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भारत सरकार ने कोलकाता शहर और उपनगरों के लिए पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर को मंजूरी दी

देश-विदेश

सरकार ने कोलकाता में पूर्व-पश्चिम मेट्रो कॉरिडोर के निर्माण की संशोधित लागत के रेल मंत्रालय के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना पर संशोधित अनुमान के अनुसार लगभग 8574.98 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इस परियोजना के अंतर्गत पश्चिम बंगाल में साल्ट लेक सेक्टर-5 से हावड़ा मैदान तक 16.6 किलोमीटर लंबे मेट्रो कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा। इस परियोजना का क्रियान्वयन रेल मंत्रलाय के अंतर्गत आने वाले कोलकाता मेट्रो रेल निगम (सीपीएसई) द्वारा किया जाएगा। कोलकाता मेट्रो रेल निगम की स्थापना विशेष परिवहन उद्देश्यों के अंतर्गत की गई थी। कोरोना महामारी से पूर्व निर्धारित की गई समय सीमा के अनुसार इस परियोजना को दिसम्बर 2021 तक पूरा होना था। इस परियोजना के निर्माण में कई तकनीकी चुनौतियां भी आएंगी, जिसमें गंगा नदी और हावड़ा स्टेशन के नीचे सुरंग का निर्माण प्रमुख है। हावड़ा स्टेशन भारत का सबसे गहरा मेट्रो स्टेशन होगा और किसी बड़ी नदी के नीचे यह पहली परिवहन सुरंग भी होगी।

इस बड़ी परियोजना का उद्देश्य व्यावसायिक शहर कोलकाता को इसके पश्चिम में स्थित औद्योगिक शहर हावड़ा को जोड़ना है ताकि जनता को इन दोनों शहरों के बीच सुरक्षित, सुलभ और आरामदायक परिवहन का मध्यम उपलब्ध हो पाये। यह मेट्रो कॉरिडोर कोलकाता महानगर क्षेत्र के तीन सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों हावड़ा, कोलकाता के व्यावसायिक क्षेत्र और नव स्थापित साल्ट लेक को आपस में जोड़ेगा जिससे कोलकाता, इससे सटे हावड़ा और बिधानगर के बीच परिवहन सुलभ होगा। इससे क्षेत्र में जनता के लिए द्रुत परिवहन के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। यह प्रमुख क्षेत्रों हावड़ा, सियालदह और आईटी हब साल्ट लेक सेक्टर-5 को आपस में जोड़ेगी।

इस परियोजना के अंतर्गत इंटरचेंज हब के निर्माण से बहुस्तरीय परिवहन को आपस में जोड़ने का प्रबंध किया जाएगा, जिसमें मेट्रो, उप-नगरीय रेल, पानी वाले जहाज़ और बस परिवहन शामिल हैं। इससे लाखों की संख्या में यात्रा करने वाले स्थानीय लोगों के लिए परिवहन का एक सुलभ और सुरक्षित परिवहन की व्यवस्था सुनिश्चित होगी।

परियोजना के लाभ:

• लोगों को सुरक्षित, प्रभावी और पर्यावरण अनुकूल परिवहन व्यवस्था का लाभ मिलेगा।

• यात्रा के समय में कमी आएगी।

• ईंधन की खपत में कमी होगी।

• सड़कों से जुड़े बुनियादी ढांचे पर दबाव कम होगा।

• प्रदूषण और दुर्घटना में कमी आएगी।

• उन्नत परिवहन व्यवस्था का विकास होगा (टीओडी)

• मेट्रो कॉरिडोर के पास की ज़मीन का मूल्य बढ़ेगा और अतिरिक्त आय होगी।

• रोजगार सृजन।

•        कोलकाता में ट्रैफिक की समस्या कम होगी।

•        यातायात के समय में कटौती होगी।

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