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मुख्यमंत्री ने कानून-व्यवस्था की समीक्षा की

उत्तर प्रदेश
लखनऊ: मुख्यमंत्री श्री अखिलेश यादव ने आज यहां कानून और व्यवस्था की समीक्षा करते हुए कहा कि समाज में अव्यवस्था फैलाने वालों से सख्ती से निपटा जाए। उन्हांेने प्रदेश में शान्ति व्यवस्था को प्रभावित करने वाले तत्वों के खिलाफ सख्त कार्यवाही के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे लोगों को चिन्हित करते हुए उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जाए।

श्री यादव ने स्पष्ट तौर पर कहा कि प्रत्येक दशा में कानून-व्यवस्था बनाए रखना राज्य सरकार की पहली प्राथमिकता है और इसके साथ कोई समझौता नहीं किया जा सकता। राज्य सरकार अमन-चैन का माहौल कायम रखने के लिए कटिबद्ध है, ताकि प्रदेश का चहुमुखी विकास किया जा सके। सरकार ने पुलिस एवं प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियांे को कानून-व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त बनाये रखने के निर्देश पहले ही दे रखे हैं। ऐसे में इन अधिकारियों की यह जिम्मेदारी है कि वे कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए अपने स्तर से प्रभावी कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि किसी भी जिले की कानून-व्यवस्था के लिए वहां के जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक/पुलिस अधीक्षक ही जिम्मेदारी होंगे। उन्होंने आगाह किया कि कर्तव्यपालन में शिथिलता बरतने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तर प्रदेश आबादी के लिहाज से देश का सबसे बड़ा राज्य होने के साथ-साथ राजनैतिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण प्रदेश है। इसलिए यहां की घटनाओं पर लोगों की निगाह बनी रहती है। कानून-व्यवस्था और अपराध नियंत्रण में पुलिस की प्रमुख भूमिका से अवगत होने के कारण राज्य सरकार पुलिस को सभी जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने के लिए लगातार कार्य कर रही है।
श्री यादव ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि रात्रिकालीन पेट्रोलिंग व्यवस्था चुस्त-दुरुस्त की जाए और शहरों के बाहरी इलाकों में पेट्रोलिंग में विशेष सावधानी बरती जाए, ताकि चोरी-डकैती जैसी घटनाओं को रोका जा सके। अपराध रोकने के लिए प्रभावी और कड़े कदम उठाए जाने के निर्देश देते हुए उन्होंने कहा कि दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति में यदि कोई जघन्य अपराध घटित होता है, तो पुलिस तत्काल सक्रिय होकर जरूरी कार्रवाई करे। जनता से सीधा संवाद कायम रखने पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा करने से तमाम घटनाओं की जानकारी और सच्चाई समय से मिल जाती है, जिसके आधार पर प्रभावी कदम उठाए जा सकते हैं।
बैठक मंे अधिकारियों द्वारा मुख्यमंत्री को यह जानकारी दी गई कि पुलिस बल के संसाधनों को सुदृढ़ करने के लिए अनेक कदम उठाए गए हैं। पुलिस विभाग को 46 भारी वाहन, 2 हजार 608 हल्के चारपहिया वाहन, 665 मोटर साइकिलें उपलब्ध करायी गयी हैं। पुलिस की परस्पर संचार प्रणाली को और बेहतर बनाने के उद्देश्य से थानों में तैनात सभी उपनिरीक्षकों तथा पुलिस विभाग की विभिन्न इकाइयों में तैनात निरीक्षकांे एवं उपनिरीक्षकों को 23 हजार से अधिक सी.यू.जी. सिम स्वीकृत किये गये हंै। सभी 1520 थानों को दो-दो चार पहिया वाहनों से लैस करने की योजना है।
पुलिस रिस्पाॅन्स टाइम को कम करने के एकीकृत यातायात प्रबन्धन प्रणाली, स्मार्ट सिटी सर्विलान्स परियोजनाओं को राज्य स्तरीय डायल ‘100’ परियोजना के साथ एकीकृत करने की कार्यवाही चल रही है। पुलिस विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की आवासीय व्यवस्था को बेहतर बनाये जाने के लिये उनके लिये बनने वाले भवनों का मानकीकरण किया गया है, ताकि उन्हें अधिकाधिक सुविधाएं उपलब्ध हो सकें। थानों में एक ओर जहां एक ही छत के नीचे सभी व्यवस्थायें उपलब्ध रहेंगी, वहीं दूसरी ओर पुलिसकर्मियों के एक ही स्थान पर रहने से पुलिसकर्मियों का रिस्पांस टाइम भी कम होगा।
अपराध नियंत्रण के साथ-साथ आपराधिक घटनाओं की विवेचना एवं उनका समयबद्ध एवं समुचित खुलासा करने के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला तंत्र को विस्तारित एवं सुदृृढ़ करने का निर्णय लिया गया है। वर्तमान में 3 विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं लखनऊ, आगरा एवं वाराणसी में स्थित है। प्रदेश के विस्तृत क्षेत्रफल, विशाल आबादी को दृष्टिगत रखते हुये विभिन्न स्तरों की प्रदेश के सभी 18 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर आधुनिकतम सुविधाओं एवं उपकरणों से सुसज्जित (स्टेट-आॅफ-द-आर्ट) प्रयोगशालाएं स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। इसके अलावा, आठ जोनल मुख्यालयों के लिए मोबाइल फाॅरेंसिक लैब उपलब्ध करायी गयी हैं, जिनमें विवेचना के लिए आवश्यक सभी प्रकार के उपकरण उपलब्ध हंै।
प्रदेश में पुलिसकर्मियों की कमी को दूर करने की दृष्टि से पुलिस बल में आरक्षी एवं समकक्ष पदों पर 38,315, उपनिरीक्षक और प्लाटून कमाण्डर के पदों पर 3,784 तथा कम्प्यूटर आॅपरेटर के पदों पर 666 सीधी भर्तियां की गई हैं। इसके अतिरिक्त उपनिरीक्षक के 2,064 पदों को भर्ती हेतु विज्ञापित किया गया है।
गैंगेस्टर व गुण्डा एक्ट का दायरा बढ़ाते हुये मानव तस्करी, पशु तस्करी, सूदखोरी, बंधुआ मजदूरी, नकली दवा, जाली मुद्रा, गोवध एवं गोवंश संबंधी अपराध, अवैध शस्त्र बनाना, अवैध कटान जैसे कई संगठित अपराधों को भी इनके दायरे मे लाया गया है।
महिलाओं के विरुद्ध होने वाले अपराधांे की शिकायत आॅनलाइन दर्ज किये जाने की व्यवस्था उत्तर प्रदेश पुलिस की वेबसाइट ीजजचरूध्ध्नचचवसपबमण्हवअण्पद पर त्मचवतज ब्तपउम ।हंपदेज ॅवउमद से लिंक सिटिजन सर्विसेज के माध्यम से उपलब्ध कराई गई है। ‘1090‘ विमेन पावर लाइन को और अधिक प्रभावी बनाने के निमित्त वर्ष 2014 में श्ॅवउमद ैमबनतपजल ।चच 1090श् सेवा भी प्रारम्भ की गयी है।
मानव तस्करी की घटनाओं को रोकने की दिशा में प्रदेश सरकार द्वारा गम्भीरता से प्रयास किये जा रहे हंै। इसके लिये राज्य स्तर पर एक टास्क फोर्स के गठन के निर्देश दिये गये हंै। समस्त एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट्स को और अधिक सशक्त व सुदृढ़ किया जा रहा है। प्रदेश में साइबर अपराधों की रोकथाम एवं इन अपराधों के अनावरण हेतु प्रदेश के समस्त जनपदों में साइबर क्राइम यूनिट का गठन किया गया है।

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