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वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश की अपराध एवं कानून व्यवस्था के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक करते हुए: पुलिस महानिदेशक

उत्तराखंड

देहरादून: दिनांक 24 अगस्त 2018 श्री अनिल के0 रतूड़ी, पुलिस  महानिदेशक  उत्तराखण्ड द्वारा उत्तराखण्ड के सभी जनपद प्रभारियों व परिक्षेत्र प्रभारियों के साथ वीडियो कान्फ्रेसिंग के माध्यम से प्रदेश की अपराध एवं कानून व्यवस्था के सम्बन्ध में समीक्षा बैठक ली गई। जिसमें श्री अशोक कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, अपराध एवं कानून व्यवस्था, श्री वी0 विनय कुमार, अपर पुलिस महानिदेशक, अभिसूचना/सुरक्षा, श्री ए0पी0 अंशुमन, पुलिस महानिरीक्षक, पीएसी, श्री अजय रौतेला, पुलिस उपमहानिरीक्षक, गढ़वाल परिक्षेत्र, श्रीमती रिधिम अग्रवाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ0,उत्तराखण्ड, एवं समस्त जनपद प्रभारी एवं सेनानायक सहित अन्य पुलिस अधिकारी उपस्थित रहे।

सर्वप्रथम श्री रतूड़ी द्वारा श्री दीपम सेठ, पुलिस महानिरीक्षक अपराध एवं कानून व्यवस्था के पिताजी का आकस्मिक देहान्त होने पर सम्पूर्ण पुलिस परिवार की ओर से शोक व्यक्त किया गया।

उन्होने कहा कि आन्तरिक सुरक्षा, राष्ट्रीय सुरक्षा, अपराधों की रोकथाम एवं अनावरण तथा आम जनमानस में सुरक्षा की भावना उत्पन्न करने के नजरिये से सत्यापन एक महत्वपूर्ण कार्य है। पर्वतीय जनपदों में सत्यापन एक बड़ा मुद्दा बन गया है, इस पर गम्भीरता से कार्य करें।

श्री अशोक कुमार ने कहा कि साईबर क्राइम की विवेचनायें काफी धीमी है, जिसमें सुधार की काफी आवश्यकता है। उन्होने सभी जनपद प्रभारियों को अपराध पंजीकृत करने से न डरने एवं आपराधों की रोकथाम हेतु व्यवस्था बनाने हेतु निर्देशित किया गया।

वीडियो कान्फ्रेसिंग के दौरान निम्न बिन्दुओं पर दिशा-निर्देश दिये गये:-

  1. थाना, जनपद एवं राज्य स्तर पर गठित 3 layer एन्टी ड्रग्स टास्क फोर्स एक आँपरेशनल यूनिट है। थानाध्यक्ष थाना क्षेत्र में पडने वाले सभी स्कूलों/कॉलेजों के प्रबन्धकों से सम्पर्क कर एक-एक ड्रग विजिलेंट अधिकारी नियुक्त करायें, जिनकी मासिक बैठक भी आयोजित की जाये। एन्टी ड्रग्स टास्क फोर्स से की सहायता हेतु एन0जी0ओ0 से भी  समन्वय स्थापित किया जाये। Awareness एवं Enforcement दोनो पर ही कार्य किया जाये।
  2. साईबर क्राइम वर्तमान में सबसे तेजी से बढ़ता अपराध है। कानून व्यवस्था स्थापित करने के नाते यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम इसके प्रति सजग हो जायें, इसके महत्तव को समझें। जनपद प्रभारियों को निर्देशित करते हुये उन्होने कहा कि ऐसे अपराधों को पंजीकृत किया जाए तथा ऐसे आपराधों की रोकथाम हेतु व्यवस्था बनाने हेतु निर्देशित किया गया।
  3. सोशल मीडिया पर आक्रमक सन्देशों पोस्ट करने वाले व्यक्तियों को चिन्हित कर थाने पर बुलाया जाये जहां उनकी काउन्सलिंग कर भविष्य में ऐसी पोस्ट न करने के सम्बन्ध में उनसे बन्ध-पत्र भरवाया जाये।
  4. समस्त जनपदों प्रभारियों को बाहर से आये हुये व्यक्तियों के सघन सत्यापन अभियान चलाये जाने हेतु भी निर्देशित किया गया।

श्रीमती रिधिम अग्रवाल, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, एस0टी0एफ द्वारा प्रस्तुतिकरण के माध्यम से एसटीएफ द्वारा तैयार किया गया Face Recognition Software के सम्बन्ध में जानकारी दी गयी। प्रोजेक्ट प्रतिबिम्ब के अनर्गत एसटीएफ द्वारा यह Software बनाया गया है जिसका सर्वर एसटीएफ कार्यालय में स्थापित किया गया है। इस Software के माध्यम से संदिग्धों,अपराधियों एवं गुमशुदा व्यक्तियों की पहचान की जा सकेगी। यह कम्पयूटर एवं मोबाइल दोनों पर कार्य करेगा। इसSoftware में फोटो एवं Text के माध्यम से गैंगस्टर, पेशेवर, इनामी, भगौड़े, साईबर क्राईम अपराधियों, हिस्ट्रीशीटरों एवं वामपंथी माओवादियों की पहचान की जा सकती है।

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