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लखनऊ की नन्ही बच्ची अपूर्वा ने कविता के माध्यम से कोरोना को भगाने की की अपील

उत्तर प्रदेश

कोरोना ने जहाँ लोगों को पहले लॉकडाउन और फिर इससे उत्पन्न भय व बंदिशों के चलते घरों में रहने पर मजबूर कर दिया, वहीं बच्चे इसका उपयोग अपनी क्रिएटिविटी बढ़ाने में कर रहे हैं। ऑनलाइन क्लॉसेज के साथ-साथ घर पर ही रहकर अपनी प्रतिभा को निखार रहे हैं। लखनऊ में सी.एम.एस स्कूल, अलीगंज की कक्षा 4 की नन्ही छात्रा अपूर्वा ने कोरोना को दूर भगाने के लिए एक कविता “कोरोना को भगाना है” लिखी, जो कि आजकल खूब वायरल हो रही है। इस कविता में अपूर्वा ने घर पर ही रहने, सोशल डिस्टेंसिंग, हाथ धुलने, छींक व खाँसी आने पर मुँह को ढकने, इम्युनिटी बढ़ाने के लिए बाहर की बजाय मम्मी के बनाये खाने, घर में ही पढ़ाई करने, इनडोर गेम्स खेलने की मासूम अपील की है। कविता की अंतिम पंक्तियाँ प्रधानमंत्री मोदी जी की बात मानने को लेकर भी हैं। कोरोना काल में लोगों को सजग करते हुए अपूर्वा कहती हैं –

बाहर के खाने को बाय-बाय
मम्मी के हाथों का खाना है
कोरोना से लड़ने के लिए
इम्युनिटी को बढ़ाना है।

अपूर्वा के पिता एवं लखनऊ मुख्यालय परिक्षेत्र के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि, घर में रहकर टीवी देखते-देखते अपूर्वा ने वो सारी नसीहतें ध्यान से सुनीं, जिनसे कोरोना वायरस को दूर भगाया जा सकता है। और फिर इसे अपने मम्मी-पापा के सहयोग से एक खूबसूरत कविता में बदल दिया। अपूर्वा की माँ एवं अग्रणी ब्लॉगर व साहित्यकार सुश्री आकांक्षा यादव ने बताया कि, अपूर्वा ने इस कविता को गाया भी, जिसका वीडियो बनाकर उनके पिता ने यूट्यूब पर डाला। यूट्यूब पर भी इसे खूब सराहा जा रहा है। गौरतलब है कि अपूर्वा की बड़ी बहन अक्षिता (पाखी) भारत की सबसे कम उम्र की राष्ट्रीय बाल पुरस्कार विजेता हैं। इस कविता को इस लिंक पर जाकर सुना जा सकता है- https://youtu.be/2q5sHLG-1LM

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