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पेयजल एवं नमामि गंगे योजना की समीक्षा करते हुएः कैबिनेट मंत्री

उत्तराखंड

देहरादून: प्रदेश के विद्यालयी शिक्षा, प्रौढ़ शिक्षा, संस्कृत शिक्षा, पेयजल एवं स्वच्छता मंत्री, मंत्री प्रसाद नैथानी की अध्यक्षता में नमामि गंगे योजना तथा पेयजल विभाग की समीक्षा बैठक सम्पन्न हुई।
बैठक में पेयजल मंत्री द्वारा ग्रामीण पेयजल योजनाओं की समीक्षा के दौरान एन0आर0डी0डब्ल्यू0पी0 योजना में निर्मित योजनाओं में अब तक हुए व्यय 32 करोड़ रूपये का उपयोगिता प्रमाण पत्र शीघ्र भेज कर अवशेष धनराशि 38 करोड़ रूपये शीघ्र जारी कराने के भारत सरकार से प्रयास करें। उन्होंने अवशेष धनराशि का उपयोग प्राथमिकता से ऐसी निर्माणाधीन योजनाओं में आबंटित करने के निर्देश दिये, जिन में 80 प्रतिशत से अधिक कार्य पूर्ण किये जो चुके हैं, ताकि योजना का अधिकाधिक लाभ लाभार्थियों को दिलाया जा सके। उन्होंने पूर्ण होने वाली योजनाओं को धन आबंटन में प्राथमिकता देने के निर्देश दिये ताकि योजना का लाभ, लाभार्थियों को शीघ्र उपलब्ध कराया जा सके।
वेबकास्ट को नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत आबंटित परियोजनाओं की समीक्षा के दौरान पेयजल मंत्री द्वारा परियोजना वाले क्षेत्र की भूमि से सम्बन्धित अवरोधों यथा वन भूमि, भू-स्वामित्व आदि के कार्यों का भी अनुश्रवण करने के निर्देश वेबकास्ट के अधीशासी निदेशक अमन शर्मा को दिये गये। उन्होंने कहा कि वेबकास्ट को आबंटित योजनाओं यथा क्रिमेशन घाट निर्माण एवं स्नानागार घाट निर्माण, प्लेटफार्म निर्माण तथा घाटों के आस-पास विद्युत संयोजन तथा अन्य अवस्थापना कार्य निर्माण में गुणवत्ता एवं समयबद्धता का ध्यान रखना होगा, ताकि परियोजनाओं का लाभ जनता को शीघ्र मिले। ज्ञातव्य है कि वेबकास्ट द्वारा 134 करोड़ रूपये की लागत से प्रस्तावित 33 घाटों का निर्माण कार्य किया जाना है, जिसमें उत्तराखण्ड बाॅर्डर से हरिद्वार तक 6, ऋषिकेश से देवप्रयाग तक 10, तथा देवप्रयाग से रूद्रप्रयाग तक 17 घाट परियोजनाएॅ शामिल हैं। मंत्री के संज्ञान में लाया गया कि वेबकास्ट द्वारा इन परियोजनाओं का कार्य 18 माह में पूर्ण किया जाना है।
वेबकास्ट के अधिकारियों को पेयजल मंत्री द्वारा स्पष्ट निर्देश दिये गये कि योजनाओं के क्रियान्वयन हेतु वांछित भूमि के अधिग्रहण हेतु कार्रवाई तेजी से पूरी कर ली जाये क्योंकि भूमि अधिकग्रहण के कार्य में समय अधिक लगने से योजना की निर्माण लागत बढ़ने से निर्माण कार्य प्रभावित होता है। कैबिनेट मंत्री का कहना था कि प्रायः योजनओं का अनुरक्षण उचित न होने से योजना का शत-प्रतिशत लाभ जनता को नहीं मिल पाता है, इसलिए घाटों के निर्माण के दौरान घाटों के अनुरक्षण की नीति निर्धारण की कार्रवाई भी साथ-साथ चलाई जाये।
बैठक में सचिव पेयजल अरविन्द सिंह ह्यांकी, निदेशक स्वजल आशीष जोशी, अपर सचिव पेयजल अर्जुन सिंह, वि0का0अ0 जी0डी0रतुड़ी, प्रबन्ध निदेशक पेयजल निगम भजन सिंह, मुख्य महाप्रबन्धक जल संस्थान एस0के0गुप्ता सहित सम्बन्धित अधिकारी उपस्थित थे।

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