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सरकार ने हस्‍तकरघा कारीगरों के साथ संवादमूलक बैठक की

देश-विदेश

नई दिल्ली: नरसापुल, जोधपुर, भुज एवं कश्‍मीर जैसे विभिन्‍न स्‍थानों के हथकरघा कारीगरों ने आइएचजीएफ दिल्‍ली फेयर ऑटम-2015 के दौरान कपड़ा मंत्रालय के वरिष्‍ठ अधिकारियों के साथ एक संवादमूलक बैठक की।

कपड़ा सचिव डॉ. एस. के. पांडा ने कारीगरों के साथ बातचीत करते हुए ग्रामीण आबादी को रोजगार मुहैया कराने में हथकरघा क्षेत्र द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका को रेखांकित किया।
डॉ. पांडा ने दो बड़े घटनाक्रमों का जिक्र किया जिन्‍होंने हथकरघा के संवर्द्धन को प्रभावित किया है:
1. शिक्षा का स्‍तर बढ़ गया है और अधिकांश कारगर परिवारों में युवा अब शिक्षित हो रहे हैं।
2. इंटरनेट एवं अन्‍य आईटी आधारित पहलों ने डिजिटल कनेक्‍टिविटी के साथ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के बीच की दूरी कम कर दी है।
सचिव महोदय ने कहा कि बेशकीमती उत्‍पाद खरीदने वाले ग्राहकों को लक्षित करने की जरूरत है। उन्‍होंने कहा कि हमें इसके अनुरूप अपनी मानसिकता में बदलाव लाने की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने इस जरूरत को रेखांकित किया कि हमें यह बेहतर तरीके से समझने की जरूरत है कि बाजार में आकार, रंग एवं डिजाईन के लिहाज से किस चीज की आवश्‍यकता है। उन्‍होंने कहा कि प्रौद्योगिकी ने इसे आसान बना दिया है और अब वे स्‍मार्ट फोन के जरिए दुनिया भर में किसी साथ भी संपर्क कर सकते हैं।
डॉ. पांडा ने कहा कि सरकार ने हस्‍तकरघा योजनाओं में संशोधन किया है और एक नई रणनीति बनाई है, जिसके चार व्‍यापक तत्‍व हैं:
I. ढांचागत विकास, जैसे कि प्रत्‍येक क्‍लस्‍टर में एक जन सुविधा केंद्र
II. डीसी (हस्‍तकरघा) कार्यालय के तहत योजनाओं के जरिए डिजाईन का विकास एवं प्रशिक्षण
III. कारीगरों को प्रत्‍यक्ष सहायता, जैसे कि उनके बैंक खातों के जरिए ऑनलाइन सहायता IV. निजी क्षेत्र की भागीदारी के साथ बाजार से जुड़ाव
सचिव महोदय ने कहा कि हस्‍तकरघा उत्‍पादों की एक ऑनलाइन स्‍थान-वार निर्देशिका बनाई जा रही है, जिसमें प्रत्‍येक क्‍लस्‍टर के कारीगरों के संपर्क विवरण होंगे। यह खरीदारों को उनके संपर्क में रहने में सहायक होगा। उन्‍होंने कहा कि स्‍टार्ट-अप उद्यमियों को अधिक वित्‍तीय सहायता दिए जाने तथा निर्यात समूहों के साथ स्‍व-सहायता समूहों को जोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। उन्‍होंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की सलाह के अनुसार हस्‍तकरघा को पर्यटन एवं फैशन के साथ जोड़ने के प्रयासों पर भी चर्चा की।
विभिन्‍न क्‍लस्‍टरों के कारीगरों ने इस अवसर पर अपने अनुभव साझा किए और सुझाव दिए। कुछ लोगों ने अपनी सफलता की कहानियां भी सुनाई जिसमें उन्‍होंने बताया कि किस प्रकार उनका व्‍यवसाय बढ़ा और वे यूरोपीय देशों के खरीदारों द्वारा प्राप्‍त ऑर्डर को पूरा करने में समर्थ हुए।
विकास आयुक्‍त (हस्‍तकरघा) श्री आलोक कुमार एवं मंत्रालय के अन्‍य वरिष्‍ठ अधिकारियों ने भी बातचीत में भाग लिया।

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