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भारत और नेपाल प्राचीन काल से प्रभुत्व सम्पन्न राष्ट्र के रूप में रहे हैं: मुख्यमंत्री

उत्तर प्रदेश

लखनऊ: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने अपने सरकारी आवास पर दिल्ली के इण्डिया फाउण्डेशन, नीति अनुष्ठान प्रतिष्ठान नेपाल तथा नेपाल इण्डिया चेम्बर आॅफ काॅमर्स एण्ड इण्डस्ट्री (एन0आई0सी0सी0आई0) काठमाण्डू के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित द्वितीय भारत-नेपाल द्विपक्षीय संवाद कार्यक्रम के समापन सत्र को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत और नेपाल के सांस्कृतिक एवं सामाजिक सम्बन्ध प्राचीनकाल से हैं। भारत और नेपाल प्राचीन काल से प्रभुत्व सम्पन्न राष्ट्र के रूप में रहे हैं। मनुष्य के रूप में इसकी तुलना करें तो शरीर तो दो हैं लेकिन हमारी साझी सांस्कृतिक विरासत, हम सबको एक आत्मा के रूप में आपस में जोड़ती है। नेपाल का नागरिक चार धाम की यात्रा के लिए भारत की ओर देखता है। जब किसी को हिमालय के दर्शन करने होते हैं या फिर वह नेपाल के धार्मिक स्थलों में आध्यात्मिक विपश्यना के लिए जाना चाहता है तो उसे पशुपतिनाथ, मुक्तिनाथ शक्तिपीठों की शरण में जाना पड़ता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दोनों देशों की हजारों वर्षों की इस आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व आज हम सबको करने का अवसर प्राप्त हुआ है। अब हमारी यह जिम्मेदारी है कि हम इस सांझी विरासत को मजबूती के साथ आगे लेकर जाएं। भारत चाहता है कि नेपाल संपन्न हो, सुखी हो, अपनी संप्रभुता की रक्षा करते हुए विकास के नए कीर्तिमान स्थापित करे, नई ऊंचाइयों को छुए। भारत की समृद्धि और सुरक्षा का प्रभाव नेपाल पर भी पड़ेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि आम भारतीय नेपालियों को अत्यन्त विश्वसनीय मानते हैं। आपसी विश्वास पर ही भारत और नेपाल की सांझी विरासत टिकी है। यही विश्वास नेपाल और भारत को एकजुट करता रहेगा। दोनों देशों की सीमाएं भी आपस में मिलती हैं, जो हमारे मजबूत सम्बन्धों का आधार हैं। इस संवाद को स्थापित करना एक बेहतर पहल है। दोनों देशों के सम्बन्ध प्रगाढ़ करने में राजनीति को बाधक नहीं होना चाहिए। हमें अपनी सांझी विरासत मजबूती से आगे बढ़ानी है। हमारे हित आपस में जुड़े हुए हैं। दोनों देशों को समृद्धि की नई ऊंचाइयां छूने के लिए आगे आना होगा। उत्तर प्रदेश और बिहार भारत के दो ऐसे राज्य हैं, जिनकी सीमाएं नेपाल से लगी हुई हैं। इन दोनों राज्यों तथा बिहार के लोग सीमा पार आते-जाते रहते हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेपाल हाइड्रो पावर तथा सोलर इनर्जी का केन्द्र बन सकता है। पर्यटन जैसी गतिविधियों का हब भी बन सकता है। इस कार्य में भारत, नेपाल की हर सम्भव सहायता कर सकता है। इन कार्यों से नेपाल समृद्ध हो सकता है। इस समृद्धि को प्राप्त करने के लिए मार्ग में बाधक सभी तत्वों को चिन्हित करके, हर स्तर पर संवाद कर समस्या के समाधान का मार्ग निकालना होगा। मानवता के कल्याण का मार्ग अगर कहीं प्रशस्त होना है तो वह हिमालय से समुद्र पर्यन्त का यह जो विस्तृत भू भाग है, यहीं से प्रारंभ होगा। इसमें भारत और नेपाल की बहुत बड़ी भूमिका होने वाली है। इसके लिए हमें अपनी भूमिका को पहचानना होगा और आगे बढ़ना होगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि यह कार्य ट्रेड-टू-ट्रेड हो सकते हैं, जैसे यहां द्विपक्षीय संबंधों की बातचीत प्रारंभ हुई है। ऐसे संवादों से जमी हुई बर्फ अपने आप पिघलती हुई दिखाई देगी और अगर कहीं कोई जड़ता होगी तो वह भी स्वतः दूर होती हुई दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने नेपाल के अपने पहले दौरे में जनपद वाराणसी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर को काठमांडू के पशुपतिनाथ मंदिर से जोड़ने के लिए जो बस सेवा शुरू की थी, वह आज भी चल रही है। नेपाल के अपने तीसरे दौरे में प्रधानमंत्री जी ने नेपाल के जनपद जनकपुर से अयोध्या को जोड़ने के लिए बस सेवा प्रारम्भ की थी। वह बस सेवा आज भी संचालित हो रही है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि दोनों देशों के बीच में व्यापार, पर्यटन, टेक्नोलॉजी जैसे क्षेत्रों में व्यापक संभावनाएं हैं। ये संभावनाएं तब विकसित होंगी जब हम विश्वास की हजारों वर्षों की विरासत को मजबूती के साथ आगे बढ़ाने की दिशा में प्रयास करेंगे। अगर वाराणसी को स्मार्ट सिटी के रूप में तेजी से विकसित करने की दिशा में काम होता है तो काठमांडू भी इसमें पीछे नहीं रहेगा। भगवान शंकर के इन दो पवित्र नगरों को स्मार्ट सिटी के रूप में विकसित करके संबंधों को और आगे बढ़ाया जा सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भारतीय सेना में जनरल से लेकर सामान्य सिपाही स्तर तक अनेक नेपाली जुड़े हुए हंै। वे पूरी मजबूती के साथ वैसे ही भारत भूमि की रक्षा करते हंै, जैसे कोई अपनी मातृभूमि की रक्षा करता है। ये सुविधा केवल नेपाल के लोगों को प्राप्त है। भारत से बड़ी संख्या में पर्यटक नेपाल जा सकते हैं, जिससे लाखों नेपाली नौजवानों को घर में ही रोजगार उपलब्ध हो सकता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए राज्य सरकार द्वारा पुरोहितों को प्रशिक्षित किया गया है। उनको हिंदी, अंग्रेजी, संस्कृत आदि भाषाओं की सामान्य जानकारी दी गई है। इससे काशी विश्वनाथ मंदिर पूजा-पाठ के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को काफी सुविधा हो गई है। वर्तमान में 100 से ज्यादा गाइड काशी विश्वनाथ मंदिर में मौजूद हैं और 30,000 रुपए से लेकर 1.5 लाख रुपए तक प्रतिमाह कमा रहे हैं। जब उन्होंने गाइड बनकर कार्य प्रारम्भ किया तो प्रतिदिन 8 से 10 घंटे कार्य करने पर पहले ही महीने 1.25 लाख रुपए की आय हुई और जिन लोगों ने 2 से 3 घंटे कार्य किया उनको 25 से 30 हजार रुपए हर महीने आय हुई। पहले मंदिर में चढ़ने वाले जिन पुष्पों एवं बेलपत्रों को फेंक दिया जाता था, आज उनकी रीसाइक्लिंग के लिए प्रदेश के एक नक्सल प्रभावित गांव की 50 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। आज वे महिलाएं उन पुष्पों से इत्र एवं धूप का निर्माण कर रही हैं और 9 हजार से 15 हजार रुपए प्रतिमाह कमा रही हैं।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेपाल में पौराणिक परम्पराओं के साथ जुड़े हुए हजारों ऐसे आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक केंद्र हैं, जिन्हें हम स्प्रिचुअल टूरिज्म के साथ जोड़कर, विभिन्न प्रकार की सुविधाएं वहां उपलब्ध करा सकते हैं। यह रोजगार का एक बहुत बड़ा माध्यम बन सकता है। उन्होंने कहा कि हमें अपने शत्रु और मित्र को पहचानना होगा। अपने मार्ग में बाधक बन रहे तत्वों को पहचान कर, उन्हें बेनकाब करना होगा। जो तत्व हमारे सतत विकास में बाधक बन रहे हैं, उन्हें मीडिया के जरिए, गोष्ठी के जरिए बेनकाब करना होगा। उन्होंने कहा कि डेढ़ वर्ष पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के कुछ पत्रकारों को नेपाल भेजा था ताकि वे वहां के मीडिया से संवाद कर उन्हें भारत भ्रमण पर ला सकें। उस समय नेपाल से लगभग 25 पत्रकार यहां आए थे जिन्हें प्रदेश में भ्रमण करने का अवसर मिला, एक-दूसरे से बड़े स्तर पर संवाद हुआ। ऐसे दौरे इसी प्रकार जारी रहने चाहिए।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि नेपाल की वर्तमान पीढ़ी, नई दिशा की ओर आगे बढ़ना चाहती है। यह धर्म चक्र, हमें अच्छे मार्ग की ओर आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रहा है। हम सभी को इसके लिए बेहतर प्रयास करने चाहिए। यह द्विपक्षीय संवाद भारत और नेपाल के संबंधों को उन नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा, जो दोनों देशों के नागरिकों के हित में होगा।

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