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भारत मिस्र को एशिया एवं अफ्रीका के बीच एक सेतु के रूप में देखता है : राष्ट्रपति

देश-विदेश

नई दिल्ली: राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने कल (02 सितंबर, 2016) राष्ट्रपति भवन में मिस्र के राष्ट्रपति महामहिम श्री अब्देल फतह अल सीसी की आगवानी की। उन्होंने उनके सम्मान में एक प्रीति भोज का भी आयोजन किया।

मिस्र के राष्ट्रपति का स्वागत करते हुए श्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि भारत और मिस्र के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यता के विकास से जुड़े रिश्ते रहे हैं। दोनों देशों ने एक साथ मिलकर इस क्षेत्र एवं इससे आगे शांति एवं विकास में योगदान दिया है और लगातार योगदान दे रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि श्री सीसी की यात्रा एवं ऐसे आदान-प्रदानों से भारत-मिस्र साझेदारी को और मजबूती मिलेगी तथा यह इसे और ऊंचे स्तर तक ले जाने में सहायता प्रदान करेगा।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि भारत मिस्र को पश्चिम एशिया एवं उत्तर अफ्रीका क्षेत्र में एक महाशक्ति, एशिया एवं अफ्रीका के बीच एक सेतु तथा अफ्रीका एवं अरब विश्व के एक प्रमुख देश के रूप में देखता है। उन्होंने कहा कि भारत यह देखकर बहुत प्रसन्न है कि मिस्र श्री सीसी के नेतृत्व में राजनैतिक स्थिरता एवं आर्थिक विकास की दिशा में प्रगति कर रहा है।

राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने इसके बाद अपने प्रीतिभोज संबोधन में कहा कि दोनों देशों के संस्थापक जनक – टैगोर एवं शावकी, गांधी एवं जाघलाओल, नेहरू एवं नसीर एक-दूसरे को काफी सम्मान देते थे जिसने भारत-मिस्र साझेदारी को प्रेरित किया। उन्होंने दोनों देशों के लिए वह रास्ता प्रशस्त किया जिसमें दोनों देश दो स्वतंत्र राष्ट्रों के रूप में द्विपक्षीय एवं बहुपक्षीय मंचों पर एक-दूसरे को सहयोग देते हैं।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि आज मिस्र काफी तेजी से प्रगति कर रहा है। भारत भी प्रगति एवं विकास के बेहद सकारात्मक पथ पर है। निश्चित रूप से हमारे युवाओँ में, जो हमारी राष्ट्रीय भावना एवं हमारे सामूहिक लक्ष्यों के ध्वजावाहक हैं, पहले की तुलना में कहीं अधिक आत्मविश्वास है। इसके साथ-साथ हम इस बात से भी अवगत हैं कि हमारे सामने खड़ी चुनौतियां पहले से भी अधिक जटिल हो गयी है। हमारे संबंधित क्षेत्रों पर उग्रवाद की छाया मंडरा रही है जिसका सामना एकजुटता से और मजबूती से किया जाना चाहिए।

राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि राष्ट्रपति श्री सीसी की यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब भारत और मिस्र दोनों की ही इच्छा अपने संबंधों में नयी गति को समावेशित करने और आपसी सहयोग को सघन बनाने की है। दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी निवेशों और बढ़े हुए व्यापार प्रवाहों तथा समान हितों के व्यापक क्षेत्रों में साझेदारी के जरिए और मजबूत हो रही है। भारत और मिस्र क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर एक संयोजन साझा करते हैं। आज सहयोग एवं साझेदारी के नए तरीके उभर रहे हैं और नए देश तेजी से इस चरण में प्रवेश कर रहे हैं। हालांकि हम अपने संबंधों की स्थिति को लेकर काफी संतुष्ट हैं लेकिन हमें इसे और अधिक ऊंचाई तक ले जाने की दिशा में अपना प्रयत्न जारी रखना चाहिए।

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