थापित प्रतिमाओं की दिव्यता और भव्यता संस्थान की भव्यता और दिव्यता को आगे ले जाने में सहायक सिद्ध होगी।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि हर भारतीय मानता है कि जल ही जीवन है। जल के बगैर लम्बे अन्तराल तक जीवित नहीं रहा जा सकता। वर्तमान समय में जल की शुद्धता एवं संचयन के प्रति जागरूकता का अभाव दिखता है। जल की कीमत को नहीं समझा। समाज को यह कीमत चुकानी पड़ रही है। अनेक क्षेत्र भीषण जल संकट से ग्रसित हैं। जल जनित बीमारियां भी लोगों को प्रभावित कर रहीं हैं।
‘नमामि गंगे’ कार्यक्रम के माध्यम से गंगा नदी को निर्मल बनाने में प्राप्त सफलता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री जी ने बताया कि पिछले लगभग ढाई वर्ष के दौरान यह कार्य सम्पादित किया गया। इस वर्ष बाढ़ के दौरान जनपद वाराणसी के अपने भ्रमण का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि उन्होंने एन0डी0आर0एफ0 के एक कार्मिक से गंगा नदी की निर्मलता की वास्तविकता की व्यवहारिक जानकारी चाही। एन0डी0आर0एफ0 कर्मी ने बताया कि 03 वर्ष पहले यह स्थिति थी कि एन0डी0आर0एफ0 के नये रिक्रूट को जब गंगा नदी में प्रशिक्षित किया जाता था तब एक सप्ताह में उनके शरीर की त्वचा पर लाल चकत्ते पड़ जाते थे। जबकि अब नदी में कई दिनों की निरन्तर ट्रेनिंग के बावजूद कोई त्वचा रोग नहीं होता।
प्रयागराज कुम्भ-2019 में लगभग 25 करोड़ श्रद्धालुओं ने गंगा जी में डुबकी लगाई जबकि 06 वर्ष पूर्व आयोजित महाकुम्भ में मात्र 12 करोड़ ही श्रद्धालु आये थे। गंगा जी की निर्मलता और अविरलता के परिणामस्वरूप श्रद्धालुआंे की संख्या में वृद्धि हुई। कानपुर में सीसामऊ नाले को टैप करके 140 एम0एल0डी0 सीवर को गंगा नदी में गिरने से रोका गया। इसके लिए एक एस0टी0पी0 स्थापित किया गया, जिसका शोधित जल भी नदी में नहीं गिराया जाता। अब वहां गंगा जी में जलीय जीव दिखने लगे हैं, जो पहले लुप्त हो गये थे।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नदियांे को प्रदूषण मुक्त एवं निर्मल बनाने के लिए आवश्यक है कि इनमें पाॅलीथीन, कूड़ा-करकट न डाला जाए। सरकार अपने स्तर से प्रयास कर रही है। लोगों को भी इस दिशा में आगे आना होगा। पर्यावरण संतुलन की दृष्टि से पाॅलीथीन पर प्रतिबन्ध लगाया गया। आरोग्यता के लिहाज से भी यह आवश्यक है। स्वच्छता पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि स्वच्छता को अपनाकर जल-जनित बीमारियों को नियन्त्रित किया जा सकता है। स्वच्छ भारत मिशन और इसके साथ पिछले 02 वर्ष के दौरान किए गये प्रयासों के परिणामस्वरूप इन्सेफिलाइटिस के मामलों में 56 प्रतिशत तथा इस रोग से होने वाली मृत्यु के मामलों में 81 प्रतिशत की कमी आयी है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री क्षेत्र धर्मस्थल, कर्नाटक के धर्माधिकारी, पद्म विभूषण से सम्मानित डाॅ0 वीरेन्द्र हेग्गडे ने कहा कि चिकित्सा जगत में इस संस्थान का महत्वपूर्ण योगदान है। उन्होंने मुख्यमंत्री जी की कार्यशैली की प्रशंसा करते हुए कहा कि वे सेवा के प्रति समर्पित हैं।
चिकित्सा शिक्षा मंत्री श्री सुरेश खन्ना ने कहा कि ज्ञानार्जन द्वारा बेहतर कार्य करने की जिज्ञासा और जनसेवा की भावना को अपनाकर चिकित्सक लोगों का सम्मान प्राप्त कर सकता है। आस्था एवं संस्कार हमें तमाम कुरीतियों से बचाते हैं। ‘माँ शारदालय’ मन्दिर चिकित्सकों को लोगों का जीवन बेहतर बनाने के लिए प्रेरित करेगा।
विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 एम0एल0बी0 भट्ट ने अतिथियों का स्वागत किया तथा प्रति-कुलपति प्रो0 जी0पी0 सिंह ने धन्यवाद ज्ञापित किया। माँ शारदालय मन्दिर एवं माँ शारदा की प्रतिमा की स्थापना के लिए पी0ओ0सिटी के डायरेक्टर श्री सौरभ गर्ग तथा भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा की स्थापना के लिए पी0वी0 इन्टरप्राइजेज के श्री विजय अग्रवाल एवं श्री राजेन्द्र अग्रवाल को सम्मानित किया गया।

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