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भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान ने 24वें कॉन्वोकेशन का आयोजन किया

उत्तराखंड

देहरादून: भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान (ईडीआईआई), अहमदाबाद, जिसे भारत सरकार के कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा ‘सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ के रूप में मान्यता प्राप्त है, जिसने अपने अहमदाबाद परिसर में शैक्षणिक कार्यक्रमों के 24वें कॉन्वोकेशन का आयोजन किया। इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. विजय कुमार सारस्वत, सदस्य – नीति आयोग, पूर्व सचिव – डीआरडीओ एवं प्रख्यात वैज्ञानिक शामिल हुए। समारोह में श्री राकेश शर्मा, अध्यक्ष – ईडीआईआई तथा मेनेजिंग डायरेक्टर एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड; डॉ. सुनील शुक्ला, डायरेक्टर जनरल,  ईडीआईआई  तथा ईडीआईआई गवर्निंग बोर्ड के सम्मानित सदस्य भी इस अवसर पर उपस्थित थे, जिनमें शामिल थे – श्री राजेश आर. गांधी, मेनेजिंग डायरेक्टर, वाडीलाल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, अहमदाबाद; श्री राहुल भावे, मेनेजिंग डायरेक्टर एवं सीईओ, आईएफसीआई लिमिटेड, नई दिल्ली तथा श्री पूर्णिमा भार्गव, सीजीएम एवं हेड, लर्निंग एवं एम्प्लॉयी एंगेजमेंट, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड।

24वें कॉन्वोकेशन में पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट – एंटरप्रेन्योरशिप, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट – इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप एंड वेंचर डेवलपमेंट तथा फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (FPM) जैसे शैक्षणिक कार्यक्रमों के अंतर्गत 74 विद्यार्थियों को डिप्लोमा और ग्रेजुएशन सर्टिफिकेट प्रदान किए गए। यह समारोह छात्रों की अकादमिक यात्रा और सफलता का उत्सव है, जो अब विभिन्न उद्योगों एवं संस्थानों में उद्यमिता की भूमिका निभाने के लिए आगे बढ़ रहे हैं। यह एक महत्वपूर्ण उपलब्धि को चिह्नित करता है।

इस वर्ष के ग्रेजुएट होने वाले बैच में कुल 74 विद्यार्थी शामिल थे, जिनमें पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट – एंटरप्रेन्योरशिप (PGDM-E) के 64 छात्र, पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा इन मैनेजमेंट – इनोवेशन, एंटरप्रेन्योरशिप एंड वेंचर डेवलपमेंट के 8 छात्र एवं फेलो प्रोग्राम इन मैनेजमेंट (FPM) के 2 छात्र देश के 12 विभिन्न राज्यों से हैं। पीजीडीएम-ई के 21 छात्रों ने अपनी 5 वर्षीय परस्पेक्टिव ग्रोथ प्लान को अंतिम रूप दिया है, जबकि इस कार्यक्रम के 43 छात्रों ने डिटेल्ड प्रोजेक्ट रिपोर्ट (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कर ली है। छात्रों ने छात्र स्टार्ट-अप इनोवेशन पोलीसी से ग्रांट स्वीकृतियां भी प्राप्त कर ली हैं। उनमें कुछ व्यवसायिक डोमेन शामिल हैं: वाणिज्यिक एवं आवासीय उपयोग के लिए छोटे स्तर के पवन टरबाइन विकसित करना; व्यावसायिक जीवन में समय प्रबंधन की चुनौतियों से निपटने हेतु सॉफ्टवेयर तैयार करना; तेज, सुरक्षित और विश्वसनीय ब्लड डिलीवरी प्रणाली बनाना; आवासीय भवनों में डिजिटल लॉकर स्थापित करना, जिससे कूरियर एजेंट सुरक्षित रूप से पार्सल छोड़ सकें और निवासी मोबाइल अलर्ट के जरिए किसी भी समय पार्सल प्राप्त कर सकें; बेहतर अयस्क ग्रेड प्राप्त करने के लिए और बहुमूल्य जल संसाधनों का उपयोग किए बिना शुष्क और व्यवहार्य तरीकों से लौह अयस्क का लाभकारीकरण; विद्युत दक्षता और उपयोगकर्ता सुविधा बढ़ाने वाले इनोवेटिव उत्पाद तैयार करना; और अन्य कई समसामयिक व्यावसायिक अवसरों को पहचान कर उन्हें व्यावहारिक रूप देना।

डॉ. वी. के. सारस्वत ने कॉन्वोकेशन में उपस्थित विद्यार्थियों को एक प्रेरणादायी भाषण के माध्यम से भारत के विकसित होते उद्यमिता परिदृश्य की झलक दी और यह बताया कि किस प्रकार उनका योगदान राष्ट्र निर्माण में सहायक होगा। उन्होंने कहा, “आपकी यह क्षमता कि आप अनिश्चितताओं में निर्णय ले सकें, अधूरी जानकारी के आधार पर सही रणनीतियाँ बना सकें, और बदलती परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढाल सकें—यही आपकी स्थायी सफलता का आधार बनेगा। हमारे आपस में जुड़े इस वैश्विक युग में, विभिन्न संस्कृतियों के साथ संवाद करना अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया है। भारत की भाषा, सांस्कृतिक और आर्थिक विविधता ऐसे उद्यमियों की मांग करती है, जो सभी समुदायों और परिस्थितियों में प्रासंगिक समाधान तैयार कर सकें। वैश्विक सहयोग के लिए यह आवश्यक है कि हम विभिन्न संस्कृतियों के साथ प्रभावी रूप से काम करना सीखें, साथ ही भारतीय दृष्टिकोण की प्रामाणिकता को बनाए रखें। उन्होंने आगे कहा, आप जो भी समाधान विकसित करें, जो भी उद्यम शुरू करें, जो भी इनोवेशन करें, उसका मूल्यांकन केवल व्यावसायिक सफलता के आधार पर नहीं, बल्कि भारत के समग्र विकास में उसके योगदान के आधार पर किया जाना चाहिए। आज भारत एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है, जहाँ विकसित भारत@2047 – की परिकल्पना केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि हम सभी की सामूहिक आकांक्षा है, और इसके निर्माण में आप जैसे उद्यमियों की भूमिका प्रमुख होगी।”

श्री राकेश शर्मा, अध्यक्ष – ईडीआईआई तथा मेनेजिंग डायरेक्टर एवं चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर, आईडीबीआई बैंक लिमिटेड  ने कहा, “इस वर्ष, अप्रैल में ईडीआईआई ने अपना 43वां स्थापना दिवस मनाया। अपनी चार दशकों की यात्रा में संस्थान ने उद्यमशीलता को एक परिचित अनुशासन के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। । आज जब राष्ट्र उत्पादकता, प्रतिस्पर्धात्मकता और समग्र दक्षता बढ़ाने के लिए उद्यमशीलता को एक उपकरण के रूप में अपनाने की बात करता है, ईडीआईआई इस विकास का नेतृत्व करने और इसे सुदृढ़ करने में केंद्रीय भूमिका में बना हुआ है। संस्थान की देशव्यापी उपस्थिति विभिन्न वर्गों में उद्यमशील व्यवहार को विकसित कर रही है।”

डॉ. सुनील शुक्ला, डायरेक्टर जनरल, ईडीआईआई ने कहा, “ईडीआईआई की स्थापना के बाद से, हमने इनोवेशन, अखंडता और प्रभाव के साथ नेतृत्व करने में सक्षम उद्यमी प्रतिभा को पोषित करने के लिए लगातार काम किया है।  ईडीआईआई का सुव्यवस्थित पाठ्यक्रम शैक्षणिक गहनता और व्यावहारिक अनुभव का संयोजन करता है, जिससे छात्रों को उद्यमिता पारिस्थितिकी तंत्र, रणनीतिक सोच और नैतिक नेतृत्व की गहरी समझ प्राप्त होती है। हमने अपने छात्रों को जो पंख दिए हैं, उनके सहारे वे निश्चित रूप से नई ऊंचाइयों तक उड़ान भरेंगे। इस उड़ान को और भी प्रेरणादायी बना रही है डॉ. सारस्वत की उपस्थिति। यह हमारे लिए हर्ष की बात है कि उन्होंने हमारे इस कॉन्वोकेशन की शोभा बढ़ाई और छात्रों को मार्गदर्शन प्रदान किया।” कार्यक्रम का समापन डॉ. सुनील शुक्ला, डायरेक्टर जनरल, ईडीआईआई के धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ।

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