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ईपीएफओ ने पिछले दो वित्तीय वर्षों में 1.39 करोड़ ग्राहकों को जोड़ा

देश-विदेश

नई दिल्ली: ईपीएफओ द्वारा हाल ही में प्रकाशित अनंतिम भुगतान रजिस्टर आंकड़े (पेरोल डेटा) ईपीएफओ में सितंबर, 2017 से भुगतान रजिस्टर के मिलान के बाद से इसकी लगातार बढ़ती ग्राहक संख्या में वृद्धि की प्रवृत्ति को उजागर करता है। भुगतान रजिस्टर आंकड़े वर्ष 2018-19 और 2019-20 के लिए समेकित वार्षिक आंकड़े प्रस्तुत करता है। कुल ग्राहक संख्या 28% की वृद्धि दर्ज करते हुए वर्ष 2018-19 में 61.12 लाख से बढ़कर 2019-20 में 78.58 लाख हो गई। प्रकाशित किए गए भुगतान रजिस्टर आंकड़े में उन सभी नए सदस्यों को शामिल किया गया है, जो महीने के दौरान शामिल हुए हैं और जिनका योगदान प्राप्त हो चुका है।

      ग्राहकों की संख्या में यह बढ़ोतरी सदस्यता छोड़ने वालों की कम संख्या और सदस्यता छोड़ चुके ग्राहकों के फिर से सदस्य बनने की अधिक संख्या के कारण है। ईपीएफओ ने वर्ष 2019-20 के लिए 8.5% का कर मुक्त ब्याज दिया, जो अन्य सामाजिक सुरक्षा साधनों और सावधि जमाओं में सबसे अधिक है। यही कारण है कि पिछले वर्ष की तुलना में ईपीएफओ को वर्ष 2019-20में सदस्यता छोड़ने वालों की संख्या लगभग 10%तक कम करने में मदद मिली।

      इसके अलावा सदस्यता छोड़ चुके ग्राहकों के वर्ष 2018-19 में 43.78 लाख से वर्ष 2019-20 में 78.15 लाख ग्राहकों के फिर से जुड़ने के साथ ही लगभग 75% की भारी वृद्धि दर्ज की गई है। ऑटो-ट्रांसफर सुविधा ने कई मामलों में सदस्यता की निरंतरता सुनिश्चित करने में बड़ी भूमिका निभाई है। यह सुविधा सदस्यों को नौकरी बदलने पर पुराने खाते से नए खाते में पीएफ बैलेंस की परेशानी से मुक्त हस्तांतरण कराने में सक्षम बनाती है।

      वर्ष 2019-20 के दौरान ग्राहकों की उम्र के हिसाब से विश्लेषण बताता है कि पिछले वर्ष की तुलना में 26-28, 29-35 और 35वर्ष से अधिक आयु समूह के ग्राहकों के कुल नामांकन में 50% से अधिक की वृद्धि हुई है। ऑनलाइन मोड में सेवा प्रदान करने की गुणवत्ता में तेजी से सुधार की वजह से देश भर के कर्मचारी ईपीएफओ की सेवाओं की ओर आकर्षित हुए हैं। इसके अलावापीएफ के रूप में जमा राशि अब लॉक-इन मनी नहीं रह गई है, इसे जरूरत पड़ने पर निकाला जा सकता है। ईपीएफओ ने 3 दिनों के भीतर कोविड​​-19 के दौरान अग्रिमों मांगों को निपटाने का काम किया है। इसी के साथअब पीएफ जमा को नकदी राशि के रूप में देखा जाने लगा है, जो संकट के समय ग्राहकों की आवश्यकता को पूरा कर सकती है। इसी तरह बेरोजगारी,विवाह खर्च,उच्च शिक्षा,आवास और चिकित्सा उपचार के मामले में पीएफ अग्रिम का लाभ उठाया जा सकता है।

      इसके अलावा आंकड़े बताते हैं कि पिछले वर्षों की तुलना में वर्ष 2019-20 के दौरान महिला कर्मचारियों का नामांकन लगभग 22% बढ़ गया है,जो देश के औपचारिक कार्यबल में महिलाओं की अधिक भागीदारी को दर्शाता है।

      प्रकाशित आंकड़ों से यह संकेत मिलता है कि वर्ष 2018-19 और 2019-20 के दौरान पहली बार कुल 1.13 लाख नए प्रतिष्ठानों ने पीएफ का अनुपालन शुरू किया है। पोर्टल के माध्यम से आसानी से पीएफ कोड प्राप्त करने के लिए नए प्रतिष्ठानों को सक्षम बनाने वाली अनुपालन प्रक्रिया का सरलीकरण और इलेक्ट्रॉनिक चालान सह रिटर्न (ईसीआर) दाखिल करने की सुविधा ने प्रतिष्ठानों द्वारा स्वैच्छिक अनुपालन को बढ़ावा दिया है।

      उद्योगों का श्रेणीवार विश्लेषण बताता है कि अस्पतालों और वित्तीय प्रतिष्ठानों ने 50% से अधिक की वृद्धि दिखाई है,जबकि ट्रेडिंग एवं वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, कपड़ा और साफ-सफाई संबंधी सेवाएं प्रदान करने वाले प्रतिष्ठानों ने शुद्ध नामांकन के मामले में 20% से अधिक की वृद्धि दर्ज की है। यह वास्तव में एक संकेत है कि भारतीय रोजगार बाजार में नौकरियां पहले से कहीं अधिक व्यवस्थित हो रही हैं, जिसकी 2019-20 के आर्थिक सर्वेक्षण में भी पुष्टि की गई है।

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