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भारत में बिजली का भविष्य इसके सस्तेपन, टिकाऊपन और ऊर्जा सुरक्षा के स्तंभों पर टिका है

देश-विदेश

नई दिल्ली: बिजली, कोयला, नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री पीयूष गोयल ने कहा है कि भारत में बिजली का भविष्य इसके सस्तेपन, टिकाऊपन और ऊर्जा सुरक्षा के स्तंभों पर टिका है।

मंगलवार को बिजली के भविष्य विषय पर आयोजित एक सम्मेलन के मुख्य संबोधन में श्री गोयल ने कहा कि जहां तक मुझे दिखता है, उसके हिसाब से भारत में भारत में बिजली का भविष्य इसके सस्तेपन, टिकाऊपन और ऊर्जा सुरक्षा के स्तंभों पर टिका है।

श्री पीयूष गोयल ने कहा कि हाल के वर्षों में विकसित दुनिया के अधिकतर हिस्से में आर्थिक विकास की गति ठहर गई है। ऐसे दौर में जब ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा सक्षमता सामने आ रही है तो विकसित दुनिया के अधिकतर हिस्सों में बिजली की मांग या तो सपाट है फिर नीचे की ओर अग्रसर है। जबकि भारत में बिजली की खपत चार गुना होने जा रही है। इस समय भारत में बिजली की खपत 1.1 ट्रिलियन यूनिट है लेकिन वर्ष 2030 तक इसके बढ़ कर 4 ट्रिलियन यूनिट पहुंचने की उम्मीद है। श्री गोयल ने कहा कि ऊर्जा सक्षमता की कई नई योजनाएं शुरू करने के बावजूद अगले 15 या 16 साल के दौरान बिजली में सालाना 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी की संभावना है। मेरे ख्याल से भारतीय बिजली सेक्टर दुनिया के लिए सबसे बड़ा कारोबारी संभावना वाला क्षेत्र होगा। आज की तारीख में इसमें जबरदस्त संभावना है। भारत एक ऐसा आकर्षक निवेश स्थल बन कर उभरा है, जहां आने वाले दिनों में बिजली की जबरदस्त खपत बढ़ेगी।

भारत में बिजली की नई मांगों की चर्चा करते हुए श्री गोयल ने कहा कि यहां बिजली की नई मांग उन 23 करोड़ लोगों की ओर से पैदा होगी, जो पहली बार बिजली के उपभोक्ता बनेंगे। बिजली तक पहुंच हो जाने से डीजल जेनरेटर खत्म हो जाएंगे। लोग बिजली का इस्तेमाल करेंगे और इसकी मांग बढ़ेगी। इस तरह मेक इन इंडिया के तहत होने वाली आर्थिक गतिविधियों की वजह से भी बिजली की मांग बढ़ेगी। मंत्री महोदय ने कहा कि देश में अगले 10-15 साल के दौरान बिजली की खपत में सालाना दस फीसदी की बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे लोगों की आमदनी बढ़ेगी , वैसे-वैसे बिजली की खपत भी बढ़ेगी। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश के अंदर विनिर्माण गतिविधियां बढ़ने से बिजली की खपत बढ़ेगी, जबकि इस दौरान ऊर्जा सक्षमता के कई कदम उठाए गए हैं।

भारत 2022 तक 175 गीगाबाइट नवीकरणीय ऊर्जा पैदा करने की सक्षमता हासिल करेगा। इसमें से 100 गीगाबाइट सौर ऊर्जा से पैदा होगी। उन्होंने कहा कि इस समय भारत में 6.7 गीगाबाइट सौर ऊर्जा पैदा हो रही है जो अगले साल तक बढ़ कर 20 गीगाबाइट हो जाएगी। चूंकि सौर ऊर्जा क्षेत्र अब पटरी पर आ चुका है इसलिए सरकार अब अपना ध्यान पनबिजली और पवन ऊर्जा सक्षमता बढ़ाने में कर रही है।

मंत्री महोदय ने कहा कि सरकार ने उज्जवल डिस्कॉम एश्योरेंस योजना यूडीएआई यानी उदय शुरू किया है। इससे राज्यों की बिजली एजेंसियों की माली हालत में सुधार होगा। वे बिजली उत्पादकों से ज्यादा बिजली खरीद सकेंगी और ऊर्जा सक्षमता बढ़ाने के उपायों पर ज्यादा निवेश कर सकेंगी।

श्री गोयल ने कहा कि अगर आपूर्तिकर्ता लंबी अवधि के लिए सस्ती दरों पर गैस सप्लाई के लिए राजी हो जाएं तो सरकार अंतरराष्ट्रीय गैस आपूर्तिकर्ताओं को कम से कम 70 से 80 मिलियन मैट्रिक स्टैंडर्ड क्यूबिक मीटर (एमएमएससीएमडी) गैस सप्लाई का ठेका दे सकती है। इससे सरकार निष्क्रिय पड़े गैस आधारित बिजली संयंत्रों को चलाने में सक्षम हो जाएगी। सरकार कोयला आधारित बिजली पैदा करने में प्रदूषण कम करने के लिए नई प्रौद्योगिकी भी अपनाएगी और हरित ऊर्जा टेक्नोलॉजी में शोध के लिए कोष जुटाएगी। यह सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के योगदान से होगा। इसमें निजी क्षेत्र की कंपनियां भी हिस्सा ले सकती हैं।

श्री पीयूष गोयल ने पर्यावरण से जुड़ी चिंताओं को व्यक्त करते हुए कहा कि आज की तारीख में विभिन्न देशों के सामने सबसे बड़ी चुनौती टिकाऊ विकास को बनाए रखना है। विकास और पर्यावरण संरक्षण के बीच संतुलन पैदा करना बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा, भारत नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में अधिकतम राशि का निवेश करेगा ताकि हमारी ग्रिडों को ऊर्जा मिल सके साथ ही कोयले पर आधारित बिजली उत्पादन में भी इजाफा हो सके। सरकार ऐसे कदम उठाएगी जिससे सस्ते बिजली उत्पादन और पर्यावरण संरक्षण में संतुलन बना रहे। इनमें संतुलन बनाने के साथ सरकार देश की ऊर्जा सुरक्षा भी बरकरार रखने की कोशिश करेगी। श्री गोयल ने इस अवसर का इस्तेमाल ऊर्जा क्षेत्र में विदेशी निवेशकों को आमंत्रण देने के लिए भी किया। उन्होंने कहा, मैं दुनिया भर के देशों की कंपनियों को भारत आकर यहां की विकास कथा में सहभागी बनने का आमंत्रण देता हूं।

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