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विद्यार्थियों को पढ़ाई का पूरा अवसर और संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं: डाॅ0 दिनेश शर्मा

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां डाॅ0 राम मनोहर लोहिया विधि विश्वविद्यालय के डाॅ0 आंबेडकर सभागार में आयोजित हाईस्कूल-इण्टरमीडिएट परीक्षा वर्ष-2019 के मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान समारोह में 1,695 मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित किया। इनमें से राज्यस्तर के 102 मेधावी विद्यार्थियों को मुख्यमंत्री जी ने स्वयं एक लाख रुपये की धनराशि का चेक, एक टैबलेट, मेडल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर सम्मानित किया। मुख्यमंत्री जी ने इन विद्यार्थियों के माता-पिता को भी सम्मानित किया। उन्होंने इस अवसर पर विभिन्न बोर्ड की वर्ष 2019 की हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट परीक्षाओं में प्रदेश स्तर पर प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले मेधावी विद्यार्थियों के 18 प्रधानाचार्याें को भी सम्मानित किया।
मुख्यमंत्री जी द्वारा मंच पर सम्मानित 102 विद्यार्थियों में वर्ष 2019 की हाईस्कूल व इण्टरमीडिएट की परीक्षा में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज के राज्य में प्रथम दस स्थान प्राप्त करने वाले 37, उत्तर प्रदेश माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद, लखनऊ के राज्य में प्रथम तीन स्थान प्राप्त करने वाले 06, काउंसिल फाॅर दि इण्डियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन, नई दिल्ली के राज्य में दस सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाले 26 व केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा परिषद, नई दिल्ली के राज्य में दस सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाले 33 विद्यार्थी सम्मिलित हैं।
इसके अलावा, 1,593 मेधावी विद्यार्थियों को 21 हजार रुपये की धनराशि का चेक, एक टैबलेट, मेडल और प्रशस्ति-पत्र प्रदान कर पुरस्कृत किया गया। इन विद्यार्थियों में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, लखनऊ की वर्ष 2019 की हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट परीक्षा में राज्य स्तर पर चैथे से लेकर दसवें स्थान तक आने वाले 18 मेधावी विद्यार्थी तथा उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद, प्रयागराज की वर्ष 2019 की हाईस्कूल और इण्टरमीडिएट की परीक्षा में प्रदेश के प्रत्येक जनपद में सर्वाेच्च दस स्थान प्राप्त करने वाले 1,575 विद्यार्थी सम्मिलित हैं।
इस अवसर पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री जी ने कहा कि मेधावी विद्यार्थियों के सम्मान से राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता को प्रोत्साहन मिलेगा। उन्होंने कहा कि वे सभी मेधावी विद्यार्थियों को स्वयं सम्मानित करना चाहते थे, किन्तु इसमें बहुत अधिक समय लगता। इसलिए कुछ चयनित मेधावी विद्यार्थियों को मंच पर बुलाकर सम्मानित किया गया है। उन्होंने कहा कि बच्चे के प्रथम शिक्षक माता-पिता होते हैं। विद्यार्थी की सफलता में उनके माता-पिता और गुरुजन का सर्वाधिक योगदान होता है। इसलिए मेधावी विद्यार्थियों के माता-पिता और प्रधानाचार्याें को भी सम्मानित किया गया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि कार्यभार ग्रहण करने पर वर्तमान राज्य सरकार के समक्ष राज्य में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार एक बड़ी चुनौती थी। इस चुनौती का सामना करने के लिए योजनाबद्ध ढंग से कार्य किया गया। विद्यालयों में विज्ञान, गणित सहित विभिन्न विषयों के अध्यापकों की तैनाती कर उनकी उपस्थिति सुनिश्चित की गयी। इससे शैक्षिक वातावरण में सुधार हुआ और राज्य में नकलविहीन परीक्षा सम्पन्न कराने में शिक्षकों, अभिभावकों, विद्यार्थियों आदि सभी का सहयोग प्राप्त हुआ। नकल पर सख्ती के बाद 5 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा छोड़ी। इनमें से अधिकतर का प्रदेश से कोई सम्बन्ध नहीं था। वे केवल नकल से प्रमाण-पत्र प्राप्त करने के लिए यहां परीक्षा के लिए आते थे। इससे माध्यमिक शिक्षा परिषद बदनाम होता था।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए अनेक कदम उठाये गये। राज्य में एन0सी0ई0आर0टी0 का पाठ्यक्रम लागू किया गया। शैक्षिक कैलेण्डर तैयार किया गया। महापुरुषों की जयंती पर होने वाले अवकाशों को समाप्त करने के साथ ही, उनके व्यक्तित्व और कृतित्व को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाया गया, जिससे युवा पीढ़ी को महापुरुषों के आदर्शाें और विचारों की जानकारी प्राप्त हो। परीक्षा अवधि को कम किया गया। पूर्व में, परीक्षाएं दो-तीन माह तक संचालित होती थीं। इस वर्ष उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा 15 दिन में समाप्त हुई है। इसका परिणाम भी 15 दिन में ही आ गया। देश में उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद का परीक्षाफल सबसे पहले आया है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि अब शिक्षा की गुणवत्ता को नया आयाम दिये जाने की आवश्यकता है। इसके लिए छात्र-छात्राओं में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को प्रोत्साहित किये जाने की जरूरत है। इस उद्देश्य से उ0प्र0 माध्यमिक शिक्षा परिषद ने सभी बोर्डाें के मेधावी विद्यार्थियों को सम्मानित करने का फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि भविष्य में यह सभी विद्यार्थी समाज के विभिन्न पक्षों को नेतृत्व प्रदान करेंगे। इसलिए शिक्षा का उद्देश्य मात्र डिग्री प्राप्त करना नहीं होना चाहिए। शिक्षा का उद्देश्य विद्यार्थियों के व्यक्तित्व विकास के माध्यम से समाज का सर्वांगीण विकास और ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की संकल्पना को मूर्तरूप देना है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि सरकारी वस्तु सबकी होती है, इसलिए उसका संरक्षण सबकी जिम्मेदारी है। उन्होंने इसी भाव से माह जून, 2019 में जिला विद्यालय निरीक्षक सहित सभी शिक्षाधिकारियों की बैठक आहूत कर, उन्हें प्रधानाचार्याें के साथ चर्चा कर विद्यालयों में बेहतर शैक्षिक वातावरण बनाने के निर्देश दिये थे। उन्होंने कहा कि गुरुकुल की परम्परा को आदर्श व्यवस्था इसीलिए माना जाता है, क्योंकि उस परम्परा में अध्यापक वेतन के साथ नहीं, बल्कि कर्तव्य के साथ जुड़ा था। उन्होंने कहा कि उनकी कामना है कि यह सम्मान समारोह मेधावी विद्यार्थियों के लिए जीवन का अमिट क्षण बने और उन्हें लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करे। उन्होंने कहा कि सभी विद्यार्थी परिश्रम और पुरुषार्थ से आगे बढ़ने का प्रयास करें। सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता, इस तरह से प्राप्त सफलता दीर्घकालिक और स्थायी नहीं होती है।
समारोह को सम्बोधित करते हुए उप मुख्यमंत्री डाॅ0 दिनेश शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार तनावमुक्त विद्यार्थी, नकलविहीन परीक्षा, गुणवत्तापरक शिक्षा पर बल दे रही है। राज्य सरकार का प्रयास है कि हमारे विद्यार्थी देश के कर्णधार बनें। इसके लिए विद्यार्थियों को पढ़ाई का पूरा अवसर और संसाधन उपलब्ध कराये जा रहे हैं। राज्य में एन0सी0ई0आर0टी0 का पाठ्यक्रम लागू किया गया है। प्रदेश में पुस्तकों का मूल्य देश में सबसे कम है। गुणवत्तापरक शिक्षा के लिए शैक्षिक कैलेण्डर तैयार किया गया है। इस वर्ष परीक्षा 15 दिन में समाप्त हुई थी। आगामी वर्ष में 12 दिन में परीक्षा समाप्त होगी। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि अपनी संतान को अच्छी संतान बनाने के लिए वे स्वयं भी अच्छी संतान बनें। बच्चों पर अपनी इच्छाएं न थोपें और उन्हें अपनी रुचि के अनुसार कैरियर चुनने दें। कार्यक्रम को शिक्षा राज्य मंत्री श्रीमती गुलाब देवी, प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा श्रीमती आराधना शुक्ला ने भी सम्बोधित किया।
इस अवसर पर राज्य मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण श्री मोहसिन रजा सहित जनप्रतिनिधिगण, शासन-प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी, शिक्षकगण, छात्र-छात्राएं एवं उनके अभिभावक उपस्थित थे।

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