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गुजरात के गांधीनगर में डिजिटल इंडिया वीक 2022 में प्रधानमंत्री के संबोधन का मूल पाठ

देश-विदेश

नमस्ते, गुजरात के मुख्यमंत्री श्री भूपेंद्र भाई पटेल जी, केंद्रीय मंत्री परिषद के मेरे सहयोगी श्री अश्विनी वैष्णव जी, श्री राजीव चंद्रशेखर जी, अलग-अलग राज्यों से जुड़े  सभी प्रतिनिधि, डिजिटल इंडिया के सभी लाभार्थी, स्टार्ट अप्स और इंडस्ट्री से जुड़े सभी साथी, एक्सपर्ट्स,  अकदमीशियनस, researchers, देवियों और सज्जनों!

आज का ये कार्यक्रम, 21वीं सदी में निरंतर आधुनिक होते भारत की एक झलक लेकर आया है।टेक्नोलॉजी का सही इस्तेमाल पूरी मानवता के लिए कितना क्रांतिकारी है, इसका उदाहरण भारत ने डिजिटल इंडिया अभियान के तौर पर पूरे विश्व के सामने रखा है।

मुझे खुशी है कि आठ वर्ष पहले शुरू हुआ ये अभियान, बदलते हुए समय के साथ खुद को विस्तार देता रहा है। हर साल डिजिटल इंडिया अभियान में नए आयाम जुड़े हैं, नई टेक्नोलॉजी का समावेश हुआ है। आज के इस कार्यक्रम में जो नए प्लेटफॉर्म, नए प्रोग्राम लॉन्च हुए हैं, वो इसी श्रंखला को आगे बढ़ा रहे हैं। अभी आपने छोटे-छोटे वीडियो में देखा, myScheme हो, भाषिणी-भाषादान हो, Digital India – जेनीसिस हो, Chips to startup program हो, या बाकी सारे प्रॉडक्ट्स, ये सारे Ease of living और Ease of doing business को मजबूती देने वाले हैं। विशेषतौर पर इनका बड़ा लाभ भारत के स्टार्ट अप इकोसिस्टम को होगा।

साथियों,

समय के साथ जो देश आधुनिक टेक्नोलॉजी को नहीं अपनाता, समय उसे पीछे छोड़कर आगे निकल जाता है और वो वहीं का वहीं रह जाता है। तीसरी औद्योगिक क्रांति के समय भारत इसका भुक्तभोगी रहा है। लेकिन आज हम ये गर्व से कह सकते हैं कि भारत चौथी औदयोगिक क्रांति, इंडस्ट्री 4.0, आज भारत गर्व से कह सकता है कि हिन्‍दुस्‍तान दुनिया को दिशा दे रहा है।और मुझे इस बात की दोहरी खुशी है कि गुजरात ने इसमें भी एक तरह से पथ-प्रदर्शक की भूमिका निभाई है।

थोड़ीदेरपहलेयहांडिजिटलगवर्नेंसकोलेकरगुजरातकेबीते 2 दशकोंकेअनुभवोंकोदिखायागयाहै। गुजरातदेशकापहलाराज्यथाजहां Gujarat State Data Centre (GSDC), Gujarat Statewide Area Network (GSWAN), e-Gram centers, और ATVT / Jan Seva Kendra जैसे pillars खड़ेकिएगए।

सुरत, बारडोली के पास जब सुभाष बाबु कोंग्रेस के अध्यक्ष बने थे, वहां सुभाष बाबु कि याद में कार्यक्रम किया और ई विश्वग्राम का उस समय लोन्चिंग किया था।

गुजरातकेअनुभवोंने 2014 केबादराष्ट्रीयस्तरपरटेक्नॉलॉजीकोगवर्नेंसकाव्यापकहिस्साबनानेमेंबहुतमददकीहै, धन्‍यवादगुजरात।यहीअनुभवडिजिटलइंडियामिशनकाआधारबने।आजजबहमपीछेमुड़करदेखतेहैंतोआपकोमहसूसहोताहैकिइन 7-8 सालोंमेंडिजिटलइंडियानेहमाराजीवनकितनाआसानबनादियाहै। 21वींसदीमेंजिनकाजन्महुआहै, जोहमारीयुवापीढ़ीहै, जिसकाजन्‍म 21वींसदीमेंहुआ है, उनकेलिएतोआजडिजिटललाइफबहुतCool लगतीहै, फैशनस्‍टेटमेंटलगताहैउनको।

लेकिन सिर्फ 8-10 साल पहले की स्थितियों को याद कीजिए। Birth certificate लेने के लिए लाइन, बिल जमा करना है तो लाइन, राशन के लिए लाइन, एडमिशन के लिए लाइन, रिजल्ट और सर्टिफिकेट के लिए लाइन, बैंकों में लाइन, इतनी सारी लाइनों का समाधान भारत ने Online होकर कर दिया। आज जन्म प्रमाण पत्र से लेकर वरिष्ठ नागरिक की पहचान देने वाले जीवन प्रमाण पत्र तक, सरकार की अधिकतर सेवाएं डिजिटल हैं वरना पहले सीनियर सिटिजन को खास करके पेंशनर्स को जा करके कहना पड़ता था कि मैं जिंदा हूं। जिन कामों के लिए कभी कई-कई दिन लग जाते थे वो आज कुछ पलों में हो जाते हैं।

साथियों,

आजडिजिटलगवर्नेंसकाएकबेहतरीनइंफ्रास्ट्रक्चरभारतमेंहै।जनधन-मोबाइलऔरआधार, GEM, इसकीजोत्रिशक्तिकादेशकेगरीबऔरमिडिलक्लासकोसबसेअधिकलाभहुआहै।इससेजोसुविधामिलीहैऔरजोपारदर्शिताआईहै, उससेदेशकेकरोड़ोंपरिवारोंकापैसाबचरहाहै।8 सालपहलेइंटरनेटडेटाकेलिएजितनापैसाखर्चकरनापड़ताथा, उससेकईगुनाकमयानीएकप्रकारसेनगण्‍य, उसकीमतमेंआजउससेभीबेहतरडेटासुविधामिलरहीहै।पहलेबिलभरनेकेलिए, कहींएप्लीकेशनदेनेकेलिए, रिज़र्वेशनकेलिए, बैंकसेजुड़ेकामहों, ऐसीहरसेवाकेलिएदफ्तरोंकेचक्करलगानेपड़तेथे।रेलवेकाआरक्षणकरवानाहोऔरगांवमेंरहताहोतोबेचारापूरादिनखपाकरकेशहरजाताथा, 100-150 रुपयाबसकाकिरायाखर्चकरताथा, औरफिरलाइनमेंलगताथारेलवेआरक्षणकेलिए।आजवोकॉमनसर्विससेंटरपरजाताहैऔरवहींसेउसको, यह मेरी कॉमर्स सर्विस वाली फ़ौज देखती है।औरवहींसेउसकाकामहोजाताहै, गांवमेंहीहोजाताहै।औरगांववालोंकोभीपताहैकहांयेव्‍यवस्‍थाहै।इसमेंभीकिराए-भाड़े, आना-जाना, दिनलगाना, सभीखर्चोंमेंकटौतीआईहै।गरीब, मेहनत-मज़दूरीकरनेवालोंकेलिएतोयेबचतऔरभीबड़ीहैक्योंकिउनकापूरादिनबचजाताहै।

औरकभी-कभीहमसुनतेथेनाTime is money. सुननेऔरकहनेमेंतोअच्‍छालगताहैलेकिनजबउसकाअनुभवसुनतेहैंतोदिलकोछूजाताहै।मैंअभीकाशीगयाथा, तोकाशीमेंरातको…दिनमेंतोइधर-उधरजाताहूंतोट्रैफिकऔरलोगोंकोपरेशानीतोफिरमैंरातकोएक-डेढ़बजेरेलवेप्‍लेटफॉर्मपरचलागयादेखनेकेलिएकिभईकहांक्‍याहालहै।क्‍योंकिवहांकाएमपीहूंतोकामतोकरनाहै।तोमैंवहांपैसेंजरोंसेबातकररहाथा, स्‍टेशनमास्‍टरसेबातकररहा था।क्‍योंकिमेरासरप्राइजविजिटथा, किसीकोबताकरतोगयानहींथा।तोमैंनेकहाभईयेजोवंदेभारतट्रेनचलरहीहैक्‍याअनुभवहैऔरoccupancy कैसीलगी…अरेबोलेसाहबइतनीउसकीमांगहैकिहमेंकमपड़रहीहैं।मैंनेकहावोतोट्रेनथोड़ीमहंगीहै, इसकीटिकटज्‍यादालगतीहै, इसमेंलोगक्‍योंजातेहैं।बोलेसाहब, इसमेंमजदूरलोगसबसेज्‍यादाजातेहैं, गरीबलोगसबसेज्‍यादाजातेहैं।मैंनेकहाकैसेभई! मेरेलिएसरप्राइजथा।बोलेवोदोकारणोंसेजातेहैं।एक- बोलेवंदेभारतट्रेनमेंस्‍पेसइतनीहै‍ किसामानउठाकरलेकरजातेहैंतोरखनेकीजगहमिलजातीहै।गरीबकाअपनाएकहिसाबहै।औरदूसरा- समयजानेमेंचारघंटेबचजाताहैतोवहांतुरंतकामपरलगाजाताहूंतोछह-आठघंटेमेंजोकमाईहोतीहैटिकटतोउससेभीकममेंपड़जातीहै।Time is money, कैसेगरीबहिसाबलगाताहै, बहुतपढ़े-लिखेलोगोंकोइसकीसमझकमहोतीहै।

साथियों,

ई-संजीवनी जैसी टेलिकंसल्टेशन की जो सेवा शुरू हुई है। मोबाइल फोन से बड़े-बड़े अस्‍पताल, बड़े-बड़े डॉक्‍टरों के साथ प्राइमरी सारी चीजें पूरी हो जाती हैं। और इसके माध्यम से अब तक 3 करोड़ से अधिक लोगों ने घर बैठे ही अपने मोबाइल से अच्‍छे से अच्‍छे अस्‍पताल में, अच्‍छे से अच्‍छे डॉक्टर से कंसल्ट किया है। अगर उनको डॉक्टर के पास जाना पड़ता तो आप कल्‍पना कर सकते हैं कितनी कठिनाइयां होती, कितना खर्चा होता। ये सारी चीजें डिजिटल इंडिया सेवा के कारण जरूरत नहीं पड़ेंगी।

साथियों,

सबसेबड़ीबात, जोपारदर्शिताइससेआईहै, उसनेगरीबऔरमध्यमवर्गकोअनेकस्तरोंपरचलनेवालेभ्रष्टाचारसेमुक्तिदीहै।हमनेवोसमयदेखाहैजबबिनाघूसदिएकोईभीसुविधालेनामुश्किलथा।डिजिटलइंडियानेसामान्यपरिवारकायेपैसाभीबचायाहै।डिजिटलइंडिया, बिचौलियोंकेनेटवर्ककोभीसमाप्तकररहाहै।

और मुझे याद है एकबार विधान सभा में चर्चा हुई थी, आज इस चर्चा को याद करुं तो मुझे लगता है कि विधानसभा में ऐसी चर्चा होती थी। कुछ पत्रकार सब ढूंढ लेंगे। विषय ऐसा था की जो विधवा पेन्शन मिलता है तो उस समय मैंने कहा कि एक काम करो भाई, पोस्ट ओफिस में खातें खुलवा दिजिए और वहां उनकी फोटो हो और यह सब व्यवस्था हो और पोस्ट ओफिस में जाकर जो विधवा बहन हो उसे पेन्शन मिल जाए। हंगामा हो गया, तुफान हो गया, मोदी साहब आप क्या लाए हो विधवा बहन घर के बाहर कैसे निकले? वह बेंक या पोस्ट ओफिस में कैसे जाएं, उसे पैसे मिले कैसे, सब अलग अलग प्रकार से भाषण में आप देखों तो मजा आएं ऐसा बोले थे। मैंने तो कहा कि मुझे तो इस रास्ते पर जाना है आप मदद करें तो अच्छा है। ना की मदद लेकिन पर हम तो गए क्योंकि जनताने मदद की है ना? लेकिन ये हंगाम क्यों कर रहे थे साहब, उन्हें विधवा की चिंता नहीं थी, जब मैं पोस्ट ओफिस में फोटो, पहचान ऐसी सब व्यवस्थाएं की तब डिजिटल कि दुनिया तो इतने आगे बढी नही थी। आपको आश्चर्य होगा की अनेक विधवाएं ऐसी मिली कि जो बेटी का जन्म ही नहीं हुआ था और विधवा हो गई थी और पेन्शन जा रहा था। ये किसके खाते में जाता होगा ये आपको समज आया होगा। तो फिर कोलाहल होगा कि नहीं होगा। ऐसे सब बूच बंद कर दें तो तकलीफ तो होगी ही। आज टेकनोलोजी का उपयोग करके डायरेक्‍टबेनिफिटट्रांसफरकेमाध्यमसेबीते 8 सालमें 23 लाखकरोड़रुपएसेअधिकसीधेलाभार्थियोंकेबैंकखातेमेंभेजेगएहैं।इसटेक्नोलॉजीकीवजहसेदेशके 2 लाख 23 हजारकरोड़रुपएयानीकरीब-करीबसवादोलाखकरोड़रुपयेजोकिसीऔरकेहाथ में, गलतहाथमेंजातेथे, वोबचगएहैं, दोस्‍तों।

साथियों,

डिजिटलइंडियाअभियाननेजोएकबहुतबड़ाकामकियाहै, वोहैशहरऔरगांवोंकोबीचकीखाईकोकमकरना।हमेंयादहोगा, शहरोंमेंतोफिरभीकुछसुविधाथी, गांवोंकेलोगोंकेलिएतोहालातऔरभीमुश्किलभरेथे।गांवऔरशहरकीखाईभरेगी, इसकीभीकोईकल्पनाभीनहींकरसकताथा।गांवमेंछोटीसीछोटीसुविधाकेलिएभीआपकोब्लॉक, तहसीलयाजिलाहैडक्वार्टरकेदफ्तरोंकेचक्करलगानेपड़तेथे।ऐसीसारीमुश्किलोंकोभीडिजिटलइंडियाअभियाननेआसानबनायाहैऔरसरकारकोनागरिककेद्वारपर, उसकेगांव, घरऔरउसकीहथेलीमेंफोनपरलाकरखड़ाकरदियाहै।

गांवमेंसैकड़ोंसरकारीसेवाएंडिजिटलीदेनेकेलिएपिछले 8 वर्षमें 4 लाखसेअधिकनएकॉमनसर्विससेंटरजोड़ेजाचुकेहैं।आजगांवकेलोग, इनकेंद्रोंसेडिजिटलइंडियाकालाभलेरहेहैं।

मैं वहां दाहोद आया था तो दाहोद में मेरे आदिवासी भाईओ-बहनों से मिलना हुआ। वहां एक दिव्यांग कपल था। 30-32 साल कि आयु होगी, उन्होंने मुद्रा योजना में से पैसे लिए, कम्प्युटर का थोडा बहुत सिखे, और पति पत्नीने कोमन सर्विस सेन्टर शुरु किया, दाहोद के आदिवासी जिले के एक छोटे से गांव में। वह भाई और उनके पत्नी मुझे मिले तो उन्होंने मुझे कहा की साहब, एवरेज मेरी प्रति मास 28000 रुपए की आय है, गांव में लोग अब मेरे यहां ही सेवा ले रहे है। डिजिटल ईन्डिया की ताकत देखों भाई

सवालाखसेअधिककॉमनसर्विससेंटरग्रामीणस्टोर, अब e-commerce कोभीग्रामीणभारततकलेजारहेहैं।

एक दुसरा अनुभव, व्यवस्थाओँ का किस तरह लाभ लिया जा सकता है। मुझे याद है जब मैं यहां गुजरात में था तो किसानों को बीजली का बिल चूकाने के लिए समस्या होती थी, पैसे लेने के स्थान 800-900 थे। देरी हो तो नियम के अनुसार बीजली का कनेक्शन कट जाता था, कट जाएं तो फिर से नया कनेक्शन लेना पडे तो फिर से पैसे देने पडते थे। हमने भारत सरकार को उस समय बिनती की, अटलजी की सरकार थी, अनुरोध किया कि ये पोस्ट ओफिस में चालु कर दिजिएना, बीजली का बिल हमारे पोस्ट ओफिस वालें लेना शुरु करे ऐसा कर दिजिए, अटलजीने मेरीबात मानी और गुजरात में किसानों को समस्या से मुक्ति मिल गई, व्यवस्थाओं का उपयोग किस तरह किया जा सकता है ऐसा एक प्रयोग मैंने दिल्ही में जाकर किया, आदत जाएगी नहीं, क्योंकी हम लोग अहमदाबादी, सिंगल फेर डबल जर्नी की आदत पडी है, इसलिए रेलवे को खुद का वाईफाई, बहुत स्ट्रोंग नेटवर्क है, तो उस समय हमारे रेलवे के मित्रो को मैंने कहा , ये 2019 के चुनाव से पहले कि बात है। मैंने उनसे कहा कि रेलवे के जो प्लेटफोर्म है उनके उपर वाईफाई मुफ्त कर दिजिए। और आसपास के गांवों के बच्चों को वहां आकर पढना हो तो आएं और उन्हें कनेक्टिविटी मिल जाएं और उन्हें जो पढना लिखना हो करें, आपको आश्चर्य होगा कि मैं एकबार वर्च्युअली कुछ विद्यार्थीओ के साथ बात कर रहा था। बहुत सारे लोग रेलवे प्लेटफोर्म पर मुफ्त वाईफाई कि मदद से कोम्पिटिटिव परीक्षा की तैयारी करते थे और पास होते थे, कोचिंग क्लास में जाना नहीं, खर्च करना नहीं, घर छोडना नहीं, बस हमें बा के हाथ का रोटला मिले और पढने का, रेलवे के प्लेटफोर्म का उपयोग डिजिटल ईन्डिया की ताकत देखें दोस्तो

पीएम स्वामित्व योजना, शायद शहर के लोगों का बहुत कम इस पर ध्‍यान गया है। पहली बार शहरों की तरह ही गांव के घरों की मैपिंग और डिजिटल लीगल डॉक्यूमेंट ग्रामीणों को देने का काम चल रहा है। ड्रोन गांव के अंदर जा करके हर घर की ऊपर से मैपिंग कर रहा है, मैप बनाता है, वो convince होता है, उसको सर्टिफिकेट मिलता है, अब उसके कोर्ट-कचहरी के सारे झंझट बंद, ये है डिजिटल इंडिया के कारण। डिजिटल इंडिया अभियान ने देश में बड़ी संख्या में रोज़गार और स्वरोज़गार के अवसर भी बनाए हैं।

साथियों,

डिजिटल इंडिया का एक बहुत ही संवेदनशील पहलू भी है, जिसकी उतनी चर्चा शायद बहुत ज्‍यादा होती नहीं। डिजिटल इंडिया ने खोए हुए अनेक बच्चों को कैसे अपने परिवार तक वापस पहुंचाया ये जान करके आपके हृदय को छू जाएगा। अभी मैं, और मेरा तो आपसे आग्रह है जो यहां digital का exhibition लगा है आप जरूर देखिए। आप तो देखिए, अपने बच्‍चों को ले करके दोबारा आइए। कैसे दुनिया बदल रही है, वहां जा करके देखोगे तो पता चलेगा। मुझे वहां अभी एक बिटिया से मिलना हुआ। वो बेटी 6 साल की थी, तो अपने परिवार से बिछुड़ गई थी। रेलवे प्‍लेटफार्म पर मां का हाथ छूट गया, वो किसी और ट्रेन में बैठ गई।, माता-पिता के बारे में बहुत कुछ बता नहीं पा रही थी। उसके परिवार को खोजने की बहुत कोशिश हुई लेकिन किसी को सफलता नहीं मिली। फिर आधार डेटा की मदद से उसके परिवार को खोजने का प्रयास हुआ। उस बच्ची का आधार बायोमीट्रिक लिया तो वो रिजेक्ट हो गया। पता चला कि बच्ची का पहले ही आधार कार्ड बन चुका है। उस आधार डिटेल के आधार पर उस बिटिया का परिवार खोज निकाला गया।

आपको जानकर अच्छा लगेगा कि आज वो बच्‍ची अपने परिवार के साथ अपनी जिंदगी जी रही है। अपने सपनों को साकार करने के लिए अपने गांव में कोशिश कर रही है। आपको भी ये जान करके अच्‍छा लगेगा और मेरी जानकारी है ऐसे अनेक सालों से 500 से अधिक बच्‍चों को इस टेक्‍नोलॉजी की मदद अपने परिवार से मिलाया जा चुका है।

साथियों,

बीते आठ वर्षों में डिजिटल इंडिया ने देश में जो सामर्थ्य पैदा किया है, उसने कोरोना वैश्विक महामारी से मुकाबला करने में भारत की बहुत मदद की है। आप कल्पना कर सकते हैं कि अगर डिजिटल इंडिया अभियान नहीं होता तो 100 साल आए से सबसे बड़े संकट में देश में हम क्‍या कर पाते? हमने देश की करोड़ों महिलाओं, किसानों, मज़दूरों, के बैंक अकाउंट में एक क्लिक पर हज़ारों करोड़ रुपए उनको पहुंचा दिए, पहुंचाए। वन नेशन-वन राशन कार्ड की मदद से हमने 80 करोड़ से अधिक देशवासियों को मुफ्त राशन सुनिश्चित किया है, ये टेक्‍नोलॉजी का कमाल है।

हमने दुनिया का सबसे बड़ा और सबसे efficient covid vaccination और covid relief program चलाया। Arogya setu और Co-win, ये ऐसे प्‍लेटफॉर्म हैं कि उसके माध्यम से अब तक करीब-करीब 200 करोड़ वैक्सीन डोज़…उसका पूरा रिकॉर्ड उपलब्‍ध है, कौन रह गया, कहां रह गया, उसकी जानकारी उसके माध्‍यम से प्राप्‍त होती है, और हम टारगेटेड व्‍यक्ति को वैक्‍सीनेशन का काम कर पा रहे हैं। दुनिया मेंमें आज भी चर्चा है कि वैक्‍सीन सर्टिफिकेट कैसे लेना है, कई दिन निकल जाते हैं। हिन्‍दुस्‍तान में वो वैक्‍सीन लगा करके बाहर निकलता है, उसके मोबाइल साइट पर सर्टिफिकेट मौजूद होता है। दुनिया कोविन के द्वारा  वैक्‍सीनेशन के डिटेल सर्टिफिकेट की जानकारी की चर्चा कर रही है, हिन्‍दुस्‍तान में कुछ लोग उनका कांटा इसी बात पर अटक गया, इस पर मोदी की फोटो क्‍यों है। इतना बड़ा काम, उनका दिमाग वहीं अटक गया था।

साथियों,

भारत का Digital fintech solution, और आज U-fintech का है, इसके विषय में भी मैं कहूंगा। कभी पार्लियामेंट के अंदर एक बार चर्चा हुई है उसमें देख लेना। जिसमें देश के भूतपूर्व वित्‍त मंत्रीजी भाषण कर रहे हैं कि उन लोगों के पास मोबाइल फोन नहीं हैं, लोग डिजिटल कैसे करेंगे। पता नहीं क्‍या-क्‍या वो बोले हैं, आप सुनोगे तो आपको आश्‍चर्य होगा। बहुत पढ़े-लिखे लोगों   का यही तो हाल होता है जी। Fintech UPI यानि Unified Payment Interface, आज पूरी दुनिया इस पर आकर्षित हो रही है। वर्ल्‍ड बैंक समेत सबने ये उत्‍तम से उत्‍तम प्‍लेटफार्म के रूप में उसकी सराहना की है। और मैं आपसे कहूंगा कि यहां प्रदर्शन में पूरा फिनटेक डिविजन है। ये कैसे काम करते हैं उसका वहां देखने को मिलेगा। किस प्रकार से मोबाइल फोन पर पेमेंट होते हैं, कैसे पैसे आते हैं, जाते हैं, सारा वैसे आपको यहां देखने को मिलेगा। और मैं कहता हूं ये फिनटेक का जो प्रयास हुआ है, ये सही मायने में by the people, of the people, for the people  इसका उत्‍तम से उत्‍तम समाधान है। इसमें जो टेक्नॉलॉजी है वो भारत की अपनी है, यानि by the people. देशवासियों ने इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाया यानि of the people. इसने देशवासियों के लेनदेन को आसान बनाया यानि for the people.

इसी वर्ष मई के महीने में भारत में हर मिनट…गर्व करेंगे दोस्‍तों आप, भारत में हर मिनट में 1 लाख 30 हज़ार से अधिक UPI transactions हुए हैं। हर सेकंड औसतन 2200 ट्रांजेक्शन कंप्लीट हुए हैं। यानि अभी जो मैं आपसे भाषण कर रहा हूं जब तक मैं Unified Payment interface इतने शब्‍द बोलता हूं, इतने समय में UPI से 7000 ट्रांजेक्शन कंप्लीट हो चुके हैं…मैं जो दो शब्‍द बोल रहा हूं, उतने समय में। ये काम आज डिजिटल इंडिया के माध्‍यम से हो रहा है।

और साथियो, आपको गर्व होगा भारत में कोई कहता है अनपढ़ है, ढिकना है, फलाना है, ये है, वो है, वो देश की ताकत देखिए, मेरे देशवासियों की ताकत देखिए, दुनिया के समृद्ध देश, उनके सामने मेरा देश, जो डेव‍लपिंग कंट्री की दुनिया में है, दुनिया का 40 प्रतिशत डिजिटल लेनदेन हमारे हिन्‍दुस्‍तान में होता है, दोस्‍तों।

इसमेंभी BHIM-UPI आजसरलडिजिटलट्रांजेक्शनकासशक्तमाध्यमबनकरउभराहै।औरसबसेबड़ीबात, आजकिसीमॉलकेभीतरबड़े-बड़ेब्रांड्सबेचनेवालेकेपासट्रांजेक्शनकीजोटेक्नॉलॉजीहै, वहीटेक्नॉलॉजीआजउसकेसामनेरेहड़ी- पटरीऔरठेलावालेबैठेहुएहैंनाफुटपाथपर, 700-800 रुपएकमातेहैं, ऐसेमजदूरकेपासभीवोहीव्‍यवस्‍थाहै, जोबड़े-बड़ेमॉलमेंअमीरोंकेपासहै।वरनावोदिनभीहमनेदेखेहैंजबबड़ी-बड़ीदुकानोंमेंक्रेडिटऔरडेबिटकार्डचलतेथे, औररेहड़ी-ठेलेवालासाथी, ग्राहककेलिएछुट्टेपैसेकीतलाशमेंहीरहताथा।औरअभीतोमैंदेखरहाथाएकदिन, बिहारकाकोई, प्‍लेटफार्मपरकोईभिक्षामांगरहाथातोवोडिजिटलपैसेलेताथा।अबदेखिएनअबदोनोंकेपाससमानशक्तिहै, डिजिटलइंडियाकीताकतहै।

इसलिएआजदुनियाकेविकसितदेशहों, याफिरवोदेशजोइसप्रकारकीटेक्नॉलॉजीमेंइन्वेस्टमेंटनहींकरसकते, उनकेलिए UPI जैसेभारतकेडिजिटलप्रोडक्टआजआकर्षणकाकेंद्रहैं।हमारे digital solutions में scale भीहै, ये secure भीहैंऔर democratic values भीहैं।हमारायेजोगिफ्टसिटीकाकामहैना, मेरेशब्‍दलिखकररखिएगाउसको, औरमेरा 2005 या 2006 काभाषणहैवोभीसुनलीजिएगा।उससमयजोमैंनेकहाथा, किगिफ्टसिटीमेंक्‍या–क्‍याहोनेवालाहै, आजवोधरतीपरउतरहोताहुआदिखाईदेरहाहै।औरआनेवालेदिनोंमेंफिनटेककीदुनियामेंडेटासिक्‍योरिटीकेविषयमें, फाइनेंसकीदुनियामेंगिफ्टसिटीबहुतबड़ीताकतबनकरकेउभररहाहै।येसिर्फगुजरातनहीं, पूरेहिन्‍दुस्‍तानकीआन-बान-शानबनरहाहै।

साथियों,

डिजिटिलइंडियाभविष्यमेंभीभारतकीनईअर्थव्यवस्थाकाठोसआधारबने, इंडस्ट्री 4.0 मेंभारतकोअग्रणीरखे, इसकेलिएभीआजअनेकप्रकारकेinitiative लिएजारहेहैं, प्रयासकिएजारहेहैं।आज AI, block-chain, AR-VR, 3D printing, Drones, robotics, green energy ऐसीअनेकNew Age industries केलिए 100 सेअधिकस्किलडेवलपमेंटकेकोर्सेजचलाएजारहेहैंदेशभरमें।हमाराप्रयासहैकिविभिन्नसंस्थाओंकेसाथमिलकर, आनेवाले 4-5 सालोंमें 14-15 लाखयुवाओंको future skills केलिए reskill और upskill कियाजाए, उसदिशामेंहमाराप्रयासहै।

इंडस्ट्री 4.0 केलिएज़रूरीस्किल्सतैयारकरनेकेलिएआजस्कूलकेस्तरपरभीफोकसहै।करीब 10 हज़ारअटलटिंकरिंगलैब्समेंआज 75 लाखसेअधिकछात्र-छात्राएं Innovative Ideas परकामकररहेहैं, आधुनिकटेक्नॉलॉजीसेरूबरूहोरहेहैं।अभीमैंयहांप्रदर्शनीदेखनेगयाथा।मेरेमनकोइतनाआनंदहुआकिदूर-सुदूरउड़ीसाकीबेटीहै, कोईत्रिपुराकीबेटीहै, कोईउत्‍तरप्रदेशकेकिसीगांवकीबेटीहै, वोअपनेप्रॉडक्‍टलेकरकेआईहै। 15 साल, 16 साल, 18 सालकीबच्चियांदुनियाकीसमस्‍याओंकासमाधानलेकरकेआईहैं।आपजबउनबच्चियोंसेबातकरोगेतोआपकोलगेगायेमेरेदेशकीताकतहैदोस्‍तो।अटलटिंकरिंगलैब्सकेकारणस्‍कूलकेअंदरहीजोवातावरणबनाहैउसीकायेनतीजाहैकिबच्‍चेबड़ीबातलेकरके, बड़ीसमस्‍याओंकेसमाधानलेकरकेआतेहैं।वो 17 सालकाहोगा, मैंनेउसकोअपनापरिचयपूछा, वोकहताहैमैंतोब्रांडएम्‍बेसेडरहूं।यानीडिजिटलइंडियाकेक्षेत्रमेंहमजो equipment कोलेकरकामकररहेहैं, मैंउसकाब्रांडएमबेसेडरहूं।इतनेconfidence सेवोबातकररहाथा।यानीयेसामर्थ्‍यजबदेखतेहैंतोविश्‍वासऔरमजबूतहोजाताहै।येदेशसपनेसाकारकरकेरहेगा, संकल्‍पपूरेकरकेरहेगा।

साथियो,

नईराष्ट्रीयशिक्षानीतिभीटेक्नॉलॉजीकेलिएज़रूरीमाइंडसेटतैयारकरनेमेंमहत्वपूर्णभूमिकानिभानेवालीहै।अटलइंक्यूबेशनसेंटर्सकाएकबहुतबड़ानेटवर्कदेशमेंतैयारकियाजारहाहै।इसीप्रकार, पीएमग्रामीणडिजिटलसाक्षरताअभियानयानि PM-दिशादेशमेंडिजिटलसशक्तिकरणकोप्रोत्साहितकरनेकाएकअभियानचलारहाहै।अभीतकइसके 40 हज़ारसेअधिकसेंटरदेशभरमेंबनचुकेहैंऔर 5 करोड़सेअधिकलोगोंकोट्रेनिंगदीजाचुकीहै।

साथियों,

डिजिटल स्किल्स और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ-साथ टेक्नॉलॉजी के सेक्टर में युवाओं को ज्यादा से ज्यादा अवसर देने के लिए अनेक विविध दिशाओं में  रिफॉर्म्स किए जा रहे हैं। स्पेस हो, मैपिंग हो, ड्रोन हो, गेमिंग और एनीमेशन हो, ऐसे अनेक सेक्टर जो future digital tech को विस्तार देने वाले हैं, उनको इनोवेशन के लिए खोल दिया गया है। In-space…अब In-space हेडक्‍वार्टर अहमदाबाद में बना है। In-space और नई ड्रोन पॉलिसी जैसे प्रावधान आने वाले वर्षों में भारत के tech potential को इस दशक में नई ऊर्जा देंगे। मैं जब यहां In-space के हेडक्‍वार्टर के उद्घाटन के लिए आया था पिछले महीने तो कुछ बच्‍चों से मेरी बातचीत हुई, स्‍कूल के बच्‍चे थे। वे सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी कर रहे थे..अंतरिक्ष में सेटेलाइट छोड़ने की तैयारी कर रहे थे। तो मुझे वहां बताया गया कि हम आजादी के अमृत महोत्‍सव के निमित्‍त स्‍कूल के बच्‍चों द्वारा बनाए 75 सेटेलाइट आसमान में छोड़ने वाले हैं, अंतरिक्ष में छोड़ने वाले हैं। ये मेरे देश की स्‍कूल की शिक्षा में हो रहा है दोस्‍तो।

साथियों,

आजभारत, अगलेतीन-चारसालमेंइलेक्ट्रॉनिकमैन्यूफैक्चरिंगको 300 बिलियनडॉलरसेभीऊपरलेजानेकेलक्ष्यपरकामकररहाहै।भारत Chip Taker से Chip Maker बननाचाहताहै।सेमीकंडक्टर्सकाउत्पादनबढ़ानेकेलिएभारतमेंतेजीसेनिवेशबढ़रहाहै।PLI स्कीमसेभीइसमेंमददमिलरहीहै।यानिमेकइनइंडियाकीशक्तिऔरडिजिटलइंडियाकीताकतकीडबलडोज, भारतमेंइंडस्ट्री 4.0 कोनईऊंचाईपरलेजानेवालीहै।

आजकाभारतउसदिशाकीतरफबढ़रहाहैजिसमेंनागरिकोंको, योजनाओंकेलाभकेलिए, दस्तावेजोंकेलिएसरकारकेपास Physical रूपमेंआनेकीजरूरतनहींहोगी।हरघरमेंपहुंचताइंटरनेटऔरभारतकीक्षेत्रीयभाषाओंकीविविधता, भारतकेडिजिटलइंडियाअभियानकोनईगतिदेगी।डिजिटलइंडियाअभियान, ऐसेहीनए-नएआयामखुदमेंजोड़ताचलेगा, Digital space में global leadership कोदिशादेगा।औरमैंआजसमयमेरेपासकमथा, मैंहरचीज़ेंकोनहींदेखपाया।लेकिनशायददोदिनभीकमपड़जाएंइतनीसारीचीजेंहैंवहां।औरमैंगुजरातकेलोगोंसेकहूंगामौकामतछोडि़ए।आपजरूरअपनेस्‍कूल-कॉलेजकेबच्‍चोंकोवहांलेजाइए।आपभीसमयनिकालकरजाइए।एकनयाहिन्‍दुस्‍तानआपकीआंखोंकेसामनेदिखाईदेगा।औरसामान्‍यमानवीकेजीवनकीजरूरतोंसेजुड़ाहुआहिन्‍दुस्‍तानदिखेगा।एकनयाविश्‍वासपैदाहोगा, नएसंकल्‍पभरेजाएंगे।औरआशा-आकांक्षाओंकीपूर्तिकाविश्‍वासलेकरकेडिजिटलइंडियाकेमाध्‍यमसेभीदेशभविष्‍यकाभारत, आधुनिकभारत, समृद्धऔरसशक्‍तभारत, उसदिशामेंआगेबढ़नेकीतैयारीकीत‍रफतेजगतिसेबढ़रहाहै।इतनेकमसमयमेंजोप्राप्‍तकियाहै, भारतकेपासटेलेंटहै, भारतनौजवानोंकासामर्थ्‍यहै, उन्‍हेंअवसरचाहिए।औरआजदेशमेंएकऐसीसरकारहैजोदेशकीजनतापरभरोसाकरतीहै, देशकेनौजवानपरभरोसाकरतीहैऔरउसकोनएप्रयोगकरनेकेलिएअवसरदेरहीहैऔरउसीकापरिणामहैकिदेशअनेकदिशाओंमेंअभूतपूर्वताकतकेसाथआगेबढ़रहाहै।

इस डिजिटल इंडिया वीक के लिए मैं आपको बहुत शुभकामनाएं देता हूं। आने वाले दो-तीन दिन तो ये शायद प्रदर्शनी चालू रहेगी। उसका लाभ आप लोग लेंगे। फिर से एक बार मैं भारत सरकार के विभाग का भी अभिनंदन करता हूं कि उन्‍होंने इतने बढ़िया कार्यक्रम की रचना की। मुझे, आज मैं सुबह तो तेलंगाना था, फिर  आंध्र चला गया और फिर यहां आपके बीच आने का मुझे मौका मिला, और अच्‍छा लगता है। आप सबका उत्‍साह देखता हूं, उमंग देखता हूं तो और आनंद आता है। इस कार्यक्रम को गुजरात में करने के लिए मैं डिपार्टमेंट को बधाई देता हूं और इतना शानदार कार्यक्रम करने के लिए अभिनंदन करता हूं। और देशभर के नौजवानों के लिए ये प्रेरणा बनकर रहेगा, इसी विश्‍वास के साथ आप सब को बहुत-बहुत शुभकामनाएं।

धन्यवाद !

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