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जनता तक पहुंचे परिणाम, कागजों में नहीं रुके योजनाएं: स्वतंत्र देव सिंह

उत्तर प्रदेश

उत्तर प्रदेश में जल प्रबंधन और सिंचाई सुविधाओं के आधुनिकीकरण एवं विस्तार को लेकर राज्य सरकार निरंतर गंभीर एवं सक्रिय है। प्रदेश के जलशक्ति मंत्री श्री स्वतंत्र देव सिंह ने इसी क्रम में आज अयोध्या पहुंचकर सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के
महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक की, इस बैठक में सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग के अंतर्गत आने वाले अनेक विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग से जुड़ी विभिन्न योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करना, भविष्य की रणनीतियों पर विमर्श करना, और विभागीय समन्वय को मजबूत बनाना था। मंत्री जी ने अधिकारियों से योजनाओं की जमीनी हकीकत, चुनौतियों और आगामी कार्ययोजना की जानकारी ली और आवश्यक दिशा-निर्देश दिए।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने कहा कि जल संरक्षण और प्रबंधन, आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश जल क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन की ओर अग्रसर है। हमारा लक्ष्य है कि हर किसान तक समय पर सिंचाई सुविधा पहुंचे, हर घर तक सुरक्षित जल पहुंचे और बाढ़ जैसी आपदाओं पर प्रभावी नियंत्रण हो। उन्होंने निर्देशित किया कि चालू परियोजनाओं को तेजी से पूरा करें, नहरों की सफाई, मरम्मत एवं पुनरुद्धार पर विशेष जोर दें, किसानों को समय पर पानी उपलब्ध कराने हेतु योजनाएं त्वरित गति से पूर्ण कराएं। उन्होंने निर्देश दिए कि बाढ़ संभावित क्षेत्रों की पहचान कर पूर्व-तैयारी सुनिश्चित कराएं, बाढ़ चेतावनी प्रणाली को और आधुनिक एवं डिजिटल बनाने की दिशा में सुझाव दिया।
श्री स्वतंत्र देव सिंह ने इस अवसर पर नदियों के किनारे प्रदूषण नियंत्रण पर चल रही परियोजनाओं और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स की कार्यक्षमता एवं संचालन व्यवस्था की समीक्षा की उन्होंने निर्देश दिए कि नदियों की निर्मलता व अविरलता हम सबकी प्राथमिकता है। उन्होंने इस दौरान जल संचयन हेतु छोटे तालाबों, चेक डैम्स और कुओं के निर्माण कार्यों की समीक्षा।
श्री स्वतंत्र देव सिंह इस अवसर पर दो टूक कहा कि अब योजनाएं कागजों से निकलकर धरातल पर दिखनी चाहिए। प्रत्येक अधिकारी की जवाबदेही तय है। उन्होंने अधिकारियों से यह अपेक्षा जताई कि वे स्थानीय जनप्रतिनिधियों और ग्राम स्तर पर जल समितियों के साथ मिलकर योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और भागीदारी सुनिश्चित करें।उन्होंने कहा कि जल से जुड़े अभियानों को केवल सरकारी कार्यक्रम न मानकर सामाजिक आंदोलन बनाना होगा। इसके लिए जनप्रतिनिधियों, स्वयंसेवी संस्थाओं, विद्यालयों और ग्राम सभाओं की भागीदारी बढ़ाई जाएगी। जल संरक्षण का हर प्रयास, हमारे बच्चों के भविष्य की नींव है। हमारी नीतियां, योजनाएं और कार्यशैली एक विज़न पर आधारित हो यही हमारा लक्ष्य है।

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