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बजट 2016-17 के संबंध में चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री हरीश रावत

उत्तराखंड
देहरादून: सचिवालय में मुख्यमंत्री हरीश रावत की अध्यक्षता में बजट 2016-17 के लिए सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई।

इसमें लगभग सभी दलों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिए जिन्हें ध्यान से सुनते हुए मुख्यमंत्री श्री रावत ने बजट में महŸाा दिए जाने की बात कही। बैठक में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय, विŸा मंत्री डा.(श्रीमती) इंदिरा हृद्येश, केबिनेट मंत्री दिनेश अग्रवाल, प्रीतम सिंह पंवार, मंत्रीप्रसाद नैथानी, भाजपा के वीरेंद्र बिष्ट, राष्ट्रवादी कांगे्रस पार्टी के दिव्य नौटियाल, माकपा के सूरवीर सिंह सजवाण, सीपीआई के समर भण्डारी, सपा के विनोद बड़थ्वाल, सहित यूकेडी, राष्ट्रीय ग्रामीण विकास पार्टी, राष्ट्रीय उत्तराखण्ड पार्टी, भारतीय सर्वोदय पार्टी, मूलनिवासी समाज पार्टी के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिए। बैठक में मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह सहित शासन के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
बैठक में सर्वसम्मति से यह तय किया गया कि केन्द्र सरकार से राज्य को पर्याप्त सहायता का प्रस्ताव भेजा जाए। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि प्रयास किया जायेगा कि बजट 2016-17 कमजोर तबको की सहायता करते हुए दिखें। महिला कल्याण व बाल कल्याण को विशेष महत्व दिया जायेगा। अनुसूचित जाति व अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नये प्रयास किये जायेंगे। शिक्षा व स्वास्थ्य को भी प्रमुखता दी जायेगी। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि इस समय हम सोशल सेक्टर पर सर्वांधित खर्च करने वाले राज्यों में है। सामाजिक पेंशन के लाभार्थियों की संख्या 2 लाख से बढकर 6 लाख हो चुकी है। महिला व बाल कल्याण में भी कई तरह की पहल की गयी है। हम चाहते है कि कन्या के जन्म को उत्सव की तरह मनाया जाए, इसलिए दो कन्याओं के जन्म पर माता को सम्मानित करने की योजना प्रारम्भ की जायेगी। अनुसूचित जाति के लिए सृजनात्मक प्रयास करने होंगे। खेती पर सरकार का विशेष फोक्स है। उत्तराखण्ड एक ऐसा राज्य है जो पेड़, पानी व दूध पर बोनस दे रहा है। 6 प्रतिशत फोरेस्ट कवर बढाने के बावजूद केन्द्र से सहायता नही मिल रही है। हमें अपने दलगत हितों से ऊपर उठकर राज्य हित में सामुहिक रूप से प्रयास करने होंगे। हमने अपने संसाधन जुटाने पर फोक्स किया है, जिसका आने वाले समय में राज्य को लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने भू-उपयोग की नीति बनाये जाने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि राज्य के प्राकृतिक संसाधनों का आवंटन नीति से बाहर नही किया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस वर्ष के बजट को चुनावी बजट की तरह नही लिया जायेगा। इसमें वर्ष 2017-18 को भी ध्यान में रखकर योजनाएं चयनित की जायेंगी।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने कहा कि बजट इस प्रकार का बनाया जाए जिसमें कमजोर वर्गों पर कोई टैक्स न लगाया जाए, जलसंसाधनों का संरक्षण किस प्रकार हो, इसका निर्धारण किया जाए। साथ ही केन्द्र से सहायता के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमण्डल प्रधानमंत्री से मिले। उन्होंने यातायात के लिए मेट्रो की योजना के लिए व महिलाओं व युवाओं के लिए विशेष प्राविधान करने पर बल दिया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दिव्य नौटियाल ने केन्द्र से मदद के लिए सर्वदलीय प्रयासों पर बल दिया। माकपा के सूरवीर सिंह सजवाण ने पलायन को रोकने के लिए हाॅर्टीकल्चर व छोटे उद्योगों की स्थापना व फिजूलखर्ची को रोकने की जरूरत बतायी। भाजपा के वीरेन्द्र बिष्ट ने आबकारी, खनन व पर्यटन की स्पष्ट नीति बनाने व स्थानीय कृषि उत्पादों व जड़ी-बूटी की मार्केंटिंग को महत्व देने पर जोर दिया। सपा के विनोद बडथ्वाल ने उत्तर प्रदेश से परिसम्मपत्तियों के बटवारें के लिए उत्तर प्रदेश सरकार से समन्वय करने की बात कही, इस पर तय किया गया कि वित्त मंत्री, मुख्य सचिव व श्री विनोद बडथ्वाल प्रदेश से संबंधित कुछ मामलों के प्रस्तावों पर यूपी सरकार से वार्ता करेंगे। भाकपा के समर भण्डारी ने आर्थिक विकास को रोजगार परक बनाने व कृषि में निवेश बढ़ाने की बात कही। भरतीय सर्वोदय पार्टी के प्रतिनिधि ने पर्वतीय क्षेत्रों में शिक्षा, स्वास्थ्य व सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार पर बल दिया। मूल निवासी समाज पार्टी के जोहरी लाल सुमन ने अनुसूचित जाति के लिए विशेष बजट के प्राविधान पर बल दिया। यूकेडी के प्रतिनिधि ने दीर्घकालीन नीतिया बनाये जाने, राज्य आंदोलनकारी कल्याण कोष की राशि को बढ़ाने के साथ ही खनन व आबकारी नीति में एकरूपता की बात कही। राष्ट्रीय ग्रामीण विकास पार्टी के प्रतिनिधि में कृषि में बजट की धनराशि को बढाने की बात कही।
सचिव वित्त अमित नेगी ने बताया कि राज्य का कुल बजट व्यय 2015 -16 में 27 हजार करोड़ था, जो कि इस वर्ष बढ़कर 30 हजार करोड़ रूपये हो जायेगा। योजनागत व्यय पिछले वर्ष की तुलना में 14 से 15 प्रतिशत अधिक है। 14वें वित्त आयोग की संस्तुतियों के बाद एस.सी.ए., एस.पी.ए., एन.सी.ए. बन्द होने से राज्य को विशुद्ध रूप से लगभग 1500 करोड़ रूपये की हानि हुई है। हमने अपने संसाधनों को जुटाने में कुछ सफलता पायी है। वैट में 10 प्रतिशत वृद्धि, स्टाॅम्प व रजिस्ट्री में लगभग 20 प्रतिशत व आबकारी में लगभग 12 प्रतिशत वृद्धि हुई है। आने वाले समय में वाॅटर टैक्स, वन, खनन राजस्व के प्रमुख क्षेत्र रहेंगे।

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