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श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने एचयूआरएल की तीन आगामी परियोजनाओं की प्रगति की समीक्षा की

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नई दिल्ली: केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री श्री डी.वी. सदानंद गौड़ा ने आज नई दिल्ली में हिंदुस्तान ऊर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) की तीन आगामी परियोजनाओं – गोरखपुर, बरौनी और सिंदरी की प्रगति की समीक्षा की।

एचयूआरएल के एमडी श्री अरुण कुमार गुप्ता ने तीनों परियोजनाओं की प्रगति पर एक संक्षिप्त प्रस्तुति दी और कहा कि गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी परियोजनाओं ने अब तक क्रमशः 80%, 74% और 73% प्रगति हासिल की है। हालांकि, परियोजनाएं लॉकडाउन, यात्रा प्रतिबंध, मजदूरों की अनुपलब्धता आदि के कारण प्रभावित हुई हैं। स्थिति में अब सुधार हुआ है और पर्याप्त जनशक्ति को तीनों स्थलों पर फिर से काम शुरू करने के लिए जुटाया गया है, हालांकि यह पूर्व कोविड – स्तर की तुलना में 20% कम है। उन्होंने कहा कि परियोजनाओं को शुरू करने में निर्धारित समय सीमा से पाँच से छह महीने तक की देरी हो सकती है। उन्होंने आश्वासन दिया कि तीनों परियोजनाओं को अगले साल के अंत तक चालू कर दिया जाएगा।

श्री गौड़ा ने कहा कि कोविड-19 की चुनौतियों से हुए विलंब की भरपाई के लिए योजना तैयार की जानी चाहिए।

उन्होंने सुझाव दिया कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग का उपयोग विदेशों के सलाहकारों के साथ जुड़ने के लिए किया जा सकता है क्योंकि यात्रा प्रतिबंध कुछ समय के लिए जारी रहने की उम्मीद है। उन्होंने परियोजना स्थलों पर फिर से काम शुरू करने के लिए एचयूआरएल प्रबंधन के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि एक बार जब तीन परियोजनाओं को अगले साल के अंत तक चालू कर जायेगा, तो घरेलू क्षमता 38.1 लाख एमटी बढ़ जाएगी। इससे यूरिया उत्पादन में आत्मनिर्भरता में भी वृद्धि होगी। इन परियोजनाओं के चालू होने से देश को आयात पर निर्भरता कम होने, विदेशी मुद्रा की बचत, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोज़गार के सैकड़ों अवसरों का सृजन, सरकार के लिए कर प्राप्तियां आदि का लाभ प्राप्त होगा।

हिंदुस्तान ऊर्वरक और रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल) को 15 जून, 2016 को कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल), एनटीपीसी लिमिटेड (एनटीपीसी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (आई ओ सी एल ) द्वारा एक संयुक्त उद्यम कंपनी के रूप में निगमित किया गया, जिसके दो अन्य हिस्सेदार हैं – फर्टिलाइज़र कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) तथा हिंदुस्तान उर्वरक निगम लिमिटेड (एचएफसीएल)। एचयूआरएल के माध्यम से, भारत सरकार गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी में एफसीआईएल और एचएफसीएल के तीन बंद यूरिया संयंत्रों को पुनर्जीवित कर रही है, जिनमें से प्रत्येक की वार्षिक क्षमता 12.7 लाख एमटी है।

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