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नरेंद्र सिंह तोमर ने गोगामुख में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, असम परिसर का उद्घाटन किया

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केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण, ग्रामीण विकास, पंचायती राज और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने गोगामुख में नया भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, असम परिसर कल देश को समर्पित किया। इस अवसर पर श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने घोषणा की कि आईएआरआई असम का नाम पं दीन दयाल उपाध्याय के नाम पर रखा जाएगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की कल्पना के अनुसार, इस संस्थान की स्थापना से असम के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, मणिपुर, मिजोरम, नागालैंड, त्रिपुरा तथा सिक्किम राज्यों में कृषि शिक्षा और अनुसंधान के विकास को गति मिलेगी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2050 तक देश की जनसंख्या और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियाँ काफी बढ़ जाएंगी। सरकार इस दिशा में काम कर रही है कि देश का कृषि क्षेत्र इन चुनौतियों का सामना करने में सक्षम हो और हर समय पर्याप्त खाद्य भंडार मौजूद हो।

देश में कई उच्च उपज वाले बीज और फसल की किस्में विकसित करके हरित क्रांति लाने वाले कृषि वैज्ञानिकों की मुख्य भूमिका की सराहना करते हुए, श्री तोमर ने कहा कि देश अब न केवल आत्मनिर्भर है, बल्कि खाद्यान्न उत्पादन भी अतिरिक्त मात्रा में उपलब्ध है। सरकार ने विकास प्रक्रिया की खामियों को दूर करने के प्रयास किए हैं, और इसके परिणामस्वरूप झारखंड तथा असम में नए कृषि अनुसंधान संस्थान स्थापित किए गए हैं। सिक्किम अब पूरी तरह से जैविक राज्य है, और अन्य राज्य भी इस दिशा में प्रगति कर रहे हैं। श्री तोमर ने जोर देकर कहा कि जलवायु परिवर्तन और पानी की कमी की चुनौती के मद्देनजर, फसल विविधीकरण का कार्य करना और ऐसी किस्में विकसित करना महत्वपूर्ण है जिनकी पैदावार करने के लिए कम पानी की आवश्यकता होती है। उन्होंने किसानों की आय और निर्यात के अवसरों को बढ़ाने के लिए स्थानीय रूप से विकसित फसलों के महत्व पर भी जोर दिया।

असम के मुख्यमंत्री श्री सर्बानंद सोनोवाल ने आईएआरआई असम की स्थापना के लिए माननीय प्रधानमंत्री को धन्यवाद दिया और आशा व्यक्त की कि संस्थान अपने उद्देश्यों को पूरा करने में सक्षम होगा। उन्होंने उद्यमशीलता के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों की कृषि आय बढ़ाने के लिए क्षेत्र की स्थानीय रूप से विकसित बागवानी फसलों पर अनुसंधान गतिविधियों पर जोर दिया। श्री सोनोवाल ने यह भी उम्मीद जताई कि पूर्वोत्तर राज्यों को आईसीएआर-आईएआरआई, असम के समर्थन से फिर से “बाउल ऑफ राइस” के रूप में जाना जाएगा। केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री श्री कैलाश चौधरी, आईसीएआर के महानिदेशक डॉ त्रिलोचन महापात्रा, जन प्रतिनिधि, वैज्ञानिक और सरकारी अधिकारी भी इस उद्घाटन समारोह में उपस्थित थे। संस्थान द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में पूर्वोत्तर क्षेत्र में जून से सितंबर तक स्थानीय उपयोग वाली फसलों की जैविक खेती पर पानी के सदुपयोग की दक्षता पर जोर दिया गया।

आईएआरआई असम पर पृष्ठभूमि नोट

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) को “हरित क्रांति” के आधार के रूप में जाना जाता है, जिसने विज्ञान आधारित प्रौद्योगिकियों और गुणवत्ता वाले मानव संसाधन के विकास में बहुत योगदान दिया है। इन दोनों क्षेत्रों में पूर्वी भारत देश के अन्य हिस्सों से बहुत पीछे है। देश में “दूसरी हरित क्रांति” लाने का असम सहित अन्य पूर्वी राज्यों में बहुत अधिक सामर्थ्य है। यह भी महसूस किया गया कि देश के पूर्वी भाग में आईएआरआई की सफलता को दोहराने का यह एक उपयुक्त समय है। इसी के मद्देनजर, केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने पहले बजट भाषण में 10 जुलाई, 2014 को झारखंड तथा असम में आईएआरआई जैसे संस्थानों की स्थापना की घोषणा की थी, ताकि देश के संसाधन संपन्न पूर्वी हिस्से की जरूरतों को पूरा किया जा सके और इसके लिए कृषि, पशु विज्ञान, मत्स्य पालन, बागवानी और वानिकी की क्षमता का दोहन हो सके।

इसी क्रम में असम सरकार ने राज्य के दिरपई चापोरी, गोगामुख सर्किल और असम के धेमाजी जिले में लगभग 585 एकड़ क्षेत्र में इस संस्थान की स्थापना के लिए भूमि प्रदान की है। चयनित की गई ज़मीन राज्य की राजधानी दिसपुर से लगभग 430 किलोमीटर दूर, धेमाजी शहर (जिला मुख्यालय) से 45 किलोमीटर और असम के दूसरे सबसे बड़े शहर डिब्रूगढ़ से 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

आईएआरआईअसम की स्थापना में महत्वपूर्ण तिथियाँ:

  • कैबिनेट की मंजूरी- 17 मई, 2017
  • आईएआरआई असम की स्थापना का स्वीकृति पत्र जारी- 23 मई, 2017
  • माननीय प्रधानमंत्री द्वारा आधारशिला रखी गई- 26 मई, 2017
  • 2017-18 से 2019-20 के दौरान 155.29 करोड़ रुपये की लागत से आईएआरआई असम की स्थापना के संबंध में प्रशासनिक स्वीकृति पत्र जारी किया गया था।
  • सितंबर, 2017 में आवंटित भूमि की सीमा का डिजिटल सर्वेक्षण और जुलाई, 2018 में सीमांकन का काम पूरा हुआ।
  • प्रारंभिक चरण (45 एकड़) के लिए मास्टर प्लान को मंजूरी दी गई थी।
  • सितंबर, 2018 से सीमा की दीवार, पूर्वनिर्मित भवन और द्वार का निर्माण शुरू किया गया था जो पूरा हो चुका है।
  • चल रहे काम
  • प्रशासनिक सह शैक्षणिक भवन: 41.0 करोड़ रुपये (8,550 वर्ग मीटर)
  • सड़क विकास: 14.72 करोड़ रुपये

असम कोटे से आईएआरआई के एमएससी छात्रों को 2015-16 से आईएआरआई नई दिल्ली में प्रवेश दिया जा रहा है। आईएआरआई असम में 59 वैज्ञानिक पदों को फिर से नियुक्त किया गया है और अब परिसर में चार वैज्ञानिकों को तैनात किया गया है। चूँकि पूर्वनिर्मित भवन तैयार है, इसलिए 2020-21 सत्र से प्रवेश लेने वाले छात्रों की कक्षाएं आईएआरआई असम परिसर में शुरू की जाएंगी। प्रारंभ में तीन प्रभाग अर्थात फसल सुधार विभाग, बागवानी विभाग और पशु विज्ञान और मत्स्य पालन विभाग कार्य करेंगे।

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