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पवेलियन ग्राउण्ड में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राज्योत्सव-2015 का दीप प्रज्जवलित कर शुभारम्भ करते हुएः मुख्यमंत्री श्री रावत

उत्तराखंड
देहरादून: प्रदेश में कला, संस्कृति एवं शिल्प को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार वचनबद्ध है। शिल्प रत्न पुरस्कार के साथ ही कला रत्न पुरस्कार भी दिये जायेंगे। यह बात मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पवेलियन ग्राउण्ड में संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राज्योत्सव-2015 के अवसर पर कही। मुख्यमंत्री श्री रावत ने इस अवसर पर प्रदेशवासियों की ओर से प्रसिद्ध गीतकार जीत सिंह नेगी को उनके द्वारा दिये गये अद्वितीय योगदान के लिए सम्मानित किया। सम्मान के रूप में 51 हजार रुपये की धनराशि एवं सम्मान पत्र प्रदान किया गया।

योग के क्षेत्र में सराहनीय कार्य करने के लिए दिलराजप्रीत कौर को योग दूत की उपाधि से सम्मानित किया। मुख्यमंत्री श्री रावत ने विभिन्न विधाओं में प्रथम,द्वितीय व तृतीय आने वाले सांस्कृतिक दलों को भी सम्मानित किया। इनमें सबसे पारंपरिक लोक नृत्य के लिए प्रथम पुरस्कार संगम सांस्कृतिक समिति, देहरादून के हेमंत बुटोला को प्रथम पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये की नगद धनराशि व सम्मान पत्र, संस्कार सांस्कृतिक समिति अल्मोड़ा को द्वितीय पुरस्कार के रूप में 75 हजार रुपये व सम्मान पत्र तथा श्रीदेवसुमन सांस्कृतिक मंच, चम्बा टिहरी को तृतीय पुरस्कार के रूप में 50 हजार रुपये व सम्मान पत्र प्रदान किया गया। इसके बाद लोक चित्रकारी ऐपण की श्रेणी में कमला देवी, ऋषिकेश को प्रथम पुरस्कार के रूप में 51 हजार रुपये, रूचि उपाध्याय,देहरादून को द्वितीय पुरस्कार के रूप में 31 हजार तथा कु. कविता, हरिद्वार को तृतीय पुरस्कार के रूप में 21 हजार रुपये की धनराशि प्रदान की गई। लोक व्यंजन श्रेणी में श्री विजय जड़धारी, टिहरी को प्रथम पुरस्कार के रूप में एक लाख रुपये व सम्मान पत्र, श्रीमती दया बिष्ट, देहरादून को द्वितीय पुरस्कार के रूप में 75 हजार रुपये व सम्मान पत्र तथा कु. बबीता देहरादून को तृतीय पुरस्कार के रूप में 50 हजार रुपये व सम्मान पत्र प्रदान किया गया।
मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि राज्य सरकार प्रदेश की कला एवं संस्कृति के संवर्धन के लिए वचनबद्ध है। इस दिशा में ठोस कार्ययोजना बनाकर कर कार्य किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमें अपने कला, संस्कृति व परम्परा का संजोये रखना होगा, ताकि भविष्य की पीढ़ी अपनी कला, संस्कृति और परम्परा को जान सके। उन्होंने कहा कि जागेश्वर में हमने सांस्कृतिक उत्तराखण्ड का संदेश देने का प्रयास किया है। इस प्रकार के आयोजन प्रत्येक वर्ष किये जायेंगे। साथ ही अगले वर्ष से जनपद स्तर पर सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने कहा कि हम सभी को अपनी संस्कृति और स्थानीय उत्पाद को प्रोत्साहन देना होगा। ऐपण कला को प्रोत्सािहत किया जा रहा है, हमारा प्रयास है कि इससे 20 हजार लोगो की आजीविका से जोड़ा जा सके। स्थानीय उत्पादों के संरक्षण और संवर्धन की दिशा में काम किया जा रहा है।

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