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राष्ट्रपति ने विधि के छात्रों से अपने लोगों के अधिकारों और कल्याण के संघर्ष में नेतृत्व करने का आह्वान किया

देश-विदेश

नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने बंगलुरू के भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय (एनएलएसआईयू) के 24वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित किया।

छात्रों को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि विशेष तौर पर विधि के छात्रों को कानूनी भ्रातत्व के संदर्भ में अपने लोगों के अधिकारों और कल्याण के संघर्ष में नेतृत्व करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एनएलएसआईयू जैसे विश्वविद्यालयों को समकालीन चुनौतियों का सामना करने में नेतृत्व करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि मातृभूमि के लिए प्रेम के हमारे सभ्यता परक मूल्य, कर्तव्यों का प्रदर्शन, सभी के लिए दया, सहिष्णुता, बहुलवाद, महिलाओँ के लिए सम्मान, जीवन में ईमानदारी, व्यवहार में आत्मसंयम, कार्य में जिम्मेदारी और अनुशासन जैसी भावनाएं युवा मन में पूरी तरह से आत्मसात होनी चाहिए।

राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय मुद्दों पर विचारों को पढ़ने जानने के लिए छात्रों का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि एक लोकतंत्र सूचित भागीदारी के बिना मजबूत नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि समय-समय पर सिर्फ मतदान ही आवश्यक नहीं बल्कि प्रभावी कार्यान्वयन भी जरूरी है। उन्होंने शासन और राष्ट्र से संबंधित सभी मामलों में छात्रों की भागीदारी के माध्यम से सकारात्मक परिवर्तन लाने पर भी बल दिया। उन्होंने छात्रों से कानूनी और राजनीतिक संस्थानों को निखारने और मजबूत बनाने में सहायता का भी आह्वान किया। उन्होंने छात्रों से कहा कि वे ऐसे बेहतर नागरिकों के निर्माण में राष्ट्र की सहायता करें जो हमारे देश और समाज के ले सभी अवसरों का उपयोग करने में सक्षम हो।

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