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वन ग्रामों का विकास

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नई दिल्ली: पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्री प्रकाश जावडेकर ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि उनका मंत्रालय जनजातियों सहित वन निवासी वन की सुरक्षा, संरक्षण और विकास में महत्‍वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने 12 से अधिक राज्‍यों में फैले 2474 वन ग्रामों/वारा स्‍थानों के एकीकृत विकास के लिए एकबारगी उपाय के रूप में 2005-06 से 2011-12 तक वन ग्रामों के विकास हेतु एक कार्यक्रम कार्यान्वित किया था। मध्‍य प्रदेश में 893 वन ग्राम हैं।इसके अतिरिक्‍त, अनुसूचित जाति और अन्‍य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों को मान्‍यता) अधिनियम, 2006 में उन ग्रामों के निर्धारण और रुपांतरण को मान्‍यता प्रदान की गई है, भले ही उन्‍हें वन अधिकार के रूप में, राजस्‍व ग्रामों के रूप में अभिलेखित किया गया हो या नहीं। उक्‍त अधिनियम में यह भी व्‍यवस्‍था की गई है कि वन अधिकार, वन (संरक्षण) अधिनियम, 1980 के अंतर्गत स्‍वीकृति सहित सभी बाधाओं और प्रक्रिया संबंधी आवश्‍यकताओं से मुक्‍त प्रदत्‍त किए जाएंगे। जनजातीय कार्य मंत्रालय ने सभी वन ग्रामों, पुराने वारास्‍थलों, वनों में स्थित बिना सर्वेक्षण वाले ग्रामों और अन्‍य ग्रामों, चाहे वे उपर्युक्‍त अधिनियम की धारा 3(1)(ज) के अंतर्गत राजस्‍व ग्रामों में अभिलेखित, अधिसूचित हों अथवा नहीं, के परिवर्तन के बारे में दिनांक 08.11.2013 को दिशानिर्देश जारी किए हैं।

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