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रासायनिक उर्वरक के स्थान पर जैविक उर्वरक एवं वर्मी कम्पोस्ट को दिया जाये बढ़ावा: सूर्य प्रताप शाही

उत्तर प्रदेश

लखनऊः उत्तर प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान मंत्री, श्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि बदलते परिवेश में आज खेती-किसानी में उन्नत तकनीकी की अहम भूमिका है। उन्होंने कहा कि किसानों को सशक्त बनाने के लिये कृषि विभाग के सौजन्य से ‘‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’’ विषय पर शीर्ष कृषि वैज्ञानिकों के साथ प्रदेश भर के किसानों द्वारा सीधा संवाद किया गया। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों एवं किसानों के बीच हुये इस संवाद का लाभ सिर्फ उत्तर प्रदेश के ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व के किसानों को होगा।

श्री शाही आज योजना भवन स्थित वीडियो कांफ्रेंसिंग हाल में प्रदेश के सभी 75 जनपदों में एन0आई0सी0 केन्द्र में उपस्थित महिला एवं पुरूष किसानों को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ‘‘वैज्ञानिकों की बात-किसानों के साथ’’ विषय पर वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश के किसानों को जागरूक करने का मुख्य उद्देश्य किसानों की आय में वृद्धि करना है। उन्होंने कहा कि किसानों की आय में वृद्धि करने के लिये आवश्यक है कि कृषि की लागत में कमी लायी जाय। उन्होंने कृषि लागत में कमी लाने के लिये कृषि की उन्नत तकनीकों के प्रयोग एवं रासायनिक उर्वरक के स्थान पर जैविक उर्वरक तथा वर्मी कम्पोस्ट के प्रयोग को बढ़ावा दिये जाने पर जोर दिया।

कृषि मंत्री ने कहा कि मेरा मानना है कि कृषि उत्पादों को पारम्परिक तौर पर न बेचकर इन्हें विभिन्न उप उत्पादों के रूप में प्रसंस्कृत करते हुये वैल्यू एडीशन कर मुनाफा बढ़ाया जा सकता है। साथ ही इस कार्य में महिलायें सबसे ज्यादा योगदान दे सकती हैं। उन्होंने कहा कि इस अभिनव प्रयोग का उद्देश्य जहां एक ओर किसानों की आय में वृद्धि करना है, वहीं दूसरी ओर किसानों को आत्मनिर्भर बनाना भी है।

प्रमुख सचिव कृषि, श्री अमित मोहन प्रसाद ने कहा कि कृषि क्षेत्र में पुरूषों के साथ साथ महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हैं। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की भागीदारी के अनुरूप उन्हें हस्सेदारी नहीं मिल पा रही है। इसके लिये उन्हें और अधिक सशक्त बनाये जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में आवश्यक है कि महिला किसानों को अधिक से अधिक उन्नत तकनीक के बारे में जानकारी दी जाय और कृषि के नये-नये साधनों के प्रति जागरूक किया जाय। उन्होंने बताया कि कृषि विभाग द्वारा विगत दिनों शीर्ष महिला वैज्ञानिकों का प्रदेश की महिला किसानों के साथ संवाद स्थापित कराकर इस दिशा में अभिनव प्रयास किया गया था, जिसे वृहद स्तर पर सराहा गया। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम का लाभ प्रदेश के किसानों के साथ-साथ देश-विदेश के किसान भी ले सकें, इसके लिये कार्यक्रम का सजीव प्रसारण http:webcast-gov-in/up/agriculture पर किया गया है।

डॉ0 बी0एस0 त्यागी, प्रधान वैज्ञानिक, आई0आई0टी0डब्ल्यू0बी0आर0, करनाल एवं डॉ बी0पी0 सिंह, निदेशक (बीज एवं प्रक्षेत्र) ने रबी में गेहूं एवं जौ फसल प्रबंधन के बारे में विस्तार से बताया। डॉक्टर एम0पी0 सिंह, निदेशक, आई0आई0पी0आर0, कानपुर ने रबी में दलहन फसल प्रबंधन के बारे में जानकारी दी। डॉ मोहिन्दर कादियान, इंटरनेशनल पोटैटो सेंटर, नई दिल्ली ने उन्नत आलू उत्पादन में तकनीकी के प्रयोग के बारे में बताया। डॉ0 सुधाकर पांडेय, वैज्ञानिक, भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी ने सब्जी उत्पादन एवं नर्सरी प्रबंधन के बारे में विस्तार से जानकारी दी।

डॉ एस0 राजन, निदेशक, सी0आई0एस0एफ0 रहमानखेड़ा ने फल उत्पादन हेतु रबी मौसम के प्रभावी बिंदुओं पर प्रकाश डाला। प्रो0 शिवप्रसाद, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, एस0एल0डी0बी0 लखनऊ ने पशुओं में नस्ल सुधार के तरीकों के बारे में बताया। डॉ कनीज फातिमा, सह प्राध्यापक, रहमानखेड़ा एवं श्री विनय सिंह, सहायक निदेशक, कृषि रक्षा ने रबी फसलों में रोग नियंत्रण के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला।

इस अवसर पर प्रदेश के विभिन्न किसानों द्वारा वैज्ञानिकों से कई सवाल भी पूछे गए। कृषि वैज्ञानिकों द्वारा किसानों की जिज्ञासा का समाधान करते हुए उन्हें कृषि, पशुपालन एवं फल तथा सब्जी उत्पादन के बारे में विस्तार से बताया गया।

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