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उपराज्यपाल श्री आर.के. माथुर ने केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में विकास और प्रशासन से संबंधित विभिन्न मुद्दों पर डॉ. जितेंद्र सिंह के साथ चर्चा की

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लद्दाख के उपराज्यपाल आर.के. माथुर ने आज केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) एवं पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह से मुलाकात की। उन्होंने बताया कि लद्दाख में सर्दीयों के मौसम में पर्यटक आकर्षण के रूप में स्नो स्कल्पचर यानी बर्फ की मूर्ति को बड़े पैमाने पर शामिल किया जाएगा, जिससे स्थानीय लोगों के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे।

उपराज्यपाल श्री आर.के. माथुर ने डॉ. जितेंद्र सिंह से लद्दाख में विश्व प्रसिद्ध बर्फ मूर्तिकला कला के आयोजन के लिए सीएसआईआर से सहायता प्रदान करने की अपील की। उन्होंने कहा कि कला के स्थिर होने के बाद आने वाले वर्षों में लद्दाख में आइस एंड स्नो स्कल्पचर फेस्टिवल आयोजित किया जाएगा।

प्रथम लद्दाख आइस एंड स्नो-स्कल्पचर वर्कशॉप 2022 का समापन समारोह 11 फरवरी को आयोजित किया गया था। इसका आयोजन कांगसिंग स्नो एंड आइस स्कल्पचर एसोसिएशन द्वारा लद्दाख पुलिस के सहयोग से चिलिंग मार्ग पर त्सुगास्ती के पास सैंगटैकचान में किया गया था। केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के उपराज्यपाल (एलजी) आर.के. माथुर समापन समारोह में शामिल हुए। उन्होंने कहा, “मुझे सर्दियों में लद्दाख छोड़ने में कोई तर्क नहीं दिखता। इस समय यहां आय अर्जित करने का प्रयास करना चाहिए।”

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस साल अप्रैल-मई से ’लेह बेरी’ की व्यावसायिक खेती शुरू करने का निर्णय लेने के लिए लद्दाख प्रशासन को धन्यवाद दिया। केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तत्वावधान में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ’लेह बेरी’ को बढ़ावा दे रही है जो शीत मरुस्थल का एक विशिष्ट खाद्य उत्पाद है और बड़े पैमाने पर व्यवसाय के साथ-साथ स्वरोजगार भी है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने मई 2018 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के लद्दाख दौरे का जिक्र किया, जब पीएम ने सी बकथॉर्न की व्यापक रूप से खेती का सुझाव दिया था, जो ’लेह बेरी’ का स्रोत भी है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर स्थानीय किसानों और स्वयं सहायता समूहों द्वारा उपयोग के लिए उपयुक्त उपकरण विकसित करेगा। वर्तमान में केवल 10 प्रतिशत नट वाइल्ड सी बकथॉर्न प्लांट से निकाले जाते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि स्थानीय उद्यमियों को सी बकथॉर्न पौधे से जैम, जूस, हर्बल टी, विटामिन-सी सप्लीमेंट्स, हेल्दी ड्रिंक्स, क्रीम, तेल और साबुन जैसे करीब 100 उत्पादों की पूरी तरह से जैविक तरीके से खेती, प्रसंस्करण और विपणन के माध्यम से आकर्षक रोजगार प्रदान किया जाएगा।

श्री माथुर ने यह भी बताया कि तीन औषधीय पौधों की व्यावसायिक खेती इस वसंत ऋतु में 15,000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर शुरू होगी। इसमें ’संजीवनी बूटी’ भी शामिल है, जिसे स्थानीय तौर पर ’सोला’ के रूप में जाना जाता है, जिसमें बहुत अधिक जीवन रक्षक और चिकित्सीय गुण होते हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने लद्दाख के एलजी को बताया कि परमाणु ऊर्जा विभाग फलों और सब्जियों के संरक्षण/उनकी शेल्फ लाइफ बढ़ाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश में गामा विकिरण प्रौद्योगिकी के लिए सुविधाएं स्थापित करेगा। उन्हें यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पहली बार बड़ी मात्रा में दुबई को खुबानी का निर्यात किया गया था।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रसिद्ध पश्मीना बकरियों के रोगों के उपचार के लिए लेह और कारगिल में दो-दो प्रशिक्षण कार्यशालाओं के आयोजन के लिए सीएसआईआर की सराहना की। लद्दाख के चारथांग में 4 लाख से अधिक पशु हैं, जिनमें मुख्य रूप से पश्मीना बकरियां हैं, जो आजीविका का काफी समृद्ध स्रोत हैं।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने श्री माथुर को बताया कि सीएसआईआर के वरिष्ठ वैज्ञानिकों की एक उच्च स्तरीय टीम इस गर्मी में पश्मीना बकरियों, भेड़ों और याक के लिए जिंक फोर्टिफिकेशन परियोजना समीक्षा करने के लिए लद्दाख का दौरा करेगी क्योंकि लद्दाख मुख्य रूप से एक पशुधन-आधारित अर्थव्यवस्था है। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर जीरो-नेट एनर्जी प्रोग्राम को सोलर पावर से जोड़कर वार्मिंग और कूलिंग सिस्टम के लिए जियो-थर्मल एनर्जी प्रोजेक्ट शुरू करने पर भी विचार कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने केंद्र के प्रशासन के तहत आने वाले क्षेत्र लद्दाख को उच्च प्राथमिकता दी, जिससे नए विश्वविद्यालयों, पेशेवर कॉलेजों और अन्य संस्थानों को मंजूरी मिल सकी। उन्होंने कहा कि जोजिला दर्रा खुलने से स्थानीय लोगों को बड़ी राहत मिली है।

उपराज्यपाल ने डीएआरपीजी द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों के प्रशिक्षण के लिए केंद्र शासित प्रदेश सरकार के अनुरोध पर प्रतिक्रिया के लिए डॉ. जितेंद्र सिंह का आभार जताया, जिसके द्वारा पहले ही दो व्यापक प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए गए हैं। उन्होंने केंद्र द्वारा प्रायोजित नई परियोजनाओं और शुरू की गई योजनाओं के मद्देनजर लद्दाख में अधिक संख्या में एजीएमयूटी कैडर के अधिकारियों को तैनात करने का भी अनुरोध किया।

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